भागलपुर जो अंगजनपदीय धरोहर की लोकगाथा बिहुला बिसहरी पर आधारित लोककला मंजूषा पेंटिंग भागलपुर समेत अंगक्षेत्र की अपनी एक अलग पहचान रखती है. जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है लेकिन आज अपने ही घर में मंजूषा पेंटिंग उपेक्षित दिख रही है. एक तरफ जहाँ कला संस्कृति युवा विभाग व जिला प्रशासन की ओर से भागलपुर के सैनडिस कंपाउंड में मंजूषा लोककला को बढ़ावा देने के लिए मंजूषा महोत्सव मनाया गया वहीं दूसरी ओर स्मार्ट सिटी के तहत शहर के सौंदर्यकरण के नाम पर मंजूषा पेंटिंग की जगह थ्रीडी पेंटिंग बनाया गया है.

इतना ही नहीं भागलपुर स्टेशन में भी अंगजनपदीय लोककला मंजूषा को न बनाकर मिथिला पेंटिंग उकेरी गई है जिससे अपने ही घर में मंजूषा पेंटिंग उपेक्षित दिख रही है. कई सरकारी दीवारों पर मंजूषा पेंटिंग बनाई भी गई थी लेकिन उसे भी रंगरोगन कर समाप्त कर दिया गया जिससे स्थानीय मंजूषा के कलाकारों में रोष देखा जा रहा है। लोककला मंजूषा को बढ़ावा देने के लिए यहां के क्षेत्रीय कलाकार एड़ी चोटी एक कर रहे हैं.

अंग जनपद के कलाकार मंजूषा बनाकर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं तो देश विदेश में मंजूषा पेंटिंग की अलख जगा रहे हैं लेकिन अपने ही घर में अगर इस कला को उपेक्षित किया जाएगा तो यह कहां तक सही है? अब देखने वाली बात यह होगी की कला संस्कृति युवा विभाग और जिला प्रशासन इस पर क्या संज्ञान लेती है? क्या शहर की दीवारों पर मंजूषा की जगह सिर्फ थ्रीडी पेंटिंग और मिथिला पेंटिंग ही दिखेगी.

इसको लेकर भागलपुर प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार सिंह ने कहा कि 3D पेंटिंग के साथ-साथ लोक कला को बचाने के लिए यहां के क्षेत्रीय कलाकार से मंजूषा पेंटिंग दीवारों पर फिर से उकेरी जाएगी। मंजूषा कला के कलाकार मनोज कुमार पंडित ने कहा हम लोगों को काफी दुख है की मंजूषा के जगह 3D पेंटिंग शहर की दीवारों पर बनाई जा रही है.

ठीक है हम लोग स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट हो रहे हैं लेकिन अपनी अंगजनपदीय धरोहर की लोक कला को नहीं भूलना चाहिए, हम लोग प्रशासन से मांग करते हैं कि भागलपुर के विभिन्न प्रशासनिक दीवारों पर फिर से मंजूषा कला बनबाया जाए जिससे आज के युवा भी इसे बारीकी से जानें और इस कला में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दें।