छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले की लोरमी विधानसभा सीट ऐसी है जहां लगातार दो बार किसी दल का व्यक्ति जीत हासिल नहीं कर पाता। यही कारण है कि इस बार सवाल उठ रहा है क्या मिथक बरकरार रहेगा या टूटेगा?
राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दोनेां प्रमुख राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुके हैं। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण साव को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस की ओर से थानेश्वर साहू मैदान में हैं। दोनों ही उम्मीदवार साहू समाज से आते हैं और समाज की राजनीति से ही आगे बढ़े हैं। अरुण साव के राजनीतिक सफर पर गौर करें तो वह वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में बिलासपुर से जीत दर्ज की। इससे पहले उन्होंने 1996 में भजायुमो के जिला अध्यक्ष का जिम्मा संभाला था। साथ ही साहू समाज युवा प्रकोष्ठ के सचिव भी रहे। उम्र के मामले में कांग्रेस के उम्मीदवार से छोटे हैं और शिक्षा ज्यादा है।
बात कांग्रेस के उम्मीदवार थानेश्वर साहू की करें तो वह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 1990 में युवा साहू संगठन के अध्यक्ष रहे और 1997 में उन्हें 2014 में लोकसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था। लोरमी विधानसभा सीट के पिछले तीन चुनाव पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि हर चुनाव में दूसरे दल के उम्मीदवार को जीत मिलती है। वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस के धरमजीत सिंह को जीत मिली थी तो वहीं 2013 में भाजपा के तोखन साहू जीते थे और 2018 के चुनाव में कांग्रेस जनता पार्टी से धरमजीत सिंह जितने में सफल रहे थे।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसलिए लगातार एक सवाल उठ रहा है क्या इस बार मिथक टूटेगा या बना रहेगा? भाजपा के अरुण साव मैदान में हैं और अगर वे चुनाव जीतते हैं तो मिथक बरकरार रहेगा और अगर उनके खाते में हार आती है तो बीते तीन चुनाव से चला रहा मिथक टूट जाएगा।
Discover more from The Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts to your email.