देश में बेटों की तुलना में बेटियां कक्षा 12 के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छुक होती हैं। बेटियां मानती हैं कि शिक्षा उन्हें बेहतर गृहिणी बनने में मदद करेगी और पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि भी इसका प्रमुख कारण है। हालांकि, लड़कियों के लिए पढ़ाई जारी रखने के फैसले उनका खुद के न होकर परिवार का होता है। यह दावा शिक्षा केंद्रित गैर लाभकारी संस्था प्रथम फाउंडेशन द्वारा जारी नई वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट-2023 (एएसईआर) में किया गया है।

34,745 बच्चों पर किया गया सर्वे

‘बियांड बेसिक्स’ शीर्षक वाली एएसईआर-2023 के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14-18 आयुवर्ग के 34,745 बच्चों पर सर्वे किया गया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो ग्रामीण जिलों व अन्य सभी प्रमुख राज्यों के कम से कम एक ग्रामीण जिले में सर्वे किया गया। एएसईआर में बताया गया है कि देश में लड़कियों की तुलना में बड़ी संख्या में लड़के कक्षा 12 के बाद पढ़ना नहीं चाहते हैं। चर्चा के दौरान लड़कियों ने कम से कम स्नातक स्तर तक पढ़ाई करने की इच्छा जताई तो लड़कों ने स्कूली शिक्षा समाप्त होने के बाद पढ़ाई बंद करने की संभावना जताई।

इस समय तक बेटे शुरू कर सकते हैं काम करना

चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि बदलते सामाजिक परिदृश्य में लड़कियों के लिए कालेज स्तर तक की पढ़ाई करने के मौके बढ़े हैं। सर्वे के दौरान यह भी सामने आया कि बेटों के दिमाग में जल्द से जल्द पैसा कमाने की चाहत होती है और वित्तीय संकट के समय बेटे अपनी स्कूल की फीस तक निकालने के लिए काम शुरू कर देते हैं।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित को कम चुनती हैं बेटियां

एएसईआर के मुताबिक, कक्षा 11 में बेटियों के एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग और मैथ) स्ट्रीम चुनने की संभवना बेटों की तुलना में बहुत कम होती है। सर्वे में सामने आया कि 28.1 प्रतिशत बेटियों के एसटीईएम स्ट्रीम लेने की संभावना होती है तो बेटों में इस स्ट्रीम को लेने की संभावना 36.3 प्रतिशत तक होती है।

हालांकि, यह बात भी सामने आई कि कक्षा-11 में 55 प्रतिशत छात्र कला व मानविकी स्ट्रीम को चुनते हैं। महज 5.6 प्रतिशत युवा ही ले रहे व्यवसायिक प्रशिक्षणएएसईआर में यह भी सामने आया कि देश में महज 5.6 प्रतिशत युवा की व्यवसायिक प्रशिक्षण अथवा अन्य संबंधित पाठ्यक्रम पढ़ रहे हैं। कालेज स्तर पर युवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने की सबसे अधिक संभावना 16.2 प्रतिशत है। रिपोर्ट में सामने आया कि अधिकांश युवा छोटी अवधि (छह माह अथवा उससे कम) के प्रशिक्षण ले रहे हैं।


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