यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर बन रही सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले 3 दिनों से भी ज्यादा समय से उसके अंदर फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब ‘एस्केप टनल’ बनाने के लिए शुरू की गयी ड्रिलिंग को ताजा भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा। अधिकारियों ने उत्तरकाशी में बताया कि मंगलवार रात साढ़े 12 बजे तक मलबे में बड़े व्यास के माइल्ड स्टील पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था लेकिन भूस्खलन होने के कारण उसे बीच में रोकना पड़ा। इस बीच, सिलक्यारा सुरंग में ड्रिलिंग के लिए स्थापित की गयी आगर मशीन भी खराब होने की सूचना है।

मंगलवार रात को भी सुरंग में गिरा था मलबा

इससे पहले मंगलवार रात को भी सुरंग में ऊपर से मलबा गिरा था। इसके बाद बनी भगदड़ जैसी स्थिति में बचाव कार्य में लगे 2 मजदूर मामूली रूप से घायल हो गए थे जिन्हें इलाज के लिए सुरंग के बाहर बनाए गए अस्थाई अस्पताल में ले जाना पड़ा। DGP अशोक कुमार ने देहरादून में बताया कि भारतीय वायु सेना से बात हो गयी है और जल्द ही दिल्ली से इससे बड़ी मशीनें मौके पर भेजी जाएंगी जिससे मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला जा सकेगा। दिल्ली से 2 हरक्यूलिस प्लेन बचाव कार्यों के लिए सामान लेकर घटनास्थल के निकट स्थित चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट पहुंचेंगे जहां से उन्हें सिलक्यारा लाया जाएगा।

मशीनों के लिए बनाया जाएगा नया प्लेटफॉर्म

सिलक्यारा स्थित पुलिस कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक, आगर मशीन को स्थापित करने के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म को तोड़ा जाएगा और बड़ी मशीनों के लिए नया प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग के लिए आगर मशीन को स्थापित करने हेतु प्लेटफॉर्म बनाने में मंगलवार को लगभग पूरा दिन लग गया था। बचाव कार्य में आई बाधा के चलते रविवार सुबह से सुरंग में फंसे श्रमिकों का बाहर आने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को मंगलवार रात या बुधवार सुबह तक श्रमिकों को बाहर निकाले जाने की उम्मीद जाहिर की थी।

मुहाने से 270 मीटर अंदर धंस गई सुरंग

900 मिमी व्यास के पाइप के जरिए ‘एस्केप टनल’ बनाकर मजदूरों को बाहर निकालने का नया प्लान सामने आने के बाद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने मंगलवार को कहा था कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो बुधवार दिन तक मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। हालांकि, सुरंग में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं जिन्हें पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन, पानी, ड्राई फ्रूट्स सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही है। चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रही सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था और तब से मजदूर उसके अंदर फंसे हुए हैं।

युद्धस्तर पर चलाया जा रहा राहत अभियान

मजदूरों को निकालने के लिए युद्वस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन के 160 बचावकर्मियों की टीम दिन रात बचाव कार्यों में जुटा हुआ है। फंसे हुए मजदूरों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी ने मौके पर पूजा भी संपन्न कराई। गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर मजदूरों के सकुशल बाहर आने के लिए प्रार्थना भी की गयी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग के अंदर जाकर अधिकारी पाइप के जरिए मजदूरों से बात कर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।

परिजनों से कराई जा रही है मजदूरों की बात

प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी मजदूरों के परिजनों को उन्हें बचाने के लिए की जा रही कोशिशों की जानकारी देते हुए उनकी मजदूरों से बात करा रहे हैं। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक 6 बिस्तरों का अस्थाई हॉस्पिटल तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीमें भी तैनात हैं जिससे श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सीय मदद दी जा सके । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सुरंग में फंसे श्रमिकों तथा उन्हें बाहर निकालने के लिए की जा रही कार्रवाई के बारे में अधिकारियों से निरंतर जानकारी ले रहे हैं।


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