बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सम्प्रति राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने पूछा कि दो दिवसीय इन्वेस्टर मीट कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भाषण क्यों नहीं किया ? 2 घंटे रहे परंतु एक शब्द नहीं कहा। निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए मुख्यमंत्री का उद्बोधन अनिवार्य था। परंतु उनके सलाहकारों ने बोलने से मना कर दिया क्योंकि फिर कहीं विधान मंडल में भाषण जैसा मुंह से कुछ न निकल जाए जिससे सरकार की फजीहत हो जाए।

सुशील मोदी ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव भी नहीं आए जबकि उद्योग विभाग राजद के कोटे में है। तेजस्वी यादव को तो मना किया गया क्योंकि उनको देखते निवेशकों को लालू राज की याद आ जाती है। सुशील मोदी ने कहा कि बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स मीट में आए हुए निवेशकों पर दबाव डालकर MOU हस्ताक्षर करवाया गया ताकि किसी तरह 50 हजार करोड़ का आंकड़ा पहुंचा जा सके। SIPB से जिनका प्रस्ताव पहले ही स्वीकृत हो चुका है, पहले से जो विस्तारीकरण में लगे हैं, उन सबको MOU में शामिल कर लिया गया है। लोगों पर दबाव बनाया गया कि निवेश करना हो या न करना हो परंतु कुछ भी भर दीजिए। मुश्किल से 5 हजार करोड़ के भी गंभीर प्रस्ताव नहीं है।

उन्होंने कहा कि अदानी समूह को छोड़कर टाटा, बिरला, अंबानी, मित्तल जैसा कोई बड़ा समूह नहीं आया। बिहार के ही वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी नहीं आए। बिहार के स्थानीय उद्योग संगठन की घोर उपेक्षा की गई। मोदी ने कहा कि 2011 और 2016 की औद्योगिक नीति के तहत निवेशकों का करीब 800 करोड़ बकाया है। इसकी वसूली के लिए निवेशकों को अवमानना का मुकदमा करना पड़ रहा है, तब भी भुगतान नहीं मिल रहा है। बियाड़ा में रद्द की गई 1500 इकाइयों को पुनः बहाल किया जाए।

सुशील मोदी ने कहा कि विदेशों से आए प्रतिनिधियों में दो प्रकार के लोग थे। एक तो वह लोग थे जो जाड़े में छुट्टियां मनाने बिहार आते हैं। दूसरा राजनयिक थे जो हर राज्य के बुलावे पर पहुंच जाते हैं। मोदी ने कहा कि निवेशकों का भरोसा नीतीश, लालू, राहुल पर से समाप्त हो चुका है। भाजपा की सरकार बनेगी तभी गंभीर निवेशक बिहार आएंगे।


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