मेरा नाम ऋषिकेश तिवारी है और मैं मूल रूप से बिहार के सासाराम का रहने वाला हूं. मेरी मां आंगनबाड़ी सेविका है और गांव में छोटे-छोटे बच्चों को पढाने का काम करती है. अभी कुछ दिन पहले ही बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा bpsc 67 का रिजल्ट जारी हुआ है जिसमें मुझे पूरे बिहार में 71 रैंक प्राप्त हुआ है. परिवार वालों को जब से पता चला है कि मैं एसडीएम पद के लिए चयनित हुआ हूं तब से घर में दिवाली जैसा माहौल है. मम्मी पापा खुशी से झूम रहे हैं और रिश्तेदार लोग बधाई संदेश भेज रहे हैं. मैं अपनी सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ मम्मी पापा को देना चाहता हूं।

ऋषिकेश मूल रूप से दिनारा प्रखंड के भुआवल गांव निवासी पत्रकार डॉ. ओमप्रकाश तिवारी के पुत्र है। माता सुमनलता आंगनबाड़ी सेविका हैं।

रिजल्ट निकलने के बाद ऋषिकेश तिवारी कहते हैं कि अगर इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है. लोग आरंभ में असफल होते हैं और हिम्मत हार जाते हैं जो कि नहीं करनी चाहिए. अगर आप असफल हो चुके हैं तो आपको पहले से अधिक मेहनत करनी चाहिए. एक ना एक दिन आप सफलता का स्वाद जरूर चखेंगे।

ऋषिकेश बताते हैं कि मैं पहले ही आपको बता दिया कि मैं सासाराम का रहने वाला हूं और यही से मैं मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई की है. उसके बाद ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय मैं मैंने अपना एडमिशन करवाया. वर्तमान समय में मैं दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहा हूं।

ऋषिकेश का कहना है कि उनका बड़ा भाई भी पढ़ लिखकर इंजीनियर की नौकरी कर रहा है।

उनके पिता डॉ. ओमप्रकाश तिवारी बताते हैं कि ऋषिकेश पिछले वर्ष संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा के इंटरव्यू में शामिल हुए थे। उक्त परीक्षा में अंतिम रूप से उनका चयन नहीं हो सका था, फिलहाल उसकी तैयारी में भी लगे हुए है।


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