ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला अदालत में आज सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आज कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और आम सहमति बनी कि एएसआई की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को प्रदान की जाएगी। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई ने ईमेल के जरिए रिपोर्ट प्रदान करने पर आपत्ति जताई। इसलिए, हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्राप्त करने पर सहमत हुए।
हिंदू पक्ष जल्द करेगा आवेदन
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति कॉपी हिंदू और मुस्लिम पक्ष को उपलब्ध कराई जाएगी। हमारी लीगल टीम प्रमाणित प्रति के लिए जल्द ही कोर्ट में आवेदन करेगी।
जज ने सुनवाई से खुद को अलग किया
वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाना के सर्वेक्षण से इनकार संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला सुनवाई के लिए अन्य न्यायाधीश को नामित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भेजा जाएगा। अदालत ने आगे की कार्रवाई के लिए 31 जनवरी की तारीख तय की है। यह पुनरीक्षण याचिका राखी सिंह द्वारा दायर की गई है जो श्रृंगार गौरी पूजा वाद में वादकारियों में से एक हैं।
जिला कोर्ट ने खारिज की थी ये दलील
वाराणसी की अदालत ने 21 अक्टूबर, 2023 को दिए आदेश में राखी सिंह की यह दलील खारिज कर दी थी कि कथित शिवलिंग को छोड़कर वजूखाना का सर्वेक्षण प्रश्नगत संपत्ति का धार्मिक चरित्र निर्धारित करने के लिए आवश्यक है। हालांकि, राखी सिंह का आवेदन खारिज करते हुए जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने 17 मई, 2022 के अपने आदेश में उस क्षेत्र को संरक्षित करने का आदेश दिया था जहां कथित तौर पर शिवलिंग पाया गया। जिला न्यायाधीश के आदेश के अनुसार, इसलिए एएसआई को उस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देना उचित नहीं है क्योंकि इससे उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा।
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