बिहार के सरकारी स्कूलों के टीचर्स को नए साल से नया टास्क मिला है। अब रोजाना शिक्षकों द्वारा ली जाने वाली कक्षा का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। एक फॉर्मेट को रोज भरना होगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक किस दिन कौन-कौन शिक्षक स्कूल आये और किसने किस घंटी में कौन सी कक्षा ली, इसकी जानकारी रोज दर्ज होगी। इसके लिए हर स्कूल में एक फार्मेट रहेगा, जिसे प्रतिदिन भरा जाएगा।
दरअसल, के के पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग के तरफ से एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि- राज्य के सभी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में रोजाना शिक्षकों द्वारा ली जाने वाली कक्षा का पूरा ब्योरा दर्ज होगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किया है। राज्य में करीब नौ हजार 300 माध्यमिक-उच्च माध्यमिक स्कूल संचालित हैं।
विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। पत्र के साथ एक फॉर्मेट का मॉडल भी दिया गया है। जिलों को निर्देश है कि इस तरह का फॉर्मेट की छपाई कर, उसके हर कॉलम को प्रतिदिन भरा जाएगा। इसमें शिक्षकों के नाम के साथ सभी घंटी का भी अलग-अलग जगह है। इसके साथ ही मिशन दक्ष के तहत चलाई जा रही अतिरिक्त कक्षा की भी जानकारी भी इस फॉर्मेट में देनी है। साथ ही प्रतिदिन इस पंजी पर स्कूल के प्रधानाध्यापक और शिक्षक हस्ताक्षर करेंगे।
मालूम हो कि,स्कूलों में पठन-पाठन को दुरुस्त करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चत करने के लेकर कई तरह की पहल की गई है। इसी कड़ी में विभाग ने यह नई योजना बनाई है, जिसमें शिक्षकों की प्रतिदिन की कक्षावार ब्योरा दर्ज किया जाएगा। इस संबंध में विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि स्कूल निरीक्षण में जाने वाले पदाधिकारी भी इस पंजी को देखेंगे।
इससे यह साफ हो जाएगा कि कौन से शिक्षक किस दिन कितनी कक्षाओं में पढ़ाए। इसका रिकॉर्ड स्कूल में रहेगा। विभाग ने पूर्व में ही यह कहा था कि स्कूल में शिक्षकों की भौतिक उपस्थिति मात्र से गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित नहीं होगी। इसिलए यह आवश्यक है कि शिक्षक नियमित रूप से बच्चों की कक्षाएं लें। इसके साथ ही मासिक परीक्षाएं भी अब ली जा रही हैं।
पठन-पाठन को बेहतर बनाने के लिए चल रहे अभियान में इस वर्ष सबसे पहले स्कूलों का नियमित निरीक्षण तय किया गया था। जुलाई, 2023 से प्रतिदिन औसतन 35 से 40 हजार स्कूलों में पदाधिकारी-कर्मचारी जाते हैं और शिक्षकों-बच्चों की उपस्थिति देखते हैं। इसके साथ ही मध्याह्न भोजन, स्कूल परिसर की सफाई, पेयजल-शौचालय की सुविधा आदि की जानकारी प्राप्त करते हैं।
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