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सड़क दुर्घटना में शिक्षक की हुई मौत, तेज रफ्तार बस ने मारी ठोकर, परिजनों में मचा कोहराम

बिहार में सड़क दुर्घटना में कई लोगों की जान गंवा दी है। आए दिन आम लोग सड़क हादसों के शिकार हो रहे हैं। ताजा मामला सासाराम का है। जहां सड़क हादसे में एक शिक्षक की मौत हो गई है। वहीं शिक्षक की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।

दरअसल, मामला नोखा थाना क्षेत्र के खैराडीह गाँव का है। जहां तेज रफ्तार बस की ठोकर से बाइक सवार एक शिक्षक की मौत हो गई। मृतक शिक्षक राजपुर थानाक्षेत्र के बकुला खोह गाँव के रहने वाले 30 वर्षीय पप्पू पाठक थे। मृतक के परिजन बबलू पांडे ने बताया कि शिक्षक पप्पू पाठक सासाराम मेँ ही रह रहे थे।

मृतक आज सुबह पडडिया के मध्य विद्यालय में पढ़ाने के लिए जा रहे थे। इसी दौरान नोखा थानाक्षेत्र के खैराडीह के समीप तेज रफ्तार बस ने इनके बाइक में ठोकर मार दी। जिससे उनकी मौत हो गई। घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शिक्षक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सासाराम सदर अस्पताल भेज दिया है।

हादसे की शिकार हुई मंत्री जमा खान को एस्कॉर्ट कर रही पुलिस वैन, एक जवान की मौत; चार की हालत गंभीर

SASARAM: बड़ी खबर रोहतास से है, जहां बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जामा खान को एस्कॉर्ट कर रही पुलिस की गाड़ी हादसे की शिकार हो गई है। हादसे में पुलिस वैन के ड्राइवर की मौत हो गई है जबकि चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हादसा रोहतास के परस्थुआ थाना क्षेत्र में हुआ है।

मृतक होमगार्ड ड्राइवर की पहचान जमालुद्दीन खां के रूप में हुई है। हादसे में घायल चार पुलिसकर्मियों में से तीन को इलाज के लिए सासाराम सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है जबकि एक को चिंताजनक हालत में बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया है। घायल जवानों में रमेश कुमार, मनोज कुमार, अर्चना कुमारी, रानी कुमारी शामिल हैं।

सभी पुलिसकर्मी डेहरी पुलिस लाइन से बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को एस्कॉर्ट करने के लिए गए थे। इसी दौरान परस्थुआ थाना क्षेत्र में एस्कॉर्ट गाड़ी हादसे की शिकार हो गई। जिसमें एक चालक होमगार्ड का जवान की मौत हो गई और 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। घटना की जानकारी मिलते ही डीआईजी नवीन चंद्र झा ने सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में पहुंचकर हालात का जायजा लिया है।

 

करना है महादेव की भक्ति चले आइए Gupteshwar Dham; भक्ति में डूबकर पहाड़ी और झरनों के बीच उठाएं इको टूरिज्म का अद्भुत आनंद

भोलेशंकर के प्रति आस्था की बात होती है तो द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ कैलास मानसरोवर और आदि कैलास की यात्रा का चित्र तत्काल मनमंदिर में उभरता है, लेकिन कई अन्य शिवधाम भी श्रद्धा के प्रमुख केंद्र हैं।

बिहार के रोहतास जिले में स्थित गुप्तेश्वर धाम (Gupteshwar Dham) भी ऐसा ही पौराणिक शिव स्थल है जहां की यात्रा प्राकृतिक जलाभिषेक के बीच शिवलिंग के दर्शन-पूजन के साथ पहाड़ी रास्ते से सघन वन और झरनों के बीच इको टूरिज्म की अविस्मरणीय अनुभूति कराती है।

मानों इतना ही पर्याप्त न हो तो आसपास आपको नौकायन, अप्रतिम नैसर्गिक सौंदर्य और ट्रेकिंग का रोमांच (eco tourism) अनुभव करने का अवसर भी मिलता है।

