विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला के चिड़िया बाजार में देसी-विदेशी नस्ल के कुत्ते को देखने और खरीदने वालों की भीड़ लग रही है। कानूनी बंदिशों के कारण यहां चिड़िया बाजार का नाम बदलकर इस बार कुत्ता बाजार रख दिया गया है।
कभी यहां रंग बिरंगी आकर्षक चिड़ियों की चहचहाहट से यह बाजार गुलजार रहा करता था। इसमें विभिन्न प्रकार के पक्षियों के अलावा बंदर और कुत्ते भी बिक्री के लिए लाए जाते थे, लेकिन पशु पक्षियों की सुरक्षा को लेकर बनाए गए कानून के बाद अब यहां बड़ी संख्या में केवल कुत्ते ही दिख रहे हैं।
इन नस्लों के कुत्ते बाजार में मौजूद
इसके साथ कुछ ऐसे पक्षी भी हैं जो कानूनी बंदिशों के दायरे में नहीं आते। यहां एक से एक डरावने एवं खतरनाक कुत्ते से लेकर उजला झबरा पोमेडियन के भौंकने की आवाज दर्शकों में कौतूहल पैदा कर रही है। इस बाजार में जर्मन सेफर्ड, हस्की, अलटोनो, लेब्रा, राडव्हीलर, डोबरमैन, ग्रेडियन, हप्सोलासा तथा जैलो एंटनी आदि नस्ल के कुत्ते उपलब्ध हैं।
बाजार के खुलते ही दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। आज भी लोग इस बाजार को चिड़िया बाजार के नाम से ही जानते हैं। इस बाजार को देखने की तमन्ना सोनपुर मेला घूमने आने वाले लगभग सभी दर्शकों की रहती है।
जैसे मेले के नखास एरिया में लगातार भीड़ बनी हुई है इसी तरह चिड़िया बाजार मार्ग की भी स्थिति बनी रहती है। इस मार्ग के दोनों तरफ विभिन्न प्रकार के वस्तुओं की दुकानें सजी हुई है। इसी मार्ग में लकड़ी बाजार, लोहा बाजार, पापड़ी बाजार सहित अनेक मीना बाजार और मुंबई बाजार आदि भी लगे हुए हैं।
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