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शपथग्रहण समारोह के दौरान जेपी नड्डा से नीतीश कुमार ने बढ़ाई नजदीकी, चिराग पासवान से दूरियां

बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हो गया है। नीतीश कुमार बिहार के 9वीं बार मुख्यमंत्री बन गये हैं तो वही सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा डिप्टी सीएम बने हैं। राजभवन में नीतीश कुमार सहित 8 मंत्रियों ने आज पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राजभवन के मंडपम में आयोजित शपथग्रहण समारोह में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए।

दिल्ली से खास तौर पर पटना शपथग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार को बधाई दी वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनका स्वागत किया। दोनों नेता जब सोफा पर बैठे थे तब जेपी नड्डा के पास चिराग पासवान भी बैठे हुए थे। इस दौरान जेपी नड्डा से नीतीश की नजदीकियां और चिराग के साथ दूरियां कैमरे में कैद हुई।

चिराग पासवान भी नई सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने आये हुए थे। इससे पहले चिराग ने कहा था कि नीतीश से उनकी नीतिगत लड़ाई जारी रहेगी। जब नीतियां बदलेगी प्रधानमंत्री की सोच आएगी तब ना। अब बिहार में एनडीए की सरकार बनी है प्रधानमंत्री की सोच को जोड़ा जाएगा। एनडीए मजबूत हो हम यही चाहते हैं।

बिहार में महागठबंधन का खेल खत्म, NDA की नई सरकार, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बने डिप्टी सीएम

 बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हो गया है। नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नीतीश कुमार 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। वही सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा दोनों डिप्टी सीएम बन गये हैं। दोनों बीजेपी नेताओं ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।

बिहार में महागठबंधन की सरकार खत्म हो चुकी है। अब फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनी है। बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने एनडीए की नई सरकार का गठन किया है। राजभवन के राजेंद्र मंडपम में शपथग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर नीतीश कुमार समेत 9 मंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर बीजेपी के तमाम नेता मौजूद रहे। इस दौरान जय श्रीराम और नरेंद्र मोदी जिंदाबाद के नारे लगे।

नीतीश कुमार ने बनाया देश में रिकॉर्ड, 9वीं बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, आज तक कोई नेता नहीं बना इतनी बार CM

बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हो गया है। नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नीतीश कुमार 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। देश में नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड बना लिया है। नीतीश कुमार ने 9 दफे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर रिकॉर्ड बनाया है। बता दें कि आज तक कोई भी नेता 9 दफे मुख्यमंत्री नहीं बने हैं।

गौरतलब है कि साल 2000 में नीतीश पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने पर बहुमत के अभाव में उन्हें जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा। पांच साल बाद नीतीश की फिर से सत्ता में वापसी हुई। दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के साझेदार के तौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। 2010 का नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी तीन चौथाई से भी अधिक सीट जीतकर सदन पहुंची।

नीतीश तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनें और सरकार चलती रही। उसके साल आया 2013 और भारतीय जनता पार्टी ने अगले ही साल होने वाले आम चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार का चेहरा बना दिया। लोकसभा चुनाव जीतने पर मोदी प्रधानमंत्री बनते। ऐसे में यह बात नीतीश कुमार को ये बात रास नहीं आई और उन्होंने नीतीश ने राजनीतिक विचारधारा और सिद्धांतों की दुहाई देते हुए एनडीए का साथ छोड़ दिया।

वहीं, 2015 में बिहार में विधानसभा चुनाव होना था। नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ने का फैसला किया। ये कहते हुए कि भारतीय जनता पार्टी को हराना वक्त की मांग है और महागठबंधन ही के जरिये ऐसा संभव है। इस चुनाव में महागठबंधन जीत गई।

नीतीश मुख्यमंत्री बने लेकिन डेढ़ साल के बाद वह सरकार गिर गई। लालू परिवार, खासकर तेजस्वी यादव का नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आने के बाद नीतीश ने इस्तीफा दे दिया। 24 घंटे के भीतर फिर वह भारतीय जनता पार्टी का समर्थन जुटाने में सफल रहे। इस तरह नीतीश 2017 में फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए।

