राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के लिए लगातार एक चुनौती की तरह खड़े सचिन पायलट दिल्ली में आकर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) में किसी तरह की भूमिका निभाने के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वे राजस्थान में ही अपनी भूमिका चाहते हैं। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 6 जुलाई को राजस्थान कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में राजस्थान को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

विवाद शांत करने की कोशिश में जुटा केंद्रीय नेतृत्व

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से सचिन पायलट को दिल्ली में अहम जिम्मेदारी देने की पेशकश की गई थी लेकिन सचिन पायलट का कहना है कि वे दिल्ली में नहीं बल्कि राजस्थान में ही अपनी भूमिका चाहते हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही अंदरुनी लड़ाई को फिलहाल शांत करने की पूरी कोशिश में जुटा है। सूत्रों के मुताबिक इसी कोशिश के तहत सचिन पायलट को यह ऑफर दिया गया था। लेकिन पायलट अपनी जिद पर अड़े हैं और वे राजस्थान में ही रहना चाहते हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद चाहते हैं पायलट!

सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट का खेमा चाहता है कि वह फिर से प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बनें ताकि अगले विधानसभा चुनावों में टिकट बंटवारे में उनकी भूमिका अहम हो। प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष होने के नाते वे अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिला सकते हैं और ऐसी स्थिति में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर विधायकों एक बड़ा समर्थन उनके पक्ष में जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत ने ज्यादा विधायकों का समर्थन अपने पक्ष में होने का दावा किया था और मुख्यमंत्री बने थे।

डोटासरा-रंधावा ने पायलट के करीबी विधायक से की मुलाकात

वहीं राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इंडिया टीवी से बातचीत में कि इन सारे मसलों पर जल्द फैसला होगा। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व सचिन पायलट को राजस्थान में कोई बड़ी भूमिका देकर चुनाव तक हालात को संभाला जा सकता है। वहीं इस बीच आज गोविंद सिंह डोटासरा और सुखविंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट के करीबी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा से मुलाकात की है।

चुनाव से पहले रिस्क लेने को तैयार नहीं कांग्रेस

अब सारी निगाहें 6 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ राजस्थान कांग्रेस के नेताओं की मुलाकात पर टिकी है। दरअसल, इसी साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसी स्थिति में कांग्रेस किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। केंद्रीय नेतृत्व की पूरी कोशिश है कि किसी तरह से इस मामले को चुनाव तक टाला जाए। इससे पहले पिछले महीने अपने पिता की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि उनका जो विश्वास और वादा है उस पर न वह पहले पीछे हटे, न अब हटने वाले हैं और चाहे जो भी हो, लोगों के लिए लड़ना और उन्हें न्याय दिलाना उनका वादा था और वादा रहेगा। उन्होंने कहा था कि उन्होंने कहा कि “नीली छतरी वाला” (ईश्वर) सबसे बड़ा न्याय देता है और आज नहीं तो कल न्याय होगा।


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