बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (kk pathak) इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। वह अक्सर किसी न किसी स्कूल में औचक निरीक्षण के लिए पहुंच जाते हैं। केके पाठक के आने की सूचना मिलते ही स्कूल के शिक्षक के साथ-साथ प्रधानाध्यापक भी अलर्ट हो जाते हैं।

आलम यह है कि शिक्षकों ने व्हाट्सएप पर भी ग्रुप बना रखा है ताकि केके पाठक के औचक निरीक्षण की जानकारी अन्य शिक्षकों को भी मिल सके। हालांकि, केके पाठक के कठोर फैसले से बिहार की शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। शिक्षक जहां हर रोज सही समय पर उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं वहीं छात्रों की भी उपस्थिति देखने को मिल रही है। छात्रों का ड्रॉप आउट भी कम हुआ है।

तो चलिए आज हम आपलोगों को बताएंगे कि केके पाठक (kk pathak) कब रिटायर होंगे और वे अब तक बिहार में कौन-कौन से पद पर सेवा दे चुके हैं।

केके पाठक कब होंगे रिटायर (KK Pathak Retirement)

दरअसल, केके पाठक का जन्म 15 जनवरी 1968 को हुआ है उस हिसाब से 60 साल की उम्र में रिटायर होंगे। यानी 15 जनवरी 2028 तक रिटायर हो सकते हैं। केके पाठक की छवि कड़कमिजाज अधिकारी की है। उन्होंने अधिकांश सेवा बिहार में ही दी है।

केके पाठक ने बिहार में कौन-कौन से पद पर सेवा दी है?

केके पाठक (kk pathak) 1990 बैच के IAS अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई यूपी से की थी। 1990 में उन्हें कटिहार में पहली पोस्टिंग मिली। इसके बाद उन्होंने गिरिडीहम में एसडीओ के रूप में सेवा दी। इसके बाद उन्होंने बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ के रूप में भी सेवा दी थी।

1996 में केके पाठक पहली बार डीएम बने थे

1996 में पहली बार केके पाठक पहली बार डीएम बने थे। उन्हें गिरिडीह की कमान मिली थी। फिर लालू यादव के गृह जिले में भी उन्हें डीएम पद पर तैनाती मिली थी। यहां से ही केके पाठक चर्चा में आ गए थे, दरअसल, उन्होंने यहां लालू यादव के साले साधु यादव के एमपी फंड ले बने अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया था।

गोपालगंज में केके पाठक ने इतनी सख्ती दिखाई कि आखिर में राबड़ी सरकार ने उन्हें वापस सचिवालय भेज दिया। फिर 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनते ही उन्हें बड़ा पद दिया गया। केके पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) बनाया गया।

साल 2010 में दिल्ली जाने के बाद 2015 में फिर वापस बिहार लौटे

साल 2010 में पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे। फिर 2015 में महागठबंधन की सरकार बनते ही नीतीश कुमार ने उन्हें वापस बिहार बुला लिया। 2015 में आबकारी नीति लागू करने में केके पाठक का अहम योगदान रहा। कहा जाता है कि पूरी प्लानिंग उन्होंने ही बनाई थी। 2017-18 में फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में गए, जहां से 2021 में प्रमोशन पाकर बिहार वापस लौटे।

जून 2023 में बिहार शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव बनाए गए

केके पाठक (kk pathak) को जून 2023 में मद्य निषेध विभाग से हटाकर बिहार शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया।


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