2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर नीतीश ने चुनाव लड़ा। जीत भी गए लेकिन इस बार ये साथ 2 बरस तक भी नहीं चला।  नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में भारतीय जनता पार्टी पर ये इल्जाम लगाते हुए कि वह उनकी पार्टी को तोड़ रही है, इस्तीफा दे दिया और फिर राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। वही आज महागठबंधन से अलग होने और बीजेपी से हाथ मिलाने का नीतीश ने फैसला लिया। अब बिहार में एनडीए की नई सरकार का गठन हो गया है। नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नीतीश कुमार 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं।

9वीं बार नीतीश कुमार, कभी BJP तो कभी RJD के साथ आये, लेकिन CM बनते रहे सुशासन बाबू

बिहार में सियासी खेला यानी सत्ता परिवर्तन हो चुका है. रविवार को नीतीश कुमार ने सीएम के पद से त्याग पत्र दिया इसके साथ ही बिहार में नई सरकार के गठन का भी रास्ता साफ हो चुका है. जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक नीतीश कुमार रविवार की शाम 5 बजे एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगे. हालांकि इस बार उनके सहयोगी महागठबंधन की बजाय एनडीए यानी भाजपा समेत अन्य दल होंगे.

इसको लेकर एनडीए की संयुक्त बैठक भी हुई. बिहार में जारी सियासी उलटफेर के बीच नीतीश कुमार नवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. बात अगर नीतीश कुमार के सियासी करियर की करें तो लगभग 24 साल के इस राजनीतिक काल खंड में नीतीश कुमार ने अब तक आठ बार बिहार के सीएम की कुर्सी संभाली है. 28 जनवरी का जो नीतीश कुमार जब बिहार के सीएम की शपथ लेंगे तो यह नवीं बार होगा जब नीतीश कुमार बिहार के सीएम बनेंगे. नीतीश कुमार बिहार का सीएम बनने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में भी मंत्री थे.

नीतीश कुमार पहली बार – 3 मार्च, 2000 को बिहार के सीएम बने.नीतीश कुमार पहली बार 2000 में सात दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे. दूसरी बार नीतीश कुमार 24 नवंबर, 2005 को सीएम बने. तीसरी बार नीतीश कुमार 26 नवंबर, 2010 को बिहार की सत्ता में आये. चौथी बार नीतीश कुमार 22 फरवरी, 2015 को बिहार के सीएम बने. इसके बाद पांचवी बार 20 नवंबर, 2015 को नीतीश कुमार की ताजपोशी हुई. छठी बार नीतीश कुमार 27 जुलाई, 2017 को बिहार के सीएम बने. सातवीं बार नीतीश कुमार की बतौर सीएम 16 नवंबर, 2020 को ताजपोशी हुई,

नीतीश कुमार बिहार के सीएम के तौर पर आठवीं बार – 9 अगस्त, 2022 की शपथ ली. आज यानी 28 जनवरी को शपथ लेने के साथ ही नीतीश कुमार नौवीं बार बिहार के सीएम बनेंगे.

कुर्मी, कोइरी, भूमिहार…, नीतीश की नई कैबिनेट में जाति समीकरण का रखा गया है पूरा ख्याल

नीतीश कुमार आज शाम 5 बजे एक बार फिर से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे. वहीं नीतीश कुमार के साथ-साथ उनकी नई कैबिनेट के करीब 8 अन्य मंत्री भी राजभवन में शपथ लेने वाले हैं. नीतीश कुमार की इस नई कैबिनेट में सियासी समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. बिहार में जाति के महत्व को समझते हुए एनडीए की नई सरकार में नीतीश कुमार और बीजेपी ने सभी बड़ी जतियों के प्रतिनिधित्व को जगह दी है. इस बार तो नीतीश कैबिनेट में बीजेपी ने अपने 2 बड़े चेहरों सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम पद के लिए आगे किया है.

