आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की लाडली रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) गुरुवार 14 दिसंबर को औरंगाबाद के दाउदनगर पहुंचीं. रोहिणी के आते ही राजनीतिक सरगर्मियां एक बार फिर तेज हो गई हैं. उनके द्वारा काराकाट लोकसभा से चुनाव लड़ने की चर्चा भी जोर शोर से होने लगी है. दाउदनगर में उनके कदम पड़ते ही समर्थक जोर-जोर से नारा लगाने लगे.
चुनाव लड़ने पर क्या दिए संकेत?
दरअसल, रोहिणी आचार्य की दाउदनगर के हिच्छन बिगहा में ससुराल है. वे अपने ससुर की दसवीं पुण्यतिथि में गुरुवार (14 दिसंबर) को यहां आईं थीं. इस पुण्यतिथि समारोह में उनके बड़े भाई और मंत्री तेज प्रताप यादव भी शामिल हुए थे. मीडिया के सवाल पर कि चुनाव लड़ेंगी इस पर रोहिणी ने जवाब देने से मना कर दिया, हालांकि दोबारा पूछने पर कहा कि जनता की इच्छा होगी तो लड़ेंगी.
2002 में आयकर अधिकारी के बेटे से हुई थी शादी
बता दें कि वर्ष 2002 में रोहिणी की शादी यहां के निवासी मुंबई के आयकर अधिकारी रहे राव रणविजय के पुत्र समरेश सिंह से हुई थी. यह गांव उस वर्ष भी चर्चा में रहा था क्योंकि अभी के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उस वक्त अपने फंड से इनकी ससुराल तक रोहिणी समरेश पथ का निर्माण कर डाला था. बिजली विभाग के अधिकारियों ने भी गांव में बिजली के कई खंभे गाड़ कर मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं. देश-विदेश में इसकी खूब चर्चा हुई थी.
अभी हाल में भी रोहिणी आचार्य ने लालू को अपनी किडनी दान कर बिहार में बेटियों की न सिर्फ आइकन बनीं बल्कि एक पिता के लिए बेटी के महत्व को देश को समझाया. इधर उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना पर जेडीयू में भी हलचल पैदा हो गई है क्योंकि अभी काराकाट के सांसद जेडीयू के महाबली सिंह हैं.
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