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टॉपर घोटाला के मास्टमाइंड बच्चा राय के ठिकानों पर ED की रेड; जब्त संपत्ति पर कब्जा कर बना रहा था स्कूल

बिहार में टॉपर्स घोटाले के आरोपी बच्चा राय के घर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पहुंची है। ईडी की टीम बच्चा राय के घर और कॉलेज समेत कई ठिकाने पर छापेमारी कर रही है। बच्चा राय पर ईडी द्वारा जब्त की गई जमीन को हड़पने का भी आरोप है। ईडी की अलग-अलग टीम बच्चा राय के ठिकानों को खंगाल रही है।

दरअसल, हाल में ही ईडी ने वैशाली जिले के भगवानपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें ईडी की ओर से बच्चा राय पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। ईडी ने दबंगों के कब्जे से अपनी जमीन को छुड़ाने के लिए बिहार पुलिस से गुहार लगाई थी।

ईडी के सहायक निदेशक राजीव रंजन ने भगवानपुर थाना में 24 नवंबर को आवेदन दिया है. इस मामले में 29 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई है. कब्जे वाली जमीन पर शिक्षा माफिया बच्चा राय द्वारा भवन का निर्माण कराया जा रहा था. इस मामले में सदर एसडीपीओ ओमप्रकाश ने बताया है कि ईडी की ओर से भगवानपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. हम लोग इस मामले में जांच पड़ताल कर रहे हैं. जो भी आवश्यक कार्रवाई होगी वह करेंगे।

यह छापेमारी भगवानपुर के कीरतपुर राजारामपुर में हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार, बच्चा राय ने ईडी की ओर से जब्त बिल्डिंग को अपने कब्जे में ले लिया. इतना ही नहीं बल्कि अवैध तरीके से निर्माण कराया और वह इंटरमीडिएट स्कूल खोलने वाला था. उसने बिहार बोर्ड में आवेदन भी दिया. ऐसे में इंटर टॉपर घोटाले को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं कि कहीं दोबारा खेल की नए सिरे से तैयारी तो नहीं की जा रही थी?

तेजस्वी की शादी की सालगिरह पर लालू परिवार ने तिरुपति बालाजी मंदिर में की पूजा-अर्चना, कात्यायनी का हुआ मुंडन

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजश्री यादव की शादी की दूसरी सालगिरह पर आज लालू परिवार ने तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा की. तेजस्वी ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर तस्वीर शेयर कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आज शादी की सालगिरह के विशेष दिन पर बेटी कात्यायनी का मुंडन संस्कार भी संपन्न हुआ।

तेजस्वी यादव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘आज सवेरे आंध्र प्रदेश के तिरुमाला पर्वत स्थित उत्कृष्ट शिल्प कौशल के अद्भुत उदाहरण एवं भक्ति, विश्वास और श्रद्धा के प्रतीक भगवान श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में सपरिवार पूजा-अर्चना व दिव्य दर्शन कर सकारात्मक ऊर्जा एवं आशीर्वाद प्राप्त किया तथा गर्भगृह में विराजमान भगवान वेंकटेश्वर से समस्त प्रदेशवासियों के सुख, शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए मंगल प्रार्थना की।

बिहार के उपमुख्यमंत्री ने आगे लिखा, ‘आज शादी की सालगिरह के विशेष दिन पर बेटी कात्यायनी का मुंडन संस्कार भी संपन्न हुआ। सकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करने वाले पौराणिक ऐतिहासिक व आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा ज्ञानार्जन, शुभता, दिव्य हस्तक्षेप, आध्यात्मिक सांत्वना, आत्म-साक्षात्कार, ध्यान और परमात्मा से जुड़ने का जरिया, व्यक्तिगत व सामुदायिक विकास तथा मानव जीवन के मूल उद्देश्य की गहराई को समझने की चाह रखने वालों के लिए एक मार्गदर्शन के रूप में भी कार्य करती है.’