गुफा के भीतर अलौकिक जगत

कैमूर पहाड़ी (Kaimur Hill) की दुरूह गुफा में अवस्थित गुप्तेश्वर धाम सीधे देवाधिदेव महादेव तक पहुंचने का पग-पग पर अनुभव कराता है। इस दिव्य स्थल के नाम की कहानी महादेव के वरदान से किसी को भी भस्म करने की अलौकिक शक्ति प्राप्त राक्षस भस्मासुर के अंत से जुड़ी है।

इसी गुफा में मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर को उसी के हाथों भस्म कराने के बाद से महादेव प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में यहां स्थापित हैं। प्रवेश द्वार पर बने गुफा भवन की संरचना विशालता का भान नहीं कराती, लेकिन लोहे की ग्रिल के बाद 25 सीढ़ियां चढ़ने पर लगभग सात फीट ऊंचे गुफा के मुहाने के बाद का जगत अलौकिक है।

कहीं विशाल स्थान तो कहीं संकरा

गुफा (Cave) के अंदर अनगढ़ ढली फर्श के चुभने वाले रास्तों में इसकी विशालता के दर्शन होते हैं। कहीं ऊंचाई पांच-छह फीट तो कहीं 50-60 फीट है। कहीं एक हजार शिव भक्तों को समाने की क्षमता वाला प्रकृति प्रदत्त हाल तो कुछ ही मीटर आगे कुछ लोगों के लिए सहज खड़े रहना भी दुश्कर।

लोहे की ग्रिल के बीच शिवलिंग के दर्शन होते हैं। भगवान व भक्त के बीच सीधा संपर्क, कोई पुजारी, महंत नहीं। शिवलिंग में कई खांचे हैं, भक्त कहीं कनेल, गेंदा या कमल के फूल सजा देते हैं तो शीर्ष पर बेलपत्र चढ़ा देते हैं।

प्रभु से आग्रह कर भक्त ग्रिल पर ताले और लाल धागा बांधते हैं। शिवलिंग पर पत्थर की दरारों से रिसते बूंद-बूंद जल से महादेव का प्राकृतिक जलाभिषेक होता रहता है।

18 किमी में सात बार पार करें एक ही नदी

गुप्तेश्वर धाम पहुंचने के लिए कैमूर और रोहतास जिले की सीमा पर पर्वत शृंखला से घिरे दुर्गावती जलाशय के एक छोर पर पहाड़ को काटकर मौरंग व पत्थर से बनाए गए 18 किमी लंबे रास्ते के किनारे बेल के पेड़, कनैल के फूल, धतूरे के फल व फूल खिले मिल जाएंगे।

रास्ते में पहाड़ी गाएं और पशुपालक मिलते हैं जो आग्रह करने पर तत्काल दुह कर 100 मिलीलीटर दूध अभिषेक के लिए दे देते हैं। एक बड़ा झरना और दर्जन भर छोटे झरने हैं।

यात्रा में एक ही नदी आपको सात बार पार करनी होगी, आश्चर्य यह कि हर बार प्रवाह एक-दूसरे की विपरीत दिशा में मिलेगा। कम ग्राउंड क्लियरेंस के वाहन फंस सकते हैं। बड़े चक्के के वाहन सुरक्षित हैं।

ऐसे पहुंच सकते हैं

गुप्तेश्वर धाम दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। वाराणसी से आगे बिहार में शिवसागर नामक स्थान से चेनारी होते हुए करीब 40 किमी दूर दुर्गावती जलाशय है। सड़क हर जगह अच्छी है। दुर्गावती से धाम जाने का पहाड़ी रास्ता आरंभ होता है। विश्राम के लिए चेनारी में कई होटल व गेस्ट हाउस हैं।

