दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है, जिसके चलते चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (GRAP) के चरण तीन को लागू कर दिया गया है. कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 का मार्क पार कर गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गुरुवार शाम 5 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 402 था. वहीं, दिल्ली में दिन के समय आलम यह रहा कि धुंध के कारण सूरज छिप गया.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को अपने X हैंडल से एक पोस्ट में कहा, ”बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए दिल्ली के सभी सरकारी और निजी प्राथमिक विद्यालय अगले 2 दिनों तक बंद रहेंगे.”

मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियां और खेतों में आग लगाने (पराली आदि जलाने) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण माना जा रहा है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि लोगों को सांस लेने में समस्या बढ़ सकती है. वहीं, वैज्ञानिकों ने अगले दो हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी होने की चेतावनी दी है.

प्रदूषण के स्तर में हो सकता है इजाफा- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग

केंद्र के प्रदूषण नियंत्रण पैनल ने गुरुवार (2 नवंबर) को दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य और दिल्ली में डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं.

प्रदूषण से निपटने के लिए रणनीति बनाने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की, जिसमें उसने कहा कि प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण प्रदूषण के स्तर में और इजाफा होने की आशंका है.

दिल्ली में कब चरम पर होता है प्रदूषण?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2020 के बाद से सबसे खराब थी. मौसम विज्ञानियों ने वर्षा न होने को इसका कारण माना है. वहीं, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की ओर से किए गए एक विश्लेषण के मुताबिक, दिल्ली में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है.

पुणे में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की ओर से विकसित एक न्यूमेरिकल मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में दिल्ली में दो कारणों से वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिनमें वाहनों से होने वाला उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 16 प्रतिशत) और पराली जलाना (सात प्रतिशत से 16 प्रतिशत) शामिल है.


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