बिहार की सियासत में बड़े खेला होने के आसार दिखने लगे हैं. लोगों के बीच लगातार ये चर्चा हो रही थी कि क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे. आज बीजेपी ने इसका संकेत दे दिया है. बिहार में बीजेपी की रणनीति का जिम्मा खुद संभाल रहे गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ी बात कह दी है. कुछ दिनों पहले तक अमित शाह कह रहे थे कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गये हैं. लेकिन अमित शाह ने अपने तेवर बदल लिये हैं।

क्या कहा अमित शाह ने

गृह मंत्री अमित शाह ने एक हिन्दी अखबार को इंटरव्यू दिया है. उसमें सवाल पूछा गया कि बीजेपी के पुराने साथी जो छोड़ कर चले गये थे, जैसे कि नीतीश कुमार. क्या वे आना चाहेंगे तो रास्ते खुले हैं. अमित शाह का जवाब था-“जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती. किसी का प्रस्ताव होगा को विचार किया जायेगा.”

ये वही अमित शाह हैं जो एक-दो महीने पहले तक बिहार की जनसभाओं में खुले मंच से कह रहे थे कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गये हैं. अगर वे वापस आना भी चाहेंगे तो बीजेपी तैयार नहीं होगी. लेकिन अब अमित शाह ये कह रहे हैं कि नीतीश कुमार की ओर से कोई प्रस्ताव आता है तो विचार किया जायेगा. जाहिर है अमित शाह से संकेत दे दिया है कि अंदर ही अंदर कोई खिचड़ी पक रही है।

नीतीश भी खुद दे रहे हैं संकेत

अमित शाह का ये बयान इसलिए भी अहम हो गया है क्योंकि खुद नीतीश कुमार औऱ उनकी पार्टी बार-बार ये संकेत दे रही है कि महागठबंधन में वे असहज हैं. नीतीश कुमार के खास माने जाने वाले नेताओं ने पिछले 10 दिनों में कम से कम 10 दफे ये बयान दिया है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा तुरंत हो जाना चाहिये. सीटों का बंटवारा नहीं होने के कारण नुकसान हो रहा है. जेडीयू बार-बार ये भी कह रही है कि वह किसी सूरत में 17 सीटों से कम पर नहीं मानेगी।

जेडीयू की इस मांग पर कांग्रेस औऱ राजद दोनों का बयान बता रहा था कि दूरी किस कदर बढ़ गयी है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को मीडिया के सामने कह दिया कि इतनी जल्दी सीटों का बंटवारा नहीं होता. यानि सीटों के शेयरिंग में समय लगेगा. उधर कांग्रेस ने भी जेडीयू की मांग को खारिज कर दिया था. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी यही कह रहे हैं कि सीटों का बंटवारे में कोई हड़बड़ी नहीं है. अखिलेश सिंह ने दो दिन पहले सीटों की शेयरिंग न होने का दोष जेडीयू पर ही थोप दिया था. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार की पार्टी खुद सीट शेयरिंग के लिए बात नहीं कर रही है. जेडीयू बैठ जाये तो तुरंत सीटों का बंटवारा हो जायेगा।

राजद औऱ जेडीयू के बीच बढ़ती दूरी के कई और संकेत साफ साफ दिखने लगे हैं. 15 जनवरी को लालू के आवास पर दही-चूड़ा के भोज के बाद राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने बयान दिया कि लालू प्रसाद यादव की कृपा से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं. 2022 के अगस्त में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद के किसी नेता ने इस तरह का बयान नहीं दिया था।

वैसे राजद-कांग्रेस से जेडीयू की दूरी बढ़ने के कई और संकेत भी मिल रहे थे. तेजस्वी यादव ने काफी दिनों तक नीतीश कुमार के कार्यक्रम का बहिष्कार कर रखा था. इसी 13 जनवरी को गांधी मैदान में जब नव नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा था, तब नीतीश कुमार ने ये दावा कर दिया था कि वे अपने सात निश्चय पार्ट-2 के तहत बेरोजगारों को नौकरी दे रहे हैं. इससे तिलमिलाये राजद ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि नीतीश कुमार खुद नौकरी नहीं दे रहे हैं बल्कि तेजस्वी यादव के संकल्प को पूरा कर रहे हैं. लालू परिवार के खास माने जाने वाले विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह ने फेसबुक पर लिखा कि कोई कितना भी डींग हांक ले, नौकरी तो तेजस्वी यादव के कारण ही दिया जा रहा है।

ऐसे तमाम वाकयों से साफ दिख रहा था कि राजद-कांग्रेस से जेडीयू की दूरी बढ़ती जा रही है. अब बीजेपी के बदले स्टैंड से इन चर्चाओं को बल मिला है कि नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मार सकते हैं।


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