Share

बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र छह से 10 नवंबर तक चलेगा. इससे पहले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार से बड़ी मांग कर दी है. सुशील मोदी ने कहा कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सरकार को जातीय सर्वे की पंचायत-वार रिपोर्ट और इस सर्वे के आधार पर तैयार होने वाले विकास मॉडल का प्रारूप सदन में रखना चाहिए।

बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए पिछले साल बिहार सरकार ने डेडीकेटेड अतिपिछड़ा आयोग गठित किया था. उसकी रिपोर्ट जारी नहीं हुई. वह रिपोर्ट भी विधानमंडल में प्रस्तुत की जानी चाहिए. जातीय गणना का श्रेय लूटने में लगे आरजेडी-जेडीयू को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सकारात्मक वक्तव्य से तीखी मिर्ची लग रही है. वे बीजेपी की छवि बिगाड़ने के लिए केंद्र की प्रतिकूल टिप्पणी की उम्मीद कर रहे थे।

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जातीय सर्वे कराने का निर्णय उस एनडीए सरकार का था, जिसमें बीजेपी के 14 मंत्री थे. उस समय आरजेडी सरकार में नहीं थी. सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आज उस कांग्रेस के साथ हैं, जिसने कई दशकों तक केंद्र और राज्यों की सत्ता में रहने के बाद भी न जातीय जनगणना कराई, न पिछड़ों को आरक्षण दिया।


Discover more from The Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts to your email.

Discover more from The Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading