भगवान शिव अनादि हैं इनका न आदि है न अंत है। हिंदू धर्म में प्रमुख देवता के रूप में इनकी पूजा होती है। आज तो सोमवार का दिन है और आज के दिन इनकी विशेष पूजा अर्चना करने का विधान है। आज जितने भी शिव भक्त हैं वह भोले बाबा के मंदिर जाते हैं उनको बेलपत्र, धतूरा और शिवलिंग पर जल या दूध का अभिषेक करते हैं। भगवान शिव की महिमा हिंदू धर्म के हर ग्रंथ में विद्धमान है। महादेव की महिमा का सबसे ज्यादा वर्णन स्कंद पुराण एवं शिव पुराण में बताया गया है और उनके प्रमुख तीर्थस्थलों के बारे में भी संक्षेप में सब कुछ इन पुराणों में लिखा हुआ है।

मनुष्य के जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष होना चाहिए यदि आप मोक्ष पाने के मार्ग की ओर बढ़ते हैं तो आज हम आपको भोलेनाथ के प्रसिद्ध और प्रमुख द्वादश ज्योतर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। जीवन में इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से यह लोक में तो समस्त कष्टों से मुक्ति मिल ही जती है। वहीं परलोक में सुख और आनंद की प्राप्ति तो हीती ही है इसी के साथ जन्म और मरण के चक्र से भी मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग कहां-कहां स्थापित हैं।
12 ज्योतिर्लिंग जहां महादेव हुए थे स्वयं प्रकट

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग- गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित यह भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां एक सोमकुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे देवताओं द्वारा निर्मित किया गया था। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बड़े सौभाग्य की बात होती है क्योंकि यह 12 ज्योतिर्लिंग में से प्रथम है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश श्री शैल पर्वत पर कृष्णा नदी के तट के समीप स्थित है। यह भगवान शिव का दूसरा ज्योतिर्लिंग है। इसके दर्शन मात्र से जीवन के समस्त संताप मिट जाते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिर्लिंग महादेव के सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में गिना जाता है। प्रत्येक वर्ष यहां लाखों की तादात में श्रद्धालु गण दर्शन हेतु जाते हैं। यह ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है और यहां नित्य भस्मारती होती है जो लोक प्रसिद्ध है। यहां दर्शन करने से महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन के कष्ट भोलेनाथ की कृपा से मिट जाते हैं। यह मोक्ष प्राप्ति की कामना से आए हुए भक्तों की भोले बाबा हर मनोकामना पूरी करते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के मलवा क्षेत्र के अंतरगत आता है। यह पावन ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट के समीप इंदौर शहर में स्थित है। यहां पहाड़ियो के चारों ओर नदी बहने के कारण ऊँ का आकार बन जाता है।

केदारनाथ-यह शिव भक्तों के सबसे प्रिय ज्यतिर्लिंगों में से एक है। यह देव भूमि उत्तराखंड में केदार चोटी पर स्थित है। यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। यहां दर्शन करने से व्यक्ति पर भोलो भंडारी की असीम कृपा मिलती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग पूणे के सह्याद्रि नाम के पर्व पर स्थित है। जो की महाराष्ट्र के राज्य में है।

बाबा विश्वनाथ जोयतिर्लिंग-यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के मुख्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां भोलेनाथ की सबसे प्रिय नगरी और उनके निवास स्थान काशी में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग अनादि है और स्वयंभू भी। बाबा विश्वनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश राज्य के काशी नगर में मां गंगा के तट के निकट स्थित है। यहां दर्शन मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं और अंत में शिव लोक की प्राप्ति हो
त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग- त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिसे में स्थित है। मान्यता है कि जिस ब्रह्मागिरि नाम के पर्वत यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है वहीं से गोदावरी नदी का उदगम हुआ था।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग- भोलेनाथ का यह ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ धाम से प्रसिद्ध है। पुराणों में इस धाम को चिताभूमि नाम की संज्ञा दी गई है। यह ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य में आता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग- शिव जी का यह ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के बड़ौदा क्षेत्र के गोमती द्वारका के समीप स्थित है। द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी लगभग 27 किलोमीटर की है। भगवान शंकर नागों के भी देवता हैं इस कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा जिसका अर्थ होता है नागों के देवता।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख शिव ज्योतर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा स्वयं भगवान राम ने भी की था। जिस वजह से इसका नाम रामेश्वम ज्योतिर्लिंग पड़ा और इसकी स्थापना भी भगवान राम द्वारा की गई थी।

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग- घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग है और यह महाराष्ट्र राज्य के संभाजीनगर के पास दौलताबाद में स्थित है।


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