प्रसिद्ध यूट्यूबर और बिग बॉस फेम एल्विश यादव सांपों की तस्करी के मामले में फंस गए हैं। इस बीच ड्रग कार्टेल की जांच करने वाली एजेंसी ने सांपों की स्मगलिंग और उनके जहर से बनने वाली ड्रग्स को लेकर जांच में बड़ा खुलासा किया है। जांच के दौरान एजेंसियों को पता लगा कि ड्रग पैडलर एजेंसी को चकमा देने के लिए खास कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे।

किन कोडवर्ड का होता था इस्तेमाल?

  • किंग: कोबरा सांप
  • वाइट किंग: पाउडर या जहर से बना टेबलेट
  • वाटर किंग: जहर की बूंद
  • किंग: 24 स्नैक बाइट

थाईलैंड के इंटरनेशनल रैकेट का भी खुलासा

जांच में थाईलैंड से चलने वाले इंटरनैशनल रैकेट का भी खुलासा हुआ है। थाईलैंड से सांप या उसका जहर भारत में बांग्लादेश या नेपाल के रास्ते पहुंचता है। जबकि लोकल नेटवर्क में सांप और उसके जहर के लिए गुजरात, बंगाल और राजस्थान के लोकल स्नैक चार्मर सोर्स होते हैं।

एजेंसी के मुताबिक, इंटरनेशनल रैकेट सांप के जहर के लिए कोडवर्ड (ड्रैगन, K-72 और K-76) का इस्तेमाल करते हैं। जबकि भारत में ड्रग रैकेट का कोडवर्ड किंग रहता है।

सांप के जहर से रेव पार्टियों में नशा कैसे करते हैं लोग?

दरअसल सांपों को लेकर लोगों के मन में एक फोबिया होता है कि सभी जहरीले होते हैं, जबकि सच्चाई ये है कि अधिकांश सांप जहरीले नहीं होते और रिपोर्ट्स के मुताबिक, महज 30 फीसदी सांपों में ही जहर पाया जाता है। इन सांपों में भी कुछ सांपों के जहर का असर इंसान के दिमाग में होता है और दिमाग सुन्न हो जाता है। वहीं कुछ सांपों के जहर का असर इंसान के खून में होता है, जिससे खून जम जाता है।

आमतौर पर जो लोग नशे के लिए सांपों के जहर का इस्तेमाल करते हैं, वह उस सांप का जहर लेते हैं, जो दिमाग को सुन्न करता है। हालांकि इस जहर की डोज बहुत हल्की रखी जाती है क्योंकि इसका ज्यादा डोज पैरालाइसेस अटैक ला सकता है। इस जहर के हल्के डोज से इंसान का दिमाग कुछ घंटों के लिए सुन्न हो जाता है। सांपों के जहर से बना नशा, बाकी नशों से बहुत तेज होता है और उसका असर भी खतरनाक हो सकता है। इसकी ज्यादा मात्रा से मौत हो सकती है।


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