नीतीश कुमार: सबसे पहले बात करते हैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार की. नीतीश कुमार खुद कुर्मी जाति से आते हैं. बिहार में बीते साल हुए जातीय जनगणना के अनुसार प्रदेश में कुर्मी जाति की हिस्सेदारी 2.87 प्रतिशत के करीब है. कुर्मी जाति की कुल जनसंख्या 37 लाख 62 हज़ार 969 है. ऐसे में इस जाति के वोट बैंक को साधते हुए नीतीश कुमार के अलावा कुर्मी जाती से ही आने वाले जेडीयू नेता श्रवण कुमार को भी बिहार के नए मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.

सम्राट चौधरी: वहीं कोइरी समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को इस बार बीजेपी ने आगे लाकर डिप्टी सीएम बनाने की रणनीति बनाई है. सम्राट चौधरी कोइरी जाति से आते हैं. जातीय जनगणना के अनुसार बिहार में कोइरी जाति करीब 4.21 प्रतिशत के करीब है. इनकी संख्या 55 लाख 6 हजार 113 है. ऐसे में नीतीश कुमार की नई सरकार में कोइरी जाति को साधने के लिए सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर बड़ा जाति कार्ड खेलने की कोशिश की जाएगी.

विजय सिन्हा: नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में विजय सिन्हा को भी डिप्टी सीएम बनाया जा रहा है. विजय सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं. बिहार में भूमिहार जाति करीब 2.86 प्रतिशत के करीब है. भूमिहार जाति के लोगों की जनसंख्या 3750886 है. इस बार बीजेपी पिछड़ी जातियों के साथ-साथ स्वर्ण जातियों को लुभाते हुए सरकार में जगह दी गई है. भूमिहार जाति के वोट बैंक को साधने के लिए इस बार फिर से नीतीश कुमार के करीबी मंत्री विजय चौधरी को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी.

इन चेहरों को भी मिला मौका

वहीं इसके अलावा प्रेम कुमार जो कि कहार जाति से आते हैं. उनको भी बिहार कैबिनेट में जगह मिल रही है. इसके साथ ही यादव वोट बैंक को देखते हुए यादव कोटे से विजेंद्र यादव को भी बिहार कैबिनेट में जगह दी जाएगी. बता दें बिहार में यादवों का जाति प्रतिशत 14.26 प्रतिशत के करीब है, जो कि सबसे अधिक है. वहीं दलित समाज के वोटरों को साधने के लिए HAM नेता और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को भी नीतीश कुमार की कैबिनेट में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा राजपूत वोटरों को ध्यान में रखते हुए इस बार फिर निर्दलीय विधायक सुमित सिंह के बेटे को नीतीश कुमार अपनी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाएंगे. बता दें, नीतीश कुमार के अलावा आज सिर्फ 8 मंत्री शपथ लेंगे. लेकिन, जल्द ही नीतीश कुमार की कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा, जिसमें अन्य जातियों का पूरा ध्यान रखने की कोशिश की जा सकती है.

विधानसभा अध्यक्ष रहते नीतीश कुमार से हुई थी झड़प, अब BJP ने बनाया डिप्टी CM

रविवार की शाम बिहार में नई सरकार का गठन होने जा रहा है. नई सरकार में सीएम की कुर्सी पर भले ही पुराना चेहरा यानी नीतीश कुमार दिखेंगे लेकिन डिप्टी सीएम के तौर पर दो नए चेहरे शपथ लेंगे. ये दोनों चेहरे बीजेपी के हैं. दरअसल बीजेपी ने रविवार को पार्टी के विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को नेता और उपनेता चुना है, जिसके बाद दोनों को डिप्टी सीएम बनाया जाना है. विजय सिन्हा पहली बार बिहार में डिप्टी सीएम बनने जा रहे हैं.

विजय सिन्हा को बीजेपी का बिहार में बड़ा चेहरा माना जाता है. यही कारण है कि हाल के दिनों में उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से बढ़ा है. डिप्टी सीएम बनने से पहले वो इस समय बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. इससे पहले वो बिहार विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं. ऐसे में भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा के राजनीतिक सफर को जानना बेहद जरूरी है.