सूर्योदय-सूर्यास्त का दृश्य अदभुत, नौकायन और ट्रेकिंग भी

सितंबर से मार्च तक आप दुर्गावती जलाशय में नौकायन कर कश्मीर की डल झील सरीखा अनुभव करेंगे। चारों ओर कैमूर पर्वत शृंखला, हरियाली, औषधीय पौधों से टकरा कर आती शुद्ध प्राणवायु तरोताजा कर देगी।

जलाशय के पुल से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत (eco tourism) दिखता है। सूरज सुलग चुके कोयले की तरह लाल और बेहद निकट प्रतीत होता है।

सूर्योदय के उल्लास और सूर्यास्त के विछोह को आप पेड़-पौधों की परछाइयों, पक्षियों के कलरव, अठखेलियां करती मछलियों और हवाओं की सरसराहट में अनुभव कर सकते हैं।

दुर्गावती जलाशय से शेरगढ़ का दृश्य।

ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो कैमूर पहाड़ी पर ऐतिहासिक शेरगढ़ किला देखने अवश्य जाएं। 15 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित किले में वर्ष शेरशाह की सेना की टुकड़ी छिपकर रहती थी। घने जंगल के बीच किला तीन परकोटों से निर्मित है। जल्द यहां कई सुविधाएं होंगी।

आंगनबाड़ी में काम करती है मां और बेटा बना SDM, बिहार के ऋषिकेश तिवारी को BPSC में मिला 71 रैंक

मेरा नाम ऋषिकेश तिवारी है और मैं मूल रूप से बिहार के सासाराम का रहने वाला हूं. मेरी मां आंगनबाड़ी सेविका है और गांव में छोटे-छोटे बच्चों को पढाने का काम करती है. अभी कुछ दिन पहले ही बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा bpsc 67 का रिजल्ट जारी हुआ है जिसमें मुझे पूरे बिहार में 71 रैंक प्राप्त हुआ है. परिवार वालों को जब से पता चला है कि मैं एसडीएम पद के लिए चयनित हुआ हूं तब से घर में दिवाली जैसा माहौल है. मम्मी पापा खुशी से झूम रहे हैं और रिश्तेदार लोग बधाई संदेश भेज रहे हैं. मैं अपनी सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ मम्मी पापा को देना चाहता हूं।

ऋषिकेश मूल रूप से दिनारा प्रखंड के भुआवल गांव निवासी पत्रकार डॉ. ओमप्रकाश तिवारी के पुत्र है। माता सुमनलता आंगनबाड़ी सेविका हैं।

रिजल्ट निकलने के बाद ऋषिकेश तिवारी कहते हैं कि अगर इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है. लोग आरंभ में असफल होते हैं और हिम्मत हार जाते हैं जो कि नहीं करनी चाहिए. अगर आप असफल हो चुके हैं तो आपको पहले से अधिक मेहनत करनी चाहिए. एक ना एक दिन आप सफलता का स्वाद जरूर चखेंगे।

ऋषिकेश बताते हैं कि मैं पहले ही आपको बता दिया कि मैं सासाराम का रहने वाला हूं और यही से मैं मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई की है. उसके बाद ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय मैं मैंने अपना एडमिशन करवाया. वर्तमान समय में मैं दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहा हूं।

ऋषिकेश का कहना है कि उनका बड़ा भाई भी पढ़ लिखकर इंजीनियर की नौकरी कर रहा है।

उनके पिता डॉ. ओमप्रकाश तिवारी बताते हैं कि ऋषिकेश पिछले वर्ष संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा के इंटरव्यू में शामिल हुए थे। उक्त परीक्षा में अंतिम रूप से उनका चयन नहीं हो सका था, फिलहाल उसकी तैयारी में भी लगे हुए है।

बिहार में मंगलराज; रोहतास में थाना के पास दारोगा को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, आराम से निकल गये अपराधी

बिहार में जारी मंगलराज की एक और घटना सामने आयी है. थाने से दो-ढ़ाई सौ मीटर की दूरी पर दारोगा को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया. अपराधियों ने दारोगा को जमकर पीटा और फिर आराम से निकल गये. बता दें कि इससे पहले एक जेडीयू नेता ने दारोगा को जिंदा जलाने की कोशिश की थी. एक जवान को बालू माफियाओं ने गाड़ी से कुचल कर मार डाला. भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी पर जानलेवा हमला हुआ. हर रोज ऐसी घटनायें सामने आ रही है.

