कांग्रेस आलाकमान को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिला था। इस न्योते पर लगभग 2 हफ़्तों तक विचार किया गया। इसके बाद कांग्रेस महासचिव का बयान आता है कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने इसके पीछे का कारण भी बताया। इसके बाद बीजेपी समेत कई अन्य दलों ने कांग्रेस पार्टी को निशने पर ले लिया। अन्य दलों के नेताओं के अलावा पार्टी को अपने नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

न्योता ठुकराना कांग्रेस पार्टी को बहुत भारी पड़ेगा

अब पार्टी के अंदर विरोध करने वाले नेताओं में एक नाम लक्ष्मण सिंह का भी जुड़ गया है। लक्ष्मण सिंह कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक हैं और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का न्योता ठुकराना कांग्रेस पार्टी को बहुत भारी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने राम मंदिर न्यास को 46 एकड़ जमीन देने की बात कही। यहां तक सब ठीक था, लेकिन इसके बाद वीर बहादुर सिंह सीएम पद से हट गए और राजीव गांधी की हत्या हो गई।

जिन्होंने लड़ाई लड़ी, अब वही फैसले ले रहे

इसके बाद राम मंदिर की लड़ाई को पूरे देश के साधू-संतों ने लड़ी। इसमें बुद्धिजीवी वर्ग के लोग, राजनीतिक दल समेत कई लोग शामिल हुए और इस लड़ाई को लड़ा। इन्होने कोर्ट में लड़ाई लड़के जीती और मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया। अब मंदिर को लेकर निर्णय वही लोग करेंगे। कांग्रेस पार्टी के निमंत्रण ठुकराने को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा कि इससे हम क्या संदेश दे रहे हैं? राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवाया था तो आप कौन हैं मना करने वाले?

चुनाव में दिखेगा न्योता ठुकराने का परिणाम

उन्होंने कहा कि आलाकमान ने कुछ ऐसे सलाहकार रखे हुए हैं, जिन्होंने यह फैसला करवाया है। इससे फायदा कुछ नहीं बल्कि नुकसान ही होगा। चुनावों में अभी तक जैसे फैसले आ रहे थे, वैसे ही आएंगे। वहीं फैसले के पुनर्विचार को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अब जो नुकसान होना था, वह हो गया है। अब फैसला बदल भी लेने से कोई फायदा नहीं होगा। अब कांग्रस पार्टी को आगामी चुनावों में इसका परिणाम भुगतना होगा।


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