विजय 2005 से बिहार के लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वो 25 नवंबर 2020 से 24 अगस्त 2022 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी थे. साल 2017 से 2020 के दौरान बिहार में एनडीए की गठबंधन सरकार में वह श्रम संसाधन मंत्री की भूमिका भी निभा चुके हैं. विजय सिन्हा आरएसस बैकग्राउंड से आते हैं. साल 1967 में जन्मे सिन्हा ने 1982 में ही आरएसएस ज्वाइन कर लिया था. वो एएन कालेज बाढ़ में स्नातक के दौरान एबीवीपी के सक्रिय सदस्य रहे.

उन्होंने बेगूसराय के पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया है. विजय 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव रहे. पहली बार 2013 में उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया था, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इससे पहले साल 2000 में वो भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश संगठन प्रभारी भी रहे.

विजय सिन्हा 2004 में बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. उन्होंने इसके बाद बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री और बेगूसराय और खगड़िया के क्षेत्रीय प्रभारी का जिम्मा भी संभाला. 2005 में विजय सिन्हा को पहली बार लखीसराय से विधायक चुना गया. 2010 से वह लगातार इस सीट से विधायक हैं. 2017 में विजय कुमार सिन्हा नीतीश सरकार में श्रम संसाधन मंत्री भी रहे. विजय सिन्हा जब बिहार विधानसभा के स्पीकर थे तो हाउस में ही उनकी सीएम नीतीश कुमार से सदन की कार्यवाही के दौरान तीखी झड़प भी हुई थी.

राजद ने नीतीश के आदमी होने पर उठाया सवाल, महागठबंधन तोड़ने पर फूटा गुस्‍सा

नीतीश कुमार के सरकार से इस्तीफे के साथ ही राजद ने अपना मौन तोड़ते हुए  नीतीश कुमार पर हमला बोला है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने रविवार को कहा कि नीतीश जी द्वारा अचानक महा गठबंधन छोड़कर पुनः भाजपा के साथ सरकार बनाने की घोषणा से देश हतप्रभ है।

लोग जानना चाहते हैं कि 2022 में आपने अचानक भाजपा वाले गठबंधन को क्यों छोड़ दिया था और महागठबंधन में कैसे शामिल हो गए थे? महागठबंधन की ओर से कोई एक अणे मार्ग में जाकर इस गठबंधन में शामिल होने के लिए इनको न्योता देने गया था  क्या?

सबको याद होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत करते हुए तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनेगी तो हम दस लाख युवाओं को नौकरी देंगे। यह राजद के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल है। उसके जवाब में नीतीश कुमार ने क्या कहा था ?

वहीं, नीतीश कुमार 8 अगस्त 2022 को अपने सभी विधायकों के साथ पैदल चल कर राबड़ी आवास पहुंचे थे। वहां उन्होंने 2017 में गठबंधन तोड़कर भाजपा में चले जाने के लिए हाथ जोड़कर राबड़ी देवी से माफी मांगी थी। महागठबंधन के तमाम नेताओं के बीच अपने भाषण में उन्होंने वही सबकुछ कहा था जो आज कह रहे हैं। उस समय रोना रो रहे थे कि भाजपा के लोग काम नहीं करने दे रहे थे।हमेशा टकराव की बात कर रहे थे।

9 अगस्त को तेजस्वी ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 15 अगस्त को उन्हीं नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के मंच से घोषणा की थी कि दस लाख युवाओं को महागठबंधन की हमारी सरकार नौकरी तो देगी ही, हम दस लाख रोज़गार का सृजन भी करेंगे। नीतीश कुमार किसके एजेंडे की घोषणा कर रहे थे?

