झारखंड में सियासी भूचाल से नववर्ष का आगाज हुआ है. साल 2024 की पहली किरण निकलते ही आम लोग जहां सेलिब्रेशन के मूड में थे तो दूसरी तरफ सियासी खेमे में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. इसका अंदेशा पहले से ही था. ईटीवी भारत ने 23 दिसंबर को ही खबर पब्लिश कर बता दिया था कि नए साल का पहला सप्ताह हेमंत सरकार के लिए चुनौती भरा साबित हो सकता है।

लैंड स्कैम मामले में सीएम हेमंत सोरेन को शर्त के साथ ईडी का सातवां समन जारी होते ही ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लग गई थी. लेकिन साल 2024 के पहले ही दिन गिरिडीह के गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे पर स्पीकर की मुहर से साफ हो गया कि हेमंत सोरेन आर पार की लड़ाई की तैयारी कर चुके हैं. यह भी कहा जा सकता है कि उनके पास अब दूसरा ऑप्शन बचा भी नहीं है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजद और कांग्रेस के बाद झामुमो में आए सरफराज अहमद जैसे नेता ने इतनी आसानी से विधायक पद कैसे छोड़ दी. राजनीति के जानकारों का कहना है कि विधायक की कुर्सी के बदले अगर सरफराज अहमद को 6 साल के लिए राज्यसभा सांसद की गारंटी मिलती है तो इससे अच्छा ऑफर और क्या हो सकता है।

दरअसल, मई 2024 में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जाहिर है कि यह सीट झामुमो के खाते में आएगी. यह सीट सरफराज अहमद के लिए रिटर्न गिफ्ट साबित होगी. अब सवाल है कि गांडेय सीट ही क्यों? इसका सीधा सा जवाब है कि यहां झामुमो की पकड़ रही है. इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. अगर वह मुख्यमंत्री बनकर चुनाव मैदान में उतरती हैं तो उनका पक्ष मजबूत रहेगा क्योंकि हफीजुल हसन और बेबी देवी के मामले में यह एक्सपेरिमेंट सफल हो चुका है।

भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे और झारखंड की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले सरयू राय अपने ट्वीट के जरिए अंदेशा जता चुके हैं कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन कोई मुख्यमंत्री बनना चाहेंगे. इस दिशा में वह तब से काम कर रहे हैं, जब उनके खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला आया था. पिछले कुछ समय से कल्पना सोरेन सीएम के सभी प्रमुख विजिट में साथ रही हैं।

पहली बार शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री उनको विधानसभा की सैर करा चुके हैं. कल्पना सोरेन मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. उनकी शादी 7 फरवरी 2006 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ हुई थी. रांची में वह एक निजी स्कूल भी चलाती हैं. महिला सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रमों में काफी एक्टिव रहती हैं. ‌ एक राजनीतिक घराने से जुड़ने के बावजूद वह राजनीति में कभी एक्टिव नहीं दिखीं. लेकिन हालात बता रहे हैं कि राजनीति में उनकी एंट्री अब तय हो चुकी है।


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