संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने आज सदन में बड़ा सवाल उठा दिया। सुशील कुमार मोदी ने सदन में सवाल उठाया है कि जिस तरह से सांसद, विधायक और आईएएस, आईपीएस और अन्य अधिकारी हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करते है ठीक उसी तरह से सभी जजों की संपत्ति का ब्योरा भी सार्वजनिक होना चाहिए। उन्होंने सरकार से इसके लिए कानून बनाने की मांग की है।

दरअसल, राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने जजों की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग राज्यसभा में उठाई है। सदन में सुशील मोदी ने कहा कि देश के आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और सेंट्रल सिविल सर्विसेज के अधिकारियों को नियुक्त के वक्त और फिर हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा देना पड़ता है। सीएजी भी हर साल वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का ब्योरा देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एमएलए और एमपी का चुनाव लड़ने वाले लोगों की संपत्ति को जानना मतदाताओं का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति एमपी-एमएलए का चुनाव लड़ने के लिए खड़ा होता है तो उसे अपनी संपत्ति की जानकारी देनी पड़ती है और फिर एमपी बनने के बाद संपत्ति का ब्योरा देना होता है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री से लेकर सभी कैबिनेट मंत्री भी प्रति वर्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा देते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नही है। अगर, मंत्री, सांसद, विधायक, आईपीएस, आईएएस और अन्य अधिकारियों की तरह ही जजों के लिए भी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

सुशील मोदी ने कहा कि इसके लिए भारत सरकार वर्तमान कानून में संशोधन करे या नया कानून बनाए या कॉलेजियम इसके लिए नैकेनिजम विकसित करे। जिस तरह से एमपी एमएलए की संपत्ति जानने का अधिकार वोटर्स को है उसी तरह से जजों की संपत्ति की जानकारी भी सभी को होनी चाहिए। सुशील मोदी ने सदन को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने 7 मई 1997 को यह निर्णय लिया था कि सभी जज अपनी संपत्ति की जानकारी देंगे लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने खुद से वापस ले लिया।


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