रोहतास में हुआ नया वाकया

ये वाकया रोहतास जिले के बिक्रमगंज थाना के पास की है. विक्रमगंज थाने से सिर्फ दो-ढाई सौ मीटर की दूरी पर गुरुवार की देर रात थाने के दारोगा को बदमाशों ने जमकर पीटा. हाल ये था कि अपराधियों के डर से भाग रहे दारोगा को बदमाशों ने खदेड़ कर मारा. दारोगा जान बचाकर भागे और अपराधी वहां से बड़े आराम से निकल गये.

घटना के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक बिक्रमगंज थाने में पोस्टेड दारोगा राकेश कुमार विक्रमगंज बाजार में बिस्कोमान ऑफिस के सामने की गली में एक मकान में किराए पर रहते हैं. गुरूवार को थाने में उनकी नाइट ड्यूटी थी. वे अपने घर से रात करीब 10 बजे वह ड्यूटी के लिए थाने जा रहे थे. इसी दौरान ये घटना हुई.

दारोगा भागे और अपराधियों ने खदेड़ कर पीटा

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घर से थाने जा रहे दारोगा को रास्ते में 5-6 युवक मिले. दरोगा ने उन्हें टोका तो उन युवकों से उनकी कहासुनी होने लगी. इसके बाद बदमाशों ने दारोगा से मारपीट करना शुरू कर दिया. खुद को घिरा देख कर दारोगा अपने घर की ओर उल्टे पांव भागे. लेकिन बदमाशों ने उन्हें खदेड़-खदेड़कर पीटा. दरोगा किसी तरह से जान बचाकर अपने घर में जा छिपे. अपराधी बड़े आराम से मौके से निकल गये.

दारोगा को गंभीर चोट आयी

घर में जा घुसे दारोगा ने थाने में फोन कर मामले की जानकारी दी. इसके बाद थाने से पुलिसकर्मी वहां पहुंचे और दरोगा को इलाज के लिए विक्रमगंज अनुमंडल अस्पताल ले गये. विक्रमगंज अनुमंडल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सासाराम सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. दरोगा को शरीर पर कई जगह चोट आयी है. हालांकि शुक्रवार को उन्हें इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है.

पुलिस ने कहा- पीटने वालों को पहचान लिया

दारोगा को दौड़ा कर पीटने का मामला पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग कह रहे हैं कि अगर पुलिस का ये हाल है तो आम लोगों का क्या होगा. उधर, विक्रमगंज एसडीपीओ का प्रभार संभाल रहे पुलिस निरीक्षक देवराज राय ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के सहारे अपराधियों की पहचान कर ली गई है. इस घटना में पांच लोग शामिल थे, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. हालांकि उन्होंने आरोपियों का नाम बताने से इनकार कर दिया. इंस्पेक्टर ने कहा कि अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद पूरी जानकारी दी जायेगी. वैसे, स्थानीय लोग कह रहे हैं कि पूरा विक्रमगंज इलाका शराब तस्करों और पियक्कड़ों का अड्डा बन गया है. उन्होंने ही इस घटना को अंजाम दिया है.

