मनरेगा मजदूर के बेटे का कमाल- UPSC पास कर मजदूर-किसान माता-पिता का मान बढ़ाया : जोधपुर के सोहनलाल ने यूपीएससी पास कर वैसे कैंडीडेट‍्स के लिये नजीर पेश की है, जो आयेदिन अभावों से गुजरते हैं। अनपढ़ माता पिता के इकलौते बेटे सोहनलाल ने परिस्थितियों से कभी हार नहीं मानी और अंत में देश की सबसे सम्मानित प्रतियोगी परीक्षा पास कर ली।

सोहनलाल के जीवन में फाकाकशी का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उनके माता पिता मनरेगा के तहत मजदूरी कर अपने परिवार को भरण पोषण करते हैं। आखिरकार माता पिता की भी यह मेहनत आज सफल हो गई जब बेटे ने पूरे देश में सफलता के झंडे गाड़ दिये।

जी हां, एक मजदूर-किसान परिवार का बेटा सोहनलाल आईएएस बन गया है। अनपढ़ माता-पिता ने अपने बेटे को शिक्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह कहानी है जोधपुर की तिनवारी तहसील के रामपुरा के राम नगर में रहने वाले सोहनलाल की। उन्हें 681वीं रैंक हासिल की है।

किसान परिवार से होने के बाद भी सोहनलाल के पिता गोरधन ने सोहनलाल को मुंबई से आइआइटी कराया। सोहनलाल ने 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में की। इसके बाद कोटा 11वीं में आया। कोटा से 12वीं पास की और IIT में सिलेक्शन हो गया। 2018 में आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही आईएएस की तैयारी शुरू की। और 4 साल की तैयारी के बाद सोहनलाल का चयन हुआ।

जब पिता से बेटे के संघर्ष के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे खुशी है कि मेरे बच्चों ने हमारी मेहनत को सफल बनाया है। आज के दौर में बच्चे मोबाइल के बिना नहीं रह सकते। लेकिन, मैंने बच्चों को तब तक मोबाइल से हमेशा दूर रखा, जब तक वे पढ़ाई नहीं कर लेते। उन्होंने इसे केवल पढ़ने के लिए इस्तेमाल किया। हमें खुशी है कि हमारे बेटे ने हमारे परिवार और समाज का नाम रोशन किया है।

सोहनलाल ने बताया कि मुंबई आईआईटी से इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई पूरी करने के दौरान जब एक सीनियर का आईएएस में चयन हो गया तो उसे पता चला कि आईएएस क्या होता है। इसके बाद मेरे एक दोस्त ने मुझे मोटिवेट किया।

उन्होंने बताया कि तमाम तंगियों के बावजूद 2018 में जब प्लेसमेंट का समय आया तो अप्लाई नहीं किया। फिर मेरे दोस्त ने मुझे समझाया जिसके बाद मैंने आईआईटी फाइनल ईयर से ही तैयारी शुरू कर दी। पहली बार इंटरव्यू में पहुंचे, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो सका।

इसके बाद प्री दूसरी और तीसरी बार में भी क्लियर नहीं कर पाया तो चौथी बार में चयन हो गया। सोहनलाल ने बताया कि जब तीसरी बार मेरा चयन नहीं हुआ तो भी मैंने हार नहीं मानी, मैंने खुद को एक और मौका देने की सोची।


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