राजनीति के पुरानी पीढ़ी के नीतीश कुमार ने युवा तेजस्वी के एजेंडे को न सिर्फ़ कबूल किया, बल्कि उसको आगे बढ़ाया। तेजस्वी भविष्य हैं, नीतीश अतीत हैं पंद्रह अगस्त के अपने भाषण के ज़रिए नीतीश जी ने स्वयं इस पर मुहर लगाई।

‘तेजस्वी जरूरत से ज्‍यादा दबकर रहे’

महागठबंधन के संपूर्ण कार्यकाल में तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार का आचरण किया है इसको सम्पूर्ण देश ने देखा है। जरूरत से ज्‍यादा दबकर तेजस्वी रहे, ताकि नीतीश कुमार को शिकायत का तनिक भी मौका नहीं मिले। यहां तक कि अखबारों के पहले पन्ने पर मुख्यमंत्री के आदम कद तस्वीर के साथ स्वास्थ्य विभाग का विज्ञापन छपता था। उसमें, तेजस्वी जो स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनकी छोटी तस्वीर भी नहीं रहती थी। लेकिन तेजस्वी ने इस सबको अनदेखा किया।

आज नीतीश कह रहे हैं कि राजद के साथ काम करने में परेशानी हो रही थी। हम काम कर रहे थे, लेकिन वे लोग काम नहीं कर रहे थे। इसको निर्गुण प्रलाप के अलावा क्या कहा जाएगा। वाक़ई अगर ऐसी कोई शिकायत थी तो इस सिलसिले में नीतीश ने कभी लालू यादव से शिकायत की!

नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति…’

महागठबंधन से निकलने और भाजपा के साथ पुनः जाने का जो कारण नीतीश बता रहे हैं वह सरासर झूठ है। भाजपा से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा सभा में इन्होंने क्या घोषणा की थी। मिट्टी में मिल जाऊँगा….! ऐसे संकल्पों का कई नमूना गूगल पर खोजने पर मिल जाएगा।

भाजपा का अदना से अदना कार्यकर्ता तक कह चुका है कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा का दरवाजा बंद हो चुका है। इन सबके बावजूद नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति ही पुनः वहां जाने की बात सोच सकता है। स्वाभिमानहीन आदमी को क्या आदमी कहा जा सकता है।

PM मोदी बोले- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने देश को एक सूत्र में बांधा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 109वें और इस साल के पहले एपिसोड के जरिए देश को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम के चरिए पीएम मोदी रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर भी अपने अनुभव साझा करेंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणतंत्र दिवस पर हुए महिला शक्ति के प्रदर्शन पर भी चर्चा कर सकते हैं. बता दें कि देश इस साल 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर परेड के दौरान निकली झांकियों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा देखने को मिली. परेड की शुरुआत 100 महिलाओं ने शंख, नगाड़ा और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाकर की. जो भारत के इतिहास में गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार हुआ था.

108वें एपिसोड में मेंटल-फिजिकल हेल्थ पर दिया था जोर

वहीं पिछले महीने यानी दिसंबर में मन की बात के 108वें एपिसोड के दौरान पीएम मोदी ने फिट इंडिया अभियान पर चर्चा की थी. इस कार्यक्रम के दौरान चेस ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद, एक्टर अक्षय कुमार और क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर से मेंटल और फिजिकल हेल्थ की टिप्स सुनवाईं. वहीं पीएम मोदी ने 108वें एपिसोड की शुरुआत ही 108 अंक के महत्व के बारे में बताते हुए की थी. उन्होंने कहा था कि हमारे यहां 108 अंक का महत्व, उसकी पवित्रता एक गहन अध्ययन का विषय है. 108 बार मंत्र जपा जाता है. मंदिरों में 108 सीढ़ियां होती हैं, इसलिए ये एपिसोड मेरे लिए और खास हो गया है.