बिहार की पुलिस ऐसे ही अपराधियों से लड़ेगी: पूर्व मंत्री के राजकीय अंतिम संस्कार में फिर फुस्स हुए पुलिस के हथियार , 5 बार हो चुका है ऐसा वाकया

बिहार की पुलिस ने अपनी फजीहत का रिकार्ड बना दिया है. एक बार फिर पूर्व मंत्री के राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार के समय पुलिस की राइफल फुस्स हो गयी. 12 राइफल से पूर्व मंत्री स्व. रामधनी सिंह के अंतिम संस्कार के समय उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था. लेकिन कुल दो राइफल से गोली चली, 10 बेकार साबित हुए. राजकीय सम्मान के समय बिहार पुलिस की राइफल फेल होने का ये कम से कम चौथा वाकया है, लेकिन बिहार की पुलिस और सरकार ने अपनी फजीहत का रिकार्ड बनाने का प्रण ले रखा है।

सासाराम में हुआ वाकया

दरअसल कल बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह का निधन हो गया था. नीतीश कुमार ने उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने का एलान किया. सासाराम के पास करगहर में स्व. रामधनी सिंह का अंतिम संस्कार आज किया गया. पूरा प्रशासनिक अमला वहां जमा था. डीएम और एसपी की मौजूदगी में 12 पुलिस जवानों को फायरिंग कर स्व. रामधनी सिंह को आखिरी सम्मान देने का आदेश दिया गया।

12 में से दो राइफल से गोली चली

पुलिस के जवानों ने जब फायरिंग करना शुरू किया तो भद्द पिट गयी. कुल मिलाकर 2 राइफल से फायरिंग हो पायी. बाकी 10 राइफल से गोली ही नहीं चली. पुलिस जवानों से गोली चलवाने के लिए तैनात अधिकारी आदेश देते रह गये, राइफल से गोली नहीं निकली. अंतिम संस्कार के दौरान कई राजनेता भी मौजूद थे. वे सब पुलिस की ये हालत देखकर हतप्रभ थे।

पांचवी बार हुई फजीहत 

पिछले चार सालों में पांचवी दफे बिहार पुलिस की ये फजीहत हुई है. 2019 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार में खुद सीएम नीतीश कुमार मौजूद थे. राजकीय सम्मान से हो रहे अंतिम संस्कार में पुलिस की 22 रायफल में से किसी से भी फायर नहीं हो पाया. इस घटना के बाद देश भर में बिहार पुलिस की फजीहत हुई. बाद में सरकार ने आश्वस्त किया था ऐसा दुबारा नहीं होगा।

लेकिन लगातार ऐसी घटनायें होती रहीं. दो साल पहले मुंगेर में मौलाना वली रहमानी के अंतिम संस्कार के समय भी बिहार पुलिस की भारी फजीहत हुई. जहां गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान बिहार पुलिस के जवानों की राइफल से गोलियां नहीं चलीं. काफी मशक्कत के बाद 10 जवानों में से चार जवानों की राइफल से गोली चली, जिसके बाद किसी तरह गार्ड ऑफ ऑनर देने का कोरम पूरा किया गया।

मंदिर में डबल मर्डर से सनसनी, छत पर सोते वक्त दो लोगों की गला काटकर हत्या

सासाराम के बड्डी थाना इलाके के आलमपुर गांव में डबल मर्डर की घटना से हड़कंप मच गया। जब एक मंदिर में सोए दो लोगों की गला काटकर हत्या कर दी गई। दोनों मंदिर की छत पर सोए हुए थे। दोनों की पहचान कर ली गई है। 40 साल के नंहक पासवान की मौत मौके पर ही हो गई। जबकि एक अन्य सजन राय की मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हो गई। दोहरे हत्या की घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।

ग्रामीणों की जानकारी पर मौके पर पहुंची पुलिस मामले के छानबीन में जुट गई है। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले लिया है। पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही घटना से जुड़े साक्ष्य को इकट्ठा करने में जुट गई है।

गांव के लोगों में इस घटना को लेकर चर्चाओं का दौर बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक बदमाशों ने घटना को तब अंजाम दिया, जब दोनों गहरी नींद में सोए हुए थे। तभी धारदार हथियार से दोनों का गला काट दिया। और फिर फरार हो गए। पुलिस आरोपियों की तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही है।