तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में 15 वर्षों से सिंडिकेट के सदस्यों का चुनाव नहीं हुआ है। जबकि सिंडिकेट में ही सभी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। छह साल बाद सीनेट का चुनाव हुआ, लेकिन विवि फिर से सिंडिकेट चुनाव कराना मानो भूल ही गया है। विवि में सिर्फ मनोनीत सदस्यों से ही सिंडिकेट की बैठक चल रही है। सिंडिकेट की बैठक प्रत्येक महीने होनी चाहिए, लेकिन वह भी नहीं ही होती है। इसके वोटर में विभिन्न संकायों के डीन, सीनेट के चयनित सदस्य आदि होते हैं।

ये होते हैं सदस्य

पूर्व सदस्य डॉ. गुरुदेव पोद्दार ने बताया कि इसमें एक राजभवन के मनोनीत व पांच राज्य सरकार के मनोनीत होते हैं। इसके अलावा निर्वाचित सदस्यों में शिक्षक प्रतिनिधि के तौर पर लेक्चरर या सहायक प्राध्यापक वर्ग में से एक सामान्य वर्ग से और एक एससी/एसटी से सदस्य निर्वाचित होते हैं। वहीं प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर वर्ग में सामान्य वर्ग और ओबीसी से एक-एक प्रतिनिधि निर्वाचित होते हैं। एक सदस्य संबद्ध कॉलेजों व एक सदस्य शिक्षकेतर वर्ग से चुने जाते हैं।

रोटेशन से पीजी विभागों के अध्यक्षों में से दो और दो कॉलेजों के प्राचार्य भी सदस्य होते हैं। इसके अलावा आयुक्त सह सचिव व शिक्षा विभाग के निदेशक भी सदस्य होते हैं। वहीं विवि के कुलपति, प्रतिकुलपति, डीएसडब्ल्यू व कुलानुशासक सदस्य होते हैं। कुलपति प्रो. जवाहरलाल ने बताया कि छात्र संघ चुनाव के बाद सिंडिकेट का चुनाव के संबंध में योजना बना ली गई है। सीनेट की अगली बैठक में प्रयास होगा कि सिंडिकेट के चयनित सदस्य भी शामिल हों।

सिंडिकेट से ही लिये जाते हैं विश्वविद्यालय के सभी निर्णय

विवि के सभी कार्यकारी निर्णय सिंडिकेट से ही लिए जाते हैं। वेतन निर्धारण, बजट, नियुक्ति, प्रोन्नति व स्थानांतरण आदि सभी तरह के निर्णय सिंडिकेट से लिए जाते हैं। सबसे अंतिम निर्वाचित सदस्य रहे डॉ. गुरुदेव पोद्दार ने बताया कि विवि का सबसे महत्वपूर्ण बॉडी होता है। उन्होंने कहा कि उनके साथ के कुछ और लोग भी चुने गये थे, लेकिन उसमें कुछ की प्रोन्नति हो गई और कुछ का निधन हो गया। सबसे अंतिम सदस्य के रूप में वही थे। अब सिंडिकेट में कोई भी चयनित सदस्य नहीं हैं, जबकि यह विवि का एक्जीक्यूटिव काउंसिल बॉडी होता है।


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