2 अक्टूबर को पार्टी लॉन्च कर सकते हैं प्रशांत: 20 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव, नीतीश-तेजस्वी का खेल बिगाड़ने की रणनीति : 11 महीने से बिहार के गांव-गलियों की खाक छान रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर सक्रिय राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक 2 अक्टूबर को पीके सीतामढ़ी से अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. सीतामढ़ी माता सीता की जन्मस्थली है.प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों की मानें तो पदयात्रा का पहला चरण सीतामढ़ी में खत्म हो जाएगा, जहां पीके पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. पार्टी के नाम और सिंबल पर चर्चा फाइनल स्टेज में है. पीके कोर टीम के अधिकांश सदस्य जन सुराज नाम पर ही सहमत हैं।

पीके की नजर उत्तर बिहार की 20 लोकसभा सीटों पर हैं, जिसमें मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज, वाल्मिकीनगर, सीवान, सारण, महाराजगंज, शिवहर, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, उजियारपुर और मुजफ्फरपुर शामिल हैं. 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर ने चंपारण की धरती से पदयात्रा की शुरुआत की थी. पीके अब तक चंपारण (पूर्वी और पश्चिमी), गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली और समस्तीपुर की यात्रा कर चुके हैं।

अभी पीके की पदयात्रा मुजफ्फरपुर में है, जो दरभंगा और मधुबनी होते हुए सीतामढ़ी तक जाएगी.

प्रशांत किशोर कोर टीम के एक सदस्य ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया कि नई पार्टी में प्रशांत किशोर की भूमिका मेंटर की रहेगी. किशोर प्रचार की कमान संभालेंगे. पार्टी का जिम्मा किसी दूसरे व्यक्ति को दी जाएगी. संगठन के भीतर किसी दलित या मुस्लिम को अध्यक्ष बनाने की चर्चा है.

पार्टी संगठन का स्ट्रक्चर तृणमूल कांग्रेस की तरह होगा. प्रखंड और जिला स्तर पर संगठन बनाने की कवायद शुरू भी हो गई है. अब तक पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीवान, सारण और गोपालगंज में संगठन तैयार भी हो गया है.

इन जिलों के हर प्रखंड में एक सभापति, एक अध्यक्ष और 10 सदस्यों की टीम बनाई गई है. जिला स्तर पर कार्यकारिणी समिती बनाई गई है. पार्टी की घोषणा के बाद यहां पदाधिकारी बनाए जाएंगे.

उत्तर बिहार की 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी प्रशांत किशोर की टीम कर रही है. लोगों से सीधा संपर्क बनाने के लिए 3 तरह की रणनीति अपनाई जा रही है.

ग्राम स्तर पर 18 से 20 साल के युवाओं को साधने के लिए क्लब बनाया जा रहा है. इसे क्लब कमेटी नाम दिया गया है. इन क्लबों में खेल के सामान रखवाए गए हैं. टेलीविजन की भी व्यवस्था की गई है.

  • 20 साल से ऊपर के छात्रों को साधने के लिए युवा कमेटी बनाई गई है, जो विश्विद्यालय और कॉलेज में एक्टिव है. परीक्षा और बेरोजगारी का मुद्दा इन कमेटी को उठाने की जिम्मेदारी दी गई है.
  • महिलाओं की बुनियादी मुद्दे को उठाने के लिए ग्राम स्तर पर वुमेन कमेटी को भी सक्रिय किया गया है. पीके महिलाओं को साधने के लिए उसके बच्चे के भविष्य पर पदयात्रा में ज्यादा बात करते हैं.

जन सुराज सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की नजर तेजस्वी के युवा और नीतीश के महिला वोटरों पर हैं. प्रशांत की टीम लगातार उनके भाषण को रील्स के जरिए इंस्टाग्राम पर प्रमोट भी कर रही है.

चुनाव आयोग के 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 40 साल से कम उम्र के करीब 4 करोड़ 29 लाख वोटर्स हैं. इनमें 18 से 19 वर्ष वाले 71 लाख वोटर्स, 20 से 29 वर्ष वाले 1 करोड़ 60 लाख वोटर्स और 30 से 39 वर्ष वाले 1 करोड़ 98 लाख वोटर्स हैं.

प्रशांत किशोर के डिजिटल टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सबसे अधिक सहारा लिया जा रहा है. अब तक ‘जन सुराज’ और ‘बात बिहार की’ पेज के जरिए प्रशांत की बात को लोगों तक पहुंचाया जा रहा था.

लेकिन अब पीके फॉर सीएम पेज भी के जरिए भी सोशल मीडिया पर लोगों को साधा जा रहा है. पीके की टीम इस नाम से करीब 10 हजार पेज बनाने की तैयारी में है, जिस पर प्रशांत किशोर के भाषण और बिहार की बदहाली को दिखाया जाएगा.

अप्रैल 2023 में बिहार एमएलसी के चुनाव में प्रशांत किशोर चौंका चुके हैं. सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में विधान परिषद की सीट पर हुए उप-चुनाव में जन सुराज समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद को अप्रत्याशित जीत मिली थी.

अफाक ने कद्दावर नेता केदार पांडे के बेटे और महागठबंधन के प्रत्याशी आनंद पुष्कर को हराया था. इस जीत के बाद प्रशांत किशोर ने कहा था कि लोग हल्के में ले रहे थे, लेकिन सारण में जीत के बाद सब शांत पड़ गए हैं. सब एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर हुआ क्या है?

प्रशांत किशोर से करीबी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के बाकी जगहों पर संगठन तैयार किया जाएगा. संगठन तैयार करने के लिए प्रशांत पदयात्रा का ही सहारा ले सकते हैं.

मई 2022 में प्रशांत ने राष्ट्रीय राजनीति छोड़ बिहार में काम करने का ऐलान किया था. 2 अक्टूबर को चंपारण के भितिहरवा से उन्होंने अपनी पदयात्रा की शुरुआत की थी. पीके अब तक नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी और कांग्रेस के लिए रणनीति बना चुके हैं.


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