प्रभु राम का शासन प्रेरणा का स्त्रोत- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा कि तीसरे अध्याय के प्रारंभ में हमारे संविधान निर्माताओं ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चित्रों को स्थान दिया था. प्रभु राम का शासन, हमारे संविधान निर्माताओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत था और इसलिए 22 जनवरी को अयोध्या में मैंने देव से देश की बात की थी, राम से राष्ट्र की बात की थी. पीएम मोदी ने आगे कहा कि योध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर ने देश के करोड़ों लोगों को मानो एक सूत्र में बांध दिया है. सबकी भावना एक, सबकी भक्ति एक, सबकी बातों में राम, सबके हृदय में राम. मोदी ने कहा कि 22 जनवरी की शाम को पूरे देश ने रामज्योति जलाई, दिवाली मनाई. इस दौरान देश ने सामूहिकता की शक्ति देखी, जो विकसित भारत के हमारे संकल्पों का भी बहुत बड़ा आधार है.

26 जनवरी की परेड पर क्या बोले पीएम मोदी

मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि इस बार 26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा परेड में महिला सशक्तिकरण को देखकर हुई, जब कर्त्तव्य पथ पर, केंद्रीय सुरक्षा बलों और दिल्ली पुलिस की महिला टुकड़ियों ने कदमताल शुरू किया तो सभी गर्व से भर उठे. पीएम ने कहा कि परेड में मार्च करने वाले 20 दस्तों में से 11 दस्ते महिलाओं के थे. हमने देखा कि जो झांकी निकली, उसमें भी सभी महिला कलाकार ही थीं. जो सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, उसमें भी करीब डेढ़ हज़ार बेटियों ने हिस्सा लिया. डीआरडीओ ने जो झांकी निकाली, उसने भी सभी का ध्यान खींचा. उसमें दिखाया गया कि कैसे नारीशक्ति जल-थल-नभ, साइबर और अंतरिक्ष, हर क्षेत्र में देश की सुरक्षा कर रही है.

फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ पर भी की बात

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले मन की बात एपिसोड के दौरान फिट इंडिया, फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और न्यूट्रीशिन को लेकर भी लंबी चर्चा की थी. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कार्यक्रम के आखिर में भगवान श्रीराम के भजन को सोशल मीडिया पर शेयर करने की अपील की. पीएम ने कहा था कि हैशटेग श्रीराम भजन के साथ लोग अपनी रचनाएं शेयर करें. इससे देश के सभी लोग राममय हो जाएंगे.

11 विदेशी भाषाओं में होता है मन की बात का प्रसारण

बता दें कि पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का प्रसारण 22 भारतीय भाषाओं के अलावा 29 बोलियों में भी किया जाता है. इसके अलावा मन की बात कार्यक्रम फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी समेत 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है. जिसे आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों से प्रसारित किया जाता है.

मन की बात में क्या बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत में कहा कि अमृतकाल में एक नई उमंग है नई तरंग है. दो दिन पहले हम सभऊी देशवासियों ने 75वां गणतंत्र दिवस बहुत धूमधाम से मनाया. इस साल हमारे संविधान के भी 75 वर्ष हो रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के भी 75 वर्ष हो रहे हैं. हमारे लोकतंत्र के ये पर्व मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत को और सशक्त बनाते हैं. भारत का संविधान इतने गहन मंथन के बाद बना है कि उसे जीवंत दस्तावेज कहा जाता है. इसी संविधान के मूलभूत प्रति के तीसरे अध्याय में भारत के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का वर्णन किया गया है.

प्रभु राम का शासन प्रेरणा का स्त्रोत- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा कि तीसरे अध्याय के प्रारंभ में हमारे संविधान निर्माताओं ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चित्रों को स्थान दिया था. प्रभु राम का शासन, हमारे संविधान निर्माताओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत था और इसलिए 22 जनवरी को अयोध्या में मैंने देव से देश की बात की थी, राम से राष्ट्र की बात की थी. पीएम मोदी ने आगे कहा कि योध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर ने देश के करोड़ों लोगों को मानो एक सूत्र में बांध दिया है. सबकी भावना एक, सबकी भक्ति एक, सबकी बातों में राम, सबके हृदय में राम. मोदी ने कहा कि 22 जनवरी की शाम को पूरे देश ने रामज्योति जलाई, दिवाली मनाई. इस दौरान देश ने सामूहिकता की शक्ति देखी, जो विकसित भारत के हमारे संकल्पों का भी बहुत बड़ा आधार है.

