आईपीएस अफ़सर शालिनी सिंह के पिता हिमाचल प्रदेश में बस कंडक्टर का काम करते हैं! कुछ साल पहले तक उन्हें पता भी नहीं था कि एक आईपीएस अधिकारी क्या होता है! पर अपनी मेहनत और लगन के दम पर आज उन्होंने ‘बेस्ट आपीएस ट्रेनी’ का खिताब हासिल किया है!

शालिनी अग्निहोत्री जब उम्र में बहुत छोटी थी, एक समय वह बस में सफ़र कर रही थी। सफर के दौरान उन्होंने बस में एक महिला के साथ छेड़खानी होते देखा। कम उम्र की होने बावजूद भी शालिनी ने इसका विरोध किया। मनचलों को सबक भी सिखाया, और उसी समय पुलिस बनने का निश्चय किया। शालिनी के पिता उसी बस में कंडक्टर के रूप में कार्यरत थे। एक बस कंडक्टर की बेटी का ऐसा साहसी कदम उठाना बस में बैठे लोगों के मुंह पर बड़ा तमाचा था और तभी से शुरू हुआ शालिनी के आईपीएस बनने का सफर।

शालिनी अग्निहोत्री (Shalini Agnihotri) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना के ठठ्ठल गांव की रहने वाली है। उनके पिता एचआरटीसी में बस कंडक्टर का काम करते है। शालिनी के घर में उनसे पहले कोई उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त किया था। इसलिए उनके परिवार में ऐसा कोई नहीं था जो उन्हें आगे की पढ़ाई का मार्ग दिखा सके। फिर भी उनके माता-पिता ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए शालिनी के सपनों का सम्मान किया। अपनी बेटी का हमेशा साथ देते हुए उन्होंने शालिनी को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। माता-पिता का साथ ही शालिनी का सबसे बड़ा साहस था।

शालिनी अग्निहोत्री की शिक्षा

शालिनी अग्निहोत्री (Shalini Agnihotri) की प्रारंभिक शिक्षा एक धर्मशाला से हुई। आगे की पढ़ाई वह हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से की। 12 वीं के बाद शालिनी को पता चला कि एक अधिकारी बनने के लिए UPSC की परीक्षा पास करनी पड़ती है। आगे वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर UPSC की तैयारी करने लगी।

दिसंबर 2012 में उनकी ट्रेनिंग की शुरुआत हुई जिसमें शालिनी टॉपर रहीं। ट्रेनिंग में टॉप करने के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब भी मिला। इतना ही नहीं आगे उन्हें सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रेनी ऑफिसर बनने के लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित भी किया गया। जब उनकी पोस्टिंग कुल्लू में हुई तब वह नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ कार्यवाही की और उसपर रोक लगाने में कामयाब हुई। अपनी इस कामयाबी का श्रेय शालिनी अपने माता-पिता को देती हैं। जिस तरह से शालिनी ने विषम परिस्थितियों और संघर्षों का सामना कर अपने हौसले को उड़ान दिया वह प्रेरणादायक है। एक बस कंडक्टर की बेटी होते हुए भी IPS बनकर अपने परिवार को गौरवान्वित किया।


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