तेजस्वी यादव और राजश्री की शादी 9 दिसंबर 2001 को हुई थी. दिल्ली में दोनों पारिवार के करीबी सदस्यों की मौजूदगी में दोनों ने सात फेरे लिए थे. राजश्री का असली नाम रेचल है और क्रिश्चियन धर्म से आती हैं. तेजस्वी और रेचल एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे. इसी साल मार्च में चैती नवरात्रि के समय पर दोनों माता-पिता बने हैं. इसलिए उसका नाम कात्यायनी रखा गया।

‘दुआ करता हूं कि…’, जीतन मांझी ने तेजस्वी को इस अंदाज में दी शादी की सालगिरह की बधाई

पटना: हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को उनकी शादी की सालगिरह की बधाई दी। मांझी ने तेजस्वी और पत्नी राजश्री को शुभकामनाएं दी। अपने एक्स हैंडल पर मांझी ने पोस्ट किया। आपको बता दें तेजस्वी यादव की सालगिरह पर पूरा लालू परिवार तिरुपति में है।

जीतन मांझी ने एक्स पर किए गए पोस्ट में लिखा कि तेजस्वी यादव और राजश्री आप दोनों को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। ईश्वर से स्वस्थ व सुखी जीवन की मंगलकामना करता हूं।

आपको बता दें बिहार की महागठबंधन सरकार से अलग होने और एनडीए में शामिल होने के बाद से मांझी लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है। हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर पर नीतीश सरकार स्वाहा नाम से यज्ञ किया था। और दलितों पर नीतीश कुमार के बयान के खिलाफ धरना दिया था। जिसको बीजेपी नेताओं का भी भरपूर सहयोग मिला था। लेकिन इन सबके बीच जीतन मांझी आरजेडी और लालू पर उतने हमलावर नहीं दिखे जितना नीतीश और जदयू पर दिखे।

वहीं तेजस्नी पत्नी संग शादी की सालगिरह तिरुपति बालाजी में मनाई। इस दौरान पिता लालू, मां राबड़ी देवी, बड़े भाई तेजप्रताप भी मौजूद रहे। आज सुबह सभी ने बालाजी के दर्शन किए और बालदान किए। वहीं बेटी कात्यायनी का मुंडन संस्कार भी आज ही के दिन कराया। जिसकी जानकारी तेजस्वी ने अपने एक्स हैंडल पर दी।

मिचौंग के बाद पछुआ हवा का प्रभाव शुरू, घना कोहरा छाया, तापमान में भारी गिरावट

पटना: चक्रवाती तूफान मिचौंग के बाद बिहार के तापमान में अचानक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. बारिश रुकते ही तापमान में गिरावट दर्ज हुई है. आज से बिहार वासियों को दिसंबर वाली ठंड का एहसास होगा. पछुआ हवा का भी प्रभाव शुरु हो गया है. अब बारिश तो नहीं होगी लेकिन घना कोहरा और तापमान में गिरावट दर्ज होने वाली है।

पटना स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आशीष कुमार के अनुसार राज्य के उत्तरी, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण मध्य भागों के एक या दो स्थानों में अगले 48 घंटों के दौरान सुबह के समय घना कोहरा छाए रहने की संभावना है।

मौसम विज्ञान केन्द्र के मुताबिक चक्रवाती तूफान के बाद आज का मौसम आम तौर पर शुष्क रहेगा. धूप खिली रहेगी लेकिन तापमान में गिरावट होने वाली है. 08 दिसंबर की रात्रि से 10 की सुबह तक अधिकांश भागों मे घना कोहरा छाए रहने की संभावना है. 10 दिसंबर से 12 दिसंबर के दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्के से मध्यम स्तर का कोहरा छाए रहने की संभावना है।

बिहार को मोदी सरकार से कोई उम्मीद नहीं’, अमित शाह की बैठक से पहले RJD विधायक सुधाकर सिंह का बयान

बिहार में 10 दिसंबर को अमित शाह की पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक होगी. 8 साल बाद यह बैठक होने जा रही है. इसको लेकर उम्मीद की जा रही है कि बिहार सहित चार राज्यों के विकास को लेकर बड़ा निर्णय हो सकता है लेकिन आरजेडी के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने क्षेत्रीय परिषद की होने वाली बैठक से नाउम्मीदी जाहिर की है।

