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ISRO के पहले सौर मिशन की सफलता पर खुश हुए NASA के वैज्ञानिक, तारीफ में जानें क्या कहा

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने शनिवार यानी आज एक और कीर्तिमान रचते हुए सौर मिशन में भी सफलता हासिल कर ली है। आदित्य एल1 शाम 4 बजे सफलतापूर्वक हेलो ऑर्बिट में प्रवेश कर गया है। इसरो की इस सफलता पर पूरा देश खुशी से झूम रहा है। पीएम मोदी समेत कई राजनेताओं ने भी इसरो को बधाई दी। अब बधाई देने वालों की लिस्ट में नासा के वैज्ञानिक का नाम भी जुड़ गया है। नासा के वैज्ञानिक अमिताभ घोष ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को इस सफलता पर दिल खोलकर बधाई दी और सराहना भी की। घोष ने कहा कि भारत अभी अधिकांश क्षेत्रों में है जहां यह वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है।

आदित्य एल1 ने रचा इतिहास, फूले नहीं समा रहे नासा के वैज्ञानिक

नासा के वैज्ञानिक अमिताभ घोष ने सौर मिशन की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अभी अधिकांश क्षेत्रों में है जहां यह वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है। और फिर ‘गगनयान’ है, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान का हिस्सा है, जिस पर अभी काम चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसरो के लिए पिछले 20 वर्ष जबरदस्त प्रगति वाले रहे हैं। ग्रह विज्ञान कार्यक्रम ने होने से लेकर आज हम जहां खड़े हैं, और विशेष रूप से आदित्य की सफलता के बाद, यह एक बहुत ही उल्लेखनीय यात्रा रही है।

नए साल में एक और मील का पत्थर

इसरो ने आज शनिवार को अपने सौर मिशन के तहत आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान को अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इस उपलब्धि की सराहना की। आदित्य-एल 1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर लैग्रेंज पॉइंट एल 1 तक पहुंच गया है। आदित्य-एल 1 ऑर्बिटर को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी 57.1 रॉकेट को पिछले साल 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले सौर मिशन का सफल लॉन्च ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग मिशन-चंद्रयान-3 के बाद हुआ था।

आदित्य एल1 में सूर्य का डिटेल में अध्ययन करने के लिए 7 अलग-अलग पेलोड हैं, जिनमें से 4 सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे। आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनग्राफ या वीईएलसी है।

वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में एकीकृत, परीक्षण और कैलिब्रेट किया गया था। यह रणनीतिक स्थान आदित्य-एल1 को ग्रहण या गुप्तता से बाधित हुए बिना सूर्य का लगातार निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगा, जिससे वैज्ञानिक सौर गतिविधियों और वास्तविक समय में अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन कर सकेंगे।

16GB RAM और बेहतरीन फीचर्स के साथ लॉन्च हुआ Vivo Y36 Pro स्मार्टफोन

चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो लगातार अपने नए स्मार्टफोन भारतीय मार्केट में लॉन्च कर रहा है कुछ समय पहले भी कंपनी ने अपने नये स्मार्टफोन Y36 Series को मार्केट में लॉन्च किया था जिसके अंतर्गत वीवो कंपनी ने अपने नये 5G Smartphone Vivo Y36 Pro को लॉन्च किया था जो काफी सुर्खियों में था । आज हम वीवो कंपनी के इसी स्मार्टफोन के बारे में बात करने वाले हैं ।

वीवो कंपनी के इस शानदार स्मार्टफोन में आपको खतरनाक फीचर्स और शानदार की क्वालिटी देखने को मिल जाएगी Android V13 पर बेस्ड कंपनी के इस स्मार्टफोन में 6.64 इंचेस की एक बड़ी डिस्प्ले के साथ 5000 mAh की बैटरी और क्वालकॉम स्नैपड्रेगन का एक शानदार प्रोसेसर भी दिया गया है साथ में इस स्मार्टफोन और भी बहुत सारे फीचर्स दिए गए हैं जिसके बारे में आगे हम बात करने वाले हैं।

Vivo Y36 Pro Smartphone Specifications and Features

Display and Processor: VIVO के इस शानदार स्मार्टफोन 90 Hz Refresh Rate के साथ 6.64 inches IPS LCD with Punch Hole Display दिया गया है जिसका स्क्रीन रिजॉल्यूशन 1080 × 2388 पिक्सल का है जिसमें आपको है 650 Nits की ब्राइटनेस देखने को मिलने वाली है इसके अलावा स्मार्टफोन की प्रोसेसर की बात करें तो इसमें Qualcomm Snapdragon 680 4G Octa Core का प्रोसेसर दिया जा गया है जो एंड्रॉयड के नए वर्जन एंड्राइड वर्जन 13 के ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है ।

Camera Features: Vivo Y36 Pro में Triple Rear Primary Camera के साथ single Selfie Camera Setup दिया गया है रियर कैमरा में आपको 50MP Rear Primary Camera, 2MP Macro Camera और 2MP Macro Sensor Lens दिया गया है साथ में स्मार्टफोन के फ्रंट में सेल्फी के लिए 16 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा दिया गया है।

Battery and Storage: अगर हम VIVO Y36 Pro स्मार्टफोन की बैटरी और स्टोरेज की बात करें तो इस स्मार्टफोन में आपकों 5000 mAh एक लंबी चलने वाली बैटरी मिल जाती है जिसको चार्ज करने के लिए 33 वाट का फास्ट चार्जिंग सपोर्ट दिया गया इसके साथ ही स्टोरेज के मामले में भी यह स्मार्टफोन का भी बेहतरीन है क्योंकि इस स्मार्टफोन में 8GB RAM के साथ 128 GB तक का Internal Storage देखने को मिल जाता है ।

Vivo Y36 Pro Price in India

VIVO ने अपने इस स्मार्टफोन Vivo Y36 Pro को फ्लिपकार्ट और अमेजॉन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर 21,999 में लिस्ट किया है लेकिन 32% डिस्काउंट के साथ आप इस स्मार्टफोन को मात्र 14,999 में खरीद सकते हैं ।

जिओ ने लांच किया सबसे सस्ता रिचार्ज प्लान, 395 में मिलेगा 3 महीना सब कुछ फ्री

अगर आप जियो के कस्टमर हैं तो सबसे सस्ता रिचार्ज प्लान 3 महीना के लिए जियो की तरफ से लांच किया गया है। अब आप बिल्कुल निश्चिंत होकर सबसे कम दाम में रिचार्ज 3 महीना का करवा सकते हैं आईए जानते हैं 395 के रिचार्ज प्लान में आपको क्या-क्या मिलेगा?

आपको क्या पता है कि जिओ के तरफ से ₹400 से काम में भी 3 महीने तक चलने वाले रिचार्ज प्लान रखे हुए। रिलायंस जिओ की तरफ से एक खास रिचार्ज पेश किया जाता है और वह है 395 में 84 दिन की वैलिडिटी के साथ यह रिचार्ज प्लान आता है।

यह रिचार्ज प्लान Jio के अलावा किसी भी टेलीकॉम कंपनी में उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि Jio का 395 रुपए वाले रिचार्ज प्लान को Value plan कहते है। खास बात यह है कि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के पास ऐसा कोई प्लान मौजूद नहीं है जो जिओ के इस प्लान को टक्कर दे सकें।

जिओ के 395 के रिचार्ज प्लान में यूजर्स को 84 दिनों के लिए वैलिडिटी मिलती है जो की अन्य प्लान के मुकाबले बहुत ही ज्यादा सस्ता है। साथी इस प्लान में कुल मिलाकर 6GB हाई स्पीड डाटा दिया जाता है मतलब कि अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल काम करते हैं या फिर ऑनलाइन वीडियो कम देखते हैं तो आप आराम से 84 दिनों तक इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा इस प्लान में कॉलिंग की सुविधा अनलिमिटेड दी गई है इस प्लान में 84 दिनों के लिए आपको 1000 एसएमएस पैक बिल्कुल फ्री मिलते हैं। इसके अलावा जिओ के 395 रुपए वाले रिचार्ज प्लान में यूजर्स को OTT सब्सक्रिप्शन बिल्कुल मुफ्त मिलता है इसमें आपको Jio TV, Jio Cinema, Jio Security और जिओ क्लाउड शामिल है।

जिओ के 395 रुपया वाले रिचार्ज प्लान को करने के लिए सबसे पहले आप लोगों को अपने मोबाइल में My Jio App को लॉगिन करना होगा। इसके बाद रिचार्ज प्लान के ऑप्शन पर क्लिक करें। क्लिक करते ही आपके सामने दिखाई देगा 395 रुपए वाला रिचार्ज प्लान इस कैटेगरी में जिओ के मोस्ट अफॉर्डेबल प्लान रिचार्ज भी मौजूद है।

इसरो ने भारत के पहले सौर उपग्रह आदित्‍य एल-1 को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित कर कीर्तिमान स्‍थापित किया

इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में बताया कि आदित्‍य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्‍दु के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 के लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपने गंतव्य तक पहुंचने की असाधारण उपलब्धि की सराहना की है।

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो ने आज आदित्य एल-1 उपग्रह को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित कर दिया। इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में बताया कि आदित्‍य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्‍दु के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया गया है। इसरो ने इसके लिए कमान केन्‍द्र से मोटर और थ्रस्‍टर का प्रयोग किया। यह बिन्‍दु पृथ्‍वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। अंतरिक्ष यान में 440 न्‍यूटन लिक्विड अपोजी मोटर, आठ 22 न्‍यूटन थ्रस्‍टर और चार 10 न्‍यूटन थ्रस्‍टर लगे थे जो इसे एल-1 बिन्‍दु तक ले गये।

 

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इसरो की सफलता की सराहना की है और भरोसा जताया है कि हम विज्ञान के नये क्षितिज की ओर बढ़ना जारी रखेंगे। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौदयोगिकी राज्‍यमंत्री डॉक्‍टर जितेन्‍द्र सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के लिए यह गौरवपूर्ण वर्ष है जब इसरो ने आदित्य एल-1 को उसकी अंतिम कक्षा में पहुंचा कर सफलता की गाथा लिखी है। आदित्‍य एल-1 सूर्य और पृथ्‍वी के संबंधों का अध्ययन करेगा।

आदित्‍य एल-1 भारत का पहला सौर अभियान है जो सूर्य के कोरोना, सूर्य के भीषण ताप और पृथ्‍वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा।

भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 के गंतव्य पर पहुंचने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की सराहना

राष्ट्रपति ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई दी

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 के लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपने गंतव्य तक पहुंचने की असाधारण उपलब्धि की सराहना की है। राष्ट्रपति ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मिशन सौर और पृथ्वी प्रणाली के बारे में ज्ञान बढ़ाएगा और इससे पूरी मानवता को लाभ होगा। सुश्री मुर्मू ने इसरो मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी की भी सराहना की और कहा कि इससे महिला सशक्तिकरण भी नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सोशल मीडिया पोस्‍ट में कहा कि सर्वाधिक जटिल और उलझे अंतरिक्ष अभियानों में से एक को सफल बनाने के लिए यह वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रतीक है। उन्‍होंने कहा कि देश, मानवता की भलाई के लिए विज्ञान के नये लक्ष्‍यों की ओर पहुंचना जारी रखेगा।

केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौदयोगिकी मंत्री डॉक्‍टर जितेन्‍द्र सिंह ने आदित्‍य एल-1 को कक्षा में स्‍थापित करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की है। सोशल मीडिया पोस्‍ट में उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्‍व में इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है।

इसरो ने आदित्य एल-1 उपग्रह को सफलतापूर्वक स्थापित किया

इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्‍ट में बताया कि आदित्य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिंदु के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया गया है।

ISRO ने फिर रचा इतिहास… एल 1 पॉइंट में पहुंचा Aditya, अब सूर्य पर रखेगा नजर

आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 के आसपास हेलो ऑर्बिट में स्थापित करना बहुत बड़ी सफलता है, क्योंकि यहां से सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है।

ISRO ने फिर इतिहास रच दिया है.. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के करीब एक हेलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है. ‘आदित्य’ सूर्य की हर गतिविधी पर नजर रखेगा. बता दें कि लैग्रेंज प्वाइंट 1, पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है. मालूम हो कि, ISRO द्वारा बीते साल 2 सितंबर को आदित्य सोलर ऑब्जर्वेटरी को रवाना किया था, ताकि वह सूर्य की स्टडी बेहतर ढंग से कर सके।

गौरतलब है कि, ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 के आसपास हेलो ऑर्बिट में स्थापित करना बहुत बड़ी सफलता है, क्योंकि यहां से सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है. साथ ही उससे संबंधित जानकारी हासिल की जा सकती है. मालूम हो कि, लैग्रेंज प्वाइंट 1 वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है।

