सृजन घोटाला मामले में रजनी प्रिया की गिरफ्तारी से कई अफसर और कर्मचारियों की नींद उड़ गई है। ये वे लोग हैं, जिन्होंने सृजन के पैसे से होटल, दुकान, नर्सरी, स्कूल आदि बनाया। आज ये लोग शहर के सफल व्यक्ति में शामिल हैं लेकिन कभी अवधेश मेंशन में सलामी ठोकते थे। जिसे सैंकड़ों बार रजनी प्रिया ने देखा है।

अफसर और कर्मचारियों की ह्यकाली कमाईह्ण का जुगाड सृजन के खाते में जमा होता था और ऋण के नाम पर सूद समेत वापस भी लिया जाता था। मनोरमा की मौत के बाद इनलोगों के यहां लाखों रुपए बकाया है। जिसे लेकर इनकी नींदें उड़ी हुई है। सरकारी महकमे के ऐसे लोगों को डर है कि यदि रजनी प्रिया ने उनका नाम सीबीआई को बता दिया तो उन्हें भी एजेंसी अप्राथमिक अभियुक्त मानकर चार्जशीट में घसीट सकती है।

सरकारी गवाह बनना चाहती है रजनी, पर सीबीआई तैयार नहीं

सूत्र बताते हैं कि रजनी प्रिया भी अब सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हो गई है। लेकिन रजनी को एजेंसी सरकारी गवाह बनाएगी या नहीं, यह बाद की बात है। अब तक एजेंसी ने इस बिंदु पर विचार नहीं किया है। सीबीआई ने भी जांच में पाया कि उसके दस्तखत से काफी कम राशि का वारा-न्यारा हुआ है।

बेऊर जेल में एकमात्र महिला आरोपी है रजनी

मनोरमा देवी की मौत के बाद बतौर सचिव के रूप में सृजन महिला विकास सहयोग समिति का निर्णय वही ले रही थी। इसलिए वह आरोपी बनाई गई है। रजनी को ज्यादा राशि ट्रांजेशन का मौका ही नहीं मिला, क्योंकि तब तक घोटाले का भांडा ही फूट गया। रजनी प्रिया अभी बेऊर जेल में एकमात्र महिला आरोपी के रूप में बंद हैं। इससे पहले जेल गईं सबौर निवासी पदधारक अपर्णा वर्मा, राजरानी वर्मा, रूबी कुमारी, जसीमा खातून और अंत में एनजीओ की अध्यक्ष शुभलक्ष्मी प्रसाद जेल से बाहर आ गई है।


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