सुधाकर सिंह ने कहा कि ज्यादा उम्मीद नहीं है. क्योंकि, 10 साल मोदी जी की सरकार में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक हुई, लेकिन बिहार के लिए अभी तक कुछ नहीं किया गया है. बिहार के विकास पर कभी केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया है. जाति और सामाजिक सर्वे हुआ, इसमें 70% लोग ऐसे हैं, जो रोजाना 60 रुपए से कम कमाते हैं. अहमदाबाद से मुंबई के लिए बुलेट ट्रेन चलाने का काम किया जा रहा है, लेकिन लंबे समय से कोसी डैम बनाने की मांग की जा रही है, इसे पूरा नहीं किया जा रहा।

सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग 2002 से तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने की. 21 साल से यह मांग लगातार केंद्र सरकार से हो रही है. अगर कोई कानून बाधा बन रही है तो विशेष सहायता में तो कोई दिक्कत नहीं है. उसको तो दिया जा सकता है. कहा कि अगर बिहार को विशेष सहायता मिले तो एजुकेशन सिस्टम, शहरीकरण सिस्टम, कोसी परियोजना अस्पताल जैसे मूलभूत सुविधा पर काम हो सकता है, लेकिन केंद्र सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया।

सुधाकर सिंह ने साफ-साफ कहा कि अगर पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार की ओर ध्यान दिया जाता तो बिहार की जीडीपी कहां से कहां चली गई होती. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि बिहार का विकास हो, इसीलिए वह ऐसा कर रही है. इस बार बैठक में क्या होगा वह देखने वाली बात होगी. बता दें कि इस बैठक में चार राज्य पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड और बिहार के मुख्यमंत्री सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

देश जीतने’ निकलेंगे नीतीश, पहले यूपी फिर झारखंड में रैली …रथ पर किन साथियों को करेंगे सवार?

लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. पांच राज्यों की सरकार को लेकर तस्वीर साफ होने के बाद अब सियासी दलों का फोकस फाइनल यानी 2024 की चुनावी लड़ाई पर है. 2024 के चुनाव को लेकर बड़े जोर-शोर से विपक्षी गठबंधन की नींव रखी गई थी जिसके भविष्य को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं. इन सबके बीच अब इंडिया गठबंधन की नींव रखने के लिए पटना से दिल्ली और कोलकाता से चेन्नई तक एक कर देने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेशनल ड्रीम पर निकलने की तैयारी में हैं।

नीतीश कुमार के नेशनल ड्रीम को उड़ान देने के लिए जेडीयू ने दो पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और झारखंड को चुना है. सीएम नीतीश की इसी महीने उत्तर प्रदेश में रैली होगी और अगले महीने यानी जनवरी में वह झारखंड में दूसरी रैली को संबोधित करेंगे. जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार की पहली रैली 24 दिसंबर को वाराणसी और दूसरी रैली 21 जनवरी को हजारीबाग में होगी. इसे लेकर जेडीयू ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

नीतीश की रैली के कार्यक्रम सामने आने के बाद अब ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या बिहार के सीएम ही पीएम के लिए विपक्षी गठबंधन का चेहरा होंगे? ताजा सियासी हालात, टीएमसी-सपा जैसे दलों की कांग्रेस को लेकर नाराजगी, हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद उसकी स्वीकार्यता को लेकर उठ रहे सवाल और अब नीतीश कुमार की रणनीति, ये सभी बातें इस चर्चा को और हवा दे रही हैं।

दरअसल, नीतीश कुमार ने 2024 की चुनावी जंग के लिए अपने नेशनल कैंपेन का शंखनाद करने के लिए उत्तर प्रदेश के जिस शहर को चुनाव है, वह है वाराणसी. वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र भी है. पीएम मोदी 2014 और 2019, दोनों ही चुनाव में वाराणसी सीट से बड़ी जीत दर्ज कर संसद पहुंचे. ऐसे में नीतीश के पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी हुंकार भरने को राष्ट्रीय स्तर पर मैसेज देने की रणनीति से जोड़कर देखा ही जा रहा है, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के लिए भी बड़ा संदेश माना जा रहा है।

पीएम ई-बस सेवा के तहत पटना सहित इन शहरों को मिलेंगी सबसे अधिक ई-बसें, खाते में रोज जमा होगा राजस्व

पीएम ई-बस सेवा योजना के तहत राज्य के प्रमुख शहरों में 400 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह बसें पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, दरभंगा एवं पूर्णिया जैसे प्रमुख शहरों में चलाई जाएंगी। पटना को करीब 100 ई-बसें मिल सकती हैं। परिवहन विभाग ने योजना से जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, योजना के तहत बसों की संख्या आबादी के अनुसार तय की जाएगी। 20 से 40 लाख तक की आबादी वाले शहरों को 150, दस से 20 लाख की आबादी वाले शहरों को 100 जबकि पांच लाख तक की आबादी वाले शहरों को 50 ई बसें मिलेंगी।

पटना को 100 बसें मिल सकती हैं

इस मानक पर पटना को सौ से अधिक जबकि मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, दरभंगा एवं पूर्णिया जैसे शहरों को करीब 50-50 बसें मिल सकती हैं। इस दिशा में परिवहन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। नए साल की पहली तिमाही में बसों का परिचालन शुरू होने की संभावना है।

अधिसूचना के अनुसार, योजना के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में 728.42 करोड़ की राशि मिलगी। इसके अनुपात में 235.20 करोड़ का राज्यांश खर्च किया जएगा। योजना का कार्यान्वयन 2023-24 से 2034-35 तक किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन के लिए एक अलग खाता खोला जाएगा। इसमें केंद्रांश व राज्यांश की राशि के साथ प्रतिदिन प्राप्त होने वाले राजस्व की राशि भी अपडेट की जाएगी।

बसों के संचालन के लिए तीन महीने के अनुमानित खर्च के अनुरूप राशि खाते में रखी जाएगी। शहरों को हर तीन महीने में बसों के संचालन का हिसाब देना होगा। राज्य स्तर पर विशेष या संयुक्त सचिव जबकि जिला स्तर पर डीएम योजना की मॉनिटरिंग करेंगे।

पटना में दिव्य कला मेला 2023 का हुआ उद्घाटन

पटना में दिव्य कला मेला 2023 का हुआ उद्घाटन

मेले का आयोजन 8 से 17 दिसंबर 2023 तक किया जाएगा

दिव्य कला मेला, पटना, श्रृंखला में ग्यारहवां मेला है 

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गाँधी मैदान पटना में शुक्रवार (8दिसंबर) से दस दिवसीय ‘दिव्य कला मेला‘ का उद्घाटन हुआ । नियमित रूप से देश भर के दिव्यांग उद्यमियों/कारीगरों के उत्पादों और शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने वाले अद्वितीय कार्यक्रम दिव्य कला मेला का आयोजन मंत्रालय द्वारा किया जाता रहा है।

दिव्यांग उद्यमियों को सशक्त बनाने के प्रयासों को जारी रखने के लिए, शुक्रवार (8 दिसंबर) से 17 दिसंबर, 2023 तक गांधी मैदान, पटना (बिहार) में दिव्य कला मेला का आयोजन किया गया है। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान नवीन शाह, आईएफएस, सीएमडी, एनडीएफडीसी, एनसीएससीडीए पटना, बिहार सरकार, पीएनबी, आईडीबीआई बैंक पटना के अधिकारी, दिव्यांगजनों के लिए काम करने वाले प्रमुख गैर सरकारी संगठन और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मेला में जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के विभिन्न हिस्सों के जीवंत उत्पाद एक साथ प्रदर्शित हैं। लगभग 20 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 100 दिव्यांग कारीगर/कलाकार और उद्यमी पटना में अपने उत्पादों और कौशल का प्रदर्शन करने आये हैं । उत्पादों में गृह सजावट और जीवन शैली, कपड़े, स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, पैकेज्ड भोजन और जैविक उत्पाद, खिलौने और उपहार, व्यक्तिगत सहायक उपकरण – आभूषण, क्लच बैग पेंटिंग आदि हैं।

10 दिवसीय ‘दिव्य कला मेला‘, पटना (बिहार) सुबह 11.00 बजे से रात 9.00 बजे तक खुला रहेगा और इसमें दिव्यांगजन कलाकारों और प्रसिद्ध पेशेवरों के प्रदर्शन सहित कई सांस्कृतिक गतिविधियाँ होंगी। कार्यक्रम में पर्यटक देश के विभिन्न क्षेत्रों के अपने पसंदीदा भोजन का आनंद भी ले सकते हैं।

यह दिव्यांगजनों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की एक अनूठी पहल है। दिव्य कला मेला दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के उत्पादों और कौशल के विपणन और प्रदर्शन के लिए एक बड़ा मंच प्रस्तुत करता है। दिव्य कला मेला, पटना 2022 से शुरू होने वाली श्रृंखला में ग्यारहवां मेला है (1) दिल्ली, 2-6 दिसंबर 2022, (2) मुंबई, 16 से 25 फरवरी 2023, (3) भोपाल, 12 से 21 मार्च 2023, (4) गुवाहाटी, 11 से 17 मई 2023 (5) इंदौर, 17 से 23 जून 2023 (6) जयपुर 29 जून से 5 जुलाई 2023 (7) वाराणसी, 15 से 24 सितंबर, 2023 (8) सिकंदराबाद, हैदराबाद 6 से 15 अक्टूबर 2023 (9) बेंगलुरु, कर्नाटक 27 अक्टूबर से 5 नवंबर, 2023 (10) चेन्नई, 17 से 26 नवंबर, 2023।

विभाग के पास इस अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए भव्य योजनाएँ हैं, जिसके हिस्से के रूप में देश भर में ‘दिव्य कला मेला‘ का आयोजन किया जा रहा है। 2023-2024 के दौरान यह कार्यक्रम 12 शहरों में आयोजित किया जाएगा।

बिहार में बदला जमीन, फ्लैट और मकान की रजिस्ट्री का नियम, अब करना होगा यह काम; CM नीतीश ने बनाया ये कानून

बिहार में बदला जमीन, फ्लैट और मकान की रजिस्ट्री का नियम, अब करना होगा यह काम : शहरों में रास्तों की बड़ी दिक्कत होती है, क्योंकि लोग जमीन खरीद कर बिना रास्ता छोड़े घर बना लेते हैं. इससे भविष्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या से निजात प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब शहरी निकाय या शहर से सटे प्लानिंग एरिया में जमीन की रजिस्ट्री तभी होगी जब 20 फीट की जमीन रास्ता के लिए छोड़ी जाएगी. इस मुद्दे पर नगर विकास और आवास विभाग ने मद्य निषेध और निबंधन विभाग के सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें इस निर्णय को सख्ती से लागू करवाने की बात की गई है.

बिहार के शहरी निकाय या शहर से सटे प्लानिंग एरिया में जमीन की रजिस्ट्री में प्लॉटिंग के लिए 20 फीट रोड़ या रास्ता छोड़ना अब अनिवार्य होगा. जमीन की रजिस्ट्री में मार्ग का उल्लेख करते हुए रजिस्ट्री प्रॉसेस पूरा किया जाएगा. राज्य के नगरपालिका और आयोजना क्षेत्रों में प्लॉटिंग के द्वारा भूखंडों की खरीद-बिक्री या 25 डिसमिल से कम क्षेत्रफल वाले भूखंड की खरीद-बिक्री के समय भूखंड के सामने कम से कम 20 फीट चौड़ी सड़क के लिए जमीन छोड़ना अब अनिवार्य होगा. नगर विकास और आवास विभाग ने की गई जांच में पाया गया है कि कई क्षेत्रों में प्लॉटिंग के बिना जमीन की रजिस्ट्री हो रही है, जिससे रोड़ के लिए जगह मिलना मुश्किल हो रहा है. इस समस्या का समाधान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

रजिस्ट्री के समय ऐसी जगहों पर जहां पथ या रोड़ के लिए 20 फीट जमीन छोड़ना संभव नहीं हो पाए, उस स्थिति में संबंधित डीएम की लिखित अनुमति या अनापत्ति के बाद ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाएगी. यहां बताया जा रहा है कि बिल्डिंग बायलॉज में सड़कों की लंबाई के आधार पर न्यूनतम चौड़ाई का प्रावधान है, जिसमें सड़क की न्यूनतम चौड़ाई नौ मीटर है. एक एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले भूखंडों के विभाजन के क्रम में कम से कम छह मीटर चौड़ी सड़क रखने का प्रावधान किया गया है.