श्रीलंका-बांग्लादेश के बीच सोमवार को दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेला गया वर्ल्ड कप का मुकाबला श्रीलंकाई बल्लेबाज एंजेलो मैथ्यूज के ‘टाइम आउट’ की वजह से चर्चा में रहा। मैथ्यूज को 2 मिनट के तय समय में बल्लेबाजी शुरू नहीं कर पाने के कारण टाइम आउट नियम के तहत बिना गेंद खेले आउट करार दे दिया गया। दरअसल, मैथ्यूज के हेलमेट में कुछ समस्या हुई, जिसकी वजह से उनका समय निकल गया। बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन की अपील पर अंपायर ने उन्हें पवेलियन वापस लौटा दिया। इससे मैथ्यूज काफी निराश नजर आए। श्रीलंका के मैच हारने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैथ्यूज का गुस्सा फूट पड़ा।

बल्लेबाजी शुरू करने के लिए 5 सेकंड बाकी थे

उन्होंने कहा- ”ये शर्मनाक था। अगर शाकिब और बांग्लादेश इस तरह का क्रिकेट खेलना चाहते हैं तो यह काफी निराशाजनक है। यदि मैं क्रीज पर आने में दो मिनट का समय निकाल देता तो अलग बात होती, लेकिन मैं मैदान पर तय समय में पहुंच गया था। मेरे पास बल्लेबाजी शुरू करने के लिए 5 सेकंड बाकी थे। अंपायर ने कहा कि उन्होंने मेरा हेलमेट ब्रेक होते नहीं देखा, जबकि मैं अपना हेलमेट मांग रहा था। ये कॉमनसेंस होना चाहिए था। मैं मांकडिंग जैसी बात नहीं करना चाहता, लेकिन ये तो खेल के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बात रही।”

हम सब इस खेल के एम्बेसडर

  1. इस दौरान एक रिपोर्टर ने मैथ्यूज से पूछा कि आप सम्मान की बात कर रहे हैं, लेकिन मैच के बाद आपके प्लेयर्स ने भी तो बांग्लादेश के खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया? इस पर मैथ्यूज ने कहा- ”आपको लोगों को सम्मान देना आना चाहिए। उन्हें भी इस गेम का सम्मान करना चाहिए। हम क्रिकेटर और यहां तक कि अंपायर्स इस खेल के एम्बेसडर हैं। अगर आप रेस्पेक्ट नहीं देते या कॉमनसेंस का इस्तेमाल नहीं करते तो ये गलत है। मैं अब तक शाकिब और बांग्लादेश की काफी इज्जत करता था, लेकिन इस मामले ने ठेस पहुंचाई है।”

हमारे पास वीडियो एविडेंस

मैथ्यूज ने आगे कहा- ”हमारे पास वीडियो एविडेंस हैं। जिसे हम बाद में देंगे। इसमें कैच लेने से लेकर मैदान पर जाने और हेलमेट ब्रेक होने तक का समय रिकॉर्ड है। आप बताएं, क्या मुझे अपनी सेफ्टी नहीं रखी चाहिए? अंपायर्स को भी ये बात ध्यान में रखनी चाहिए थी। विकेटकीपर तक अपनी सुरक्षा की चिंता करता है। सोचिए, कोई अपने गार्ड के बिना क्यों जाएगा। ये पूरा मामला आपके इक्विपमेंट खराब होने का था। मैं खुद जानबूझकर थोड़े ना अपना हेलमेट तोड़ना चाहता था। मैथ्यूज ने कहा- ”जहां तक मांकडिंग और ऑब्स्ट्रेक्टिंग द फील्ड की बात है तो नियम थोड़े साफ हैं, लेकिन टाइम आउट में तो कोई कॉमनसेंस नहीं है। मैंने मेरे 15 साल के करियर में ऐसा कभी नहीं देखा।”

टाइम वेस्ट करने या एडवांटेज लेने की कोशिश नहीं की

क्या अंपायर का डिसिजन गलत था? इस सवाल पर मैथ्यूज ने कहा- जी हां, मैं ऐसा मानता हूं। हमें इस पर चर्चा करनी चाहिए थी। क्या होता अगर ये निर्णायक लास्ट ओवर में होता। मैं टाइम वेस्ट करने या कोई एडवांटेज लेने की कोशिश नहीं कर रहा था। ये दिक्कत इक्विपमेंट की वजह से हुई थी। मैं एक्सक्यूज नहीं देना चाहता और किसी का सम्मान कम करने की भी कोई बात नहीं है।

इसके बाद मैथ्यूज से पूछा गया कि फोर्थ अंपायर ने कहा है कि अपने उपकरण को लेकर पूरी तरह से क्रिकेटर की जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस पर मैथ्यूज ने कहा- ये हंसने वाली बात है। अगर मैं बिना हेलमेट के जाता तो ये मेरी जिम्मेदारी होती, लेकिन इस बात के पीछे क्या लॉजिक हो सकता है।


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