आदित्य के लिए सबसे अहम होगा यह समय

लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर पहुंचा Aditya-L1, PM Modi ने इस अंदाज में दी देश को बधाई

पीएम मोदी ने ‘आदित्य एल 1’ की हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने की सफलता को लेकर अपने सोशल प्लेटफॉर्म प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया।उन्होंने कहा कि, “भारत ने एक और मील का पत्थर बनाया।

ISRO एक बार फिर इतिहास रच चुका है… भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भारत के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के करीब एक हेलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है. जहां से ‘आदित्य’ सूर्य सतह पर होने वाली गतिविधियां, उसके तापमान और सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों को समझने के लिए उसपर नजर रखेगा. इसी बीच, इस सफलता के मद्देनजर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ISRO की इस सफलता पर देश को बधाई दी है।

गौरतलब है कि, पीएम मोदी ने ‘आदित्य एल 1’ की हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने की सफलता को लेकर अपने सोशल प्लेटफॉर्म प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने कहा कि, “भारत ने एक और मील का पत्थर बनाया. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

बता दें कि, ‘आदित्य’ को लैग्रेंज प्वाइंट 1 के आसपास हेलो ऑर्बिट में स्थापित करना बहुत बड़ी सफलता है, क्योंकि यहां से सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है. साथ ही उससे संबंधित जानकारी हासिल की जा सकती है. मालूम हो कि, लैग्रेंज प्वाइंट 1 वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है।

मिशन का उद्देश्य.. सूर्य को समझना

बता दें कि इस आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य, सौर मंडल में सूर्य की सतह पर होने वाली गतिविधियां, उसके तापमान, और सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों को समझना है. साथ ही पृथ्वी के समीप अंतरिक्ष में मौसम संबंधी परेशानियों की जानकारी हासिल करना है. मिली जानकारी के अनुसार, इसरो के इस मिशन पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

आपने देखी है पारदर्शी लकड़ी, जानें ट्रांसपरेंट वुड कैसे बनता है और कहां होता है इस्तेमाल

आपने लकड़ी का इस्तेमाल तो कई बार किया होगा. घर बनाने से लेकर फर्नीचर और कई तमाम जगहों पर लकड़ी का इस्तेमाल होता है. कई तरह की लकड़ियां भी आपने देखी होंगी. इनमें चंदन से लेकर शीशम और सागोन की लकड़ियां काफी प्रचलित भी हैं. लेकिन क्या आपने कभी पारदर्शी लकड़ी देखी है? शायद नहीं, आप सोच रहे होंगे कि पारदर्शी लकड़ी कैसे हो सकती है, लेकिन ये सच है. पारदर्शनी लकड़ी, नवीनतम और अनोखे शैली का वुड है।

क्या है ट्रांसपरेंट वुड?
ट्रांसपरेंट वुड लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से डवलप की गई लकड़ी है. इसमें लकड़ी के गहरे तंतु निकाल कर उसे पारदर्शी बनाया जाता है.  यह नया मैटीरियल आधुनिक डिजाइन और स्थायित्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इसका इस्तेमाल कई चीजों में किया जाने लगा है, जहां पर टूट-फूट की ज्यादा उम्मीद होती है उन जगहों पर भी अब इस पारदर्शी लकड़ी का यूज हो रहा है।

कैसे बनता है ट्रांसपरेंट वुड?
लकड़ी की प्राप्ति: पहले, एक विशेष प्रकार की लकड़ी  जैसे कि बीर्च लकड़ी का चयन किया जाता है. इसके बाद इस लकड़ी को कीटाणुरहित करने के लिए उच्च तापमान और दबाव वाली जगह पर रखा जाता है. इस दौरान लकड़ी के स्ट्रक्चर को टूटने से बचाया जाता है.  इसके बाद हेमीसेल्यूलोज,जो लकड़ी की सबसे मुख्य रेखा है उसको निकालने का काम किया जाता है।

पॉलिमर को जोड़ना:
हेमीसेल्यूलोज को निकालने के बाद इसे एक पॉलिमर के साथ मिश्रित यानी मिलाया जाता है. जो उसे पारदर्शी यानी ट्रांसपरेंट बनाने में मदद करता है. यह पॉलिमर एक सजीव साझेदार का कार्य करता है और लकड़ी को उच्च पारदर्शिता प्रदान करता है।

क्या है इस ट्रांसपरेंट वुड का यूज और फायदा

1. आर्किटेक्चर: 
ट्रांसपरेंट वुड को भव्य आर्किटेक्चर और डिजाइन में इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे ना सिर्फ आर्किटेक्चर मजबूत होता है बल्कि सुंदर और स्टाइलिश भी दिखता है।

2. ऊर्जा बचत:
ट्रांसपरेंट वुड की खासियत है कि ये एनर्जी की बचत करता है.  इसकी पारदर्शिता के कारण, ट्रांसपरेंट वुड इंटीरियर्स में प्राकृतिक रंग और बाहरी प्रकृति के साथ संरचितता का आभास कराता है. ऐसे में एक्स्ट्रा एनर्जी यानी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती।

3. सुरक्षा में: 
यह वायरलेस दृष्टिकोण से बाहर की दुनिया को देखने का अनुभव कराता है, लेकिन उसमें पूर्णता से देखना आसान नहीं है, जिससे सुरक्षा में मदद मिलती है. यानी बाहर से कोई अंदर नहीं देख सकता है।

4. स्मार्ट फोन और टीवी की स्क्रीन:
आमतौर पर आमपने स्मार्ट फोन या टेलीविजन में ग्लास, कांच या फिर प्लास्टिक की स्क्रीन देखी होगी, लेकिन अब वक्त बदल रहा है और टेक्नोलॉजी के जरिए आप ट्रांसपरेंट वुड का इस्तेमाल स्मार्ट फोन और टेलीविजन में भी देख पाएंगे. यानी ना सिर्फ अलग एक्सपीरियंस होगा बल्कि आपके गैजेट और भी मजबूत होंगे।

लकड़ी से कैसे बनेगा ग्लास?
बता दें कि लकड़ी को एक ट्रांसपरेंट ग्लास बनाने के लिए रिसर्चर्स ने लिगनिन (Lignin) नाम के सब्सटेंस को मॉडिफाई और रिमूव किया. फिर ब्राउन कलर को भी खत्म कर दिया और इसके बाद इपोक्सी रेसिन से इसे ट्रांसपरेंट कर दिया।

लकड़ी से निकल सकती है 90 फीसदी तक रोशनी
कुछ वैज्ञानिकों की रिसर्च में ये साबित हुआ है कि ट्रांसपरेंट वुड की मिलीमीटर-मोटी चादर से 90 फीसदी प्रकाश पास हो सकता है. यानी रोशनी आर-पार हो जाती है. हालांकि ये शीट एक सेंटीमीटर मोटी होने लगती है तो रोशनी का स्तर भी कम होने लगता है. मोटाई के हिसाब से ही रोशनी पार होती है।

ISRO ने रचा इतिहास, सूरज के नजदीक अपनी मंजिल पर पहुंचा आदित्य एल1, PM मोदी ने दी बधाई

2 सितंबर को इसरो के पीएसएलवी-सी57 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। अब आज शाम लगभग 4 बजे यह अपने तय एल1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा। आदित्य एल1 से जुड़ी हुई सभी अपडेट जानने के लिए जुड़े रहिए-

आदित्य एल1 की सफलता पर पीएम मोदी ने दी बधाई

भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

एल1 पॉइंट पर पहुंचा आदित्य

सूर्य मिशन पर गया आदित्य एल1 अपने तय स्थान पर स्थापित कर दिया गया है। अब यह यहां लगभग पांच साल रहेगा और सूर्य के बारे में जानकारी धरती पर अपने कमांड सेंटर में भेजेगा।

आज ISRO रचेगा इतिहास, सूर्य के और नजदीक पहुंचा आदित्य एल1, जानें मिशन से जुड़ी जानकारी

2 सितंबर को इसरो के पीएसएलवी-सी57 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। अब आज शाम लगभग 4 बजे यह अपने तय एल1 पॉइंट पर पहुंच जाएगा। आदित्य एल1 से जुड़ी हुई सभी अपडेट जानने के लिए जुड़े रहिए-

शाम चार बजे एल1 पॉइंट पर पहुंचेगा आदित्य एल1

आदित्य L1 उपग्रह का हैलो ऑर्बिट इंसरशन 4 बजे के आस पास होगा। 200 सेकंड्स से कुछ ज्यादा समय के लिए थ्रस्टर्स को फायर किया जाएगा और यान को L1 के हैलो ऑर्बिट के स्थापित किया जाएगा।