26 जनवरी की परेड पर क्या बोले पीएम मोदी

मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि इस बार 26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा परेड में महिला सशक्तिकरण को देखकर हुई, जब कर्त्तव्य पथ पर, केंद्रीय सुरक्षा बलों और दिल्ली पुलिस की महिला टुकड़ियों ने कदमताल शुरू किया तो सभी गर्व से भर उठे. पीएम ने कहा कि परेड में मार्च करने वाले 20 दस्तों में से 11 दस्ते महिलाओं के थे. हमने देखा कि जो झांकी निकली, उसमें भी सभी महिला कलाकार ही थीं. जो सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, उसमें भी करीब डेढ़ हज़ार बेटियों ने हिस्सा लिया. डीआरडीओ ने जो झांकी निकाली, उसने भी सभी का ध्यान खींचा. उसमें दिखाया गया कि कैसे नारीशक्ति जल-थल-नभ, साइबर और अंतरिक्ष, हर क्षेत्र में देश की सुरक्षा कर रही है.

नीतीश के महागठबंधन से बाहर जाने के लिए जेडीयू ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार, पढ़े पूरी रिपोर्ट

जनता दल (यूनाइटेड) ने रविवार को नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन से बाहर निकलने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया. जेडीयू ने कहा कि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व चुराना चाहती है. जेडी (यू) नेता केसी त्यागी ने दावा किया कि ममता बनर्जी को “एक साजिश के माध्यम से” गठबंधन के प्रधान मंत्री पद के चेहरे के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करने के लिए मजबूर किया गया था. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि, “कांग्रेस इंडिया गठबंधन का नेतृत्व छीनना चाहती थी. 19 दिसंबर को हुई बैठक में साजिश के तहत इंडिया गठबंधन का नेतृत्व पाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम (पीएम चेहरे के रूप में) प्रस्तावित किया गया था. जेडीयू के वरिष्ठ नेता ने कहा, ”मुंबई में हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि बिना किसी पीएम चेहरे के इंडिया गठबंधन काम करेगा.”

कांग्रेस पर जेडीयू का बड़ा आरोप

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सीट बंटवारे की बातचीत को खींचती रही. केसी त्यागी ने कहा कि, “एक साजिश के तहत, ममता बनर्जी को खड़गे का नाम पीएम चेहरे के रूप में प्रस्तावित करने के लिए मजबूर किया गया था…अन्य सभी दलों ने कांग्रेस के खिलाफ लड़कर अपनी पहचान बनाई है…कांग्रेस सीट बंटवारे को खींचती रही, हम कहते रहे कि सीट साझा करने की जरूरत है.” उन्होंने कहा महागठबंधन के पास बीजेपी के खिलाफ लड़ने की योजना की कमी है.”

बता दें कि ममता बनर्जी ने ही गठबंधन के प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किया था. नीतीश कुमार द्वारा संयोजक पद से इनकार करने के बाद बाद में खड़गे को विपक्ष के गुट के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. नीतीश कुमार ने इस बात से इनकार किया था कि वह गठबंधन का चेहरा बनना चाहते हैं और कहा था कि नेतृत्व के सवाल पर बाद में चर्चा की जाएगी. शुक्रवार को जदयू के एक विधायक ने दावा किया कि महागठबंधन गठबंधन में नीतीश कुमार का अपमान किया जा रहा है और वह अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं.

कांग्रेस ने नीतीश कुमार को बताया ‘गिरगिट’

नीतीश कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद इंडिया गठबंधन की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि नीतीश कुमार के जाने से इंडिया गठबंधन भविष्य खतरे में नहीं है. उन्होंने उन्हें गिरगिट कहते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने इंडिया ब्लॉक की सभी बैठकों में भाग लिया था. उन्होंने ममता बनर्जी के नाम का भी जिक्र किया, जिन्होंने घोषणा की है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी.