कार्तिक को सनातन धर्म में धर्ममास माना गया है। यह महीना पर्व-त्येहार से भरा है। इस माह में धनतेरस, हमान गान जयंती, दीपाबली, छठ आदि पर्व आते हैं।
दीपावली 12 नवंबर को है। यह पर्व भारत में मनाए जाने बाले पर्वों में विशिष्ट है। दीपावली सनातन धर्म को एक सूत्र में बांधने का काम करती है। इसको लेकर न में खासा उत्साह दिख रहा है। वहीं दीपावली पर्व का शुभारंभ धनतेरस से हो जाता है। धनतेरस ज्रयोदशी तिथि को
मनाया जाताहै। इसबार दीपावली तक पांच दिन खरीदारी के लिए शुभ हैं। लोग अपनी
सुविधा के अनुसार घर, सोना-चांदी, बर्तन, गाड़ी, जमीन, पीतल का सामान,
इलेक्ट्रॉनिक्स समन आदि की खरीदारी कर सकते हैं। धनतेरस 0 नवंबर को है। इस दिन प्रीति योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस योग में खरीदारी करना अति लाभकारी होगा। साथ ही इस समय धार्मिक और अनुष्ठान करना मंगलकारी सिद्ध होगा। आचार्य डॉ. राजनाथ झा ने कहा कि धनतेरस के मौके पर धातु खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी, तांबा,
पीतल, कु कासा आदि खरीद सकते हैं। ऐसी मान्यता’है कि इस दिन खरीदारी करने से लाभ होता है।
5 नवम्बर को बन रहा गजब का संयोग
इस दिन राज पुष्य योग होने से सर्वार्थ सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। ऐसे शुभ संयोग में सोना-चांदी, आभूषण, . भूमि-भवन, पूंजी निबेश, व्यापर आरंभ, कीमती धातुओं, वाहन, कपड़ा, बर्तन आदि की खरीदारी करना शुभ रहेगा ज्योतिष शास्त्र मे पुष्य नथषत्र को शुभ और कल्याणकारी के साथ पोषण, ऊर्जा, शक्ति प्रदायक नक्षत्र माना गया है।
9 नवंबर
इस साल रंभा एकादशी सिद्धि योग में मनाई जाएगी। इस दिन से मां लक्ष्मी का आह्वान आरंभ है। चांदी का आभूषण, मबेशी, उपकरण, तांबे की बसस्तु. इलेक्ट्रॉनिक सामान, उपकरण आदिखरीदना शुभ कारक होगा।
10 नवंबर
इस धनतेरस और धन्बंततरि जयंती है। अबूझ मुहूर्त में सोना-चांदी का सिक्का, लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति, बर्तन, झाड़, घरेलू सामान, दीया, बाहन, मिट्टी को बर्तन खरीदना, व्यापार आरंभ करना फलदायक होगा।
11 नवंबर
दीपाबली से एक दिन पहले हनुमंत जयंती का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन गृह उपयोगी सामान के साथ अन्य उपयोगी सामान भी खरीद सकते है। इस दिन खरीदारी करना लाभदायक सिद्ध होगा।
12 नवंबर
दीपावली के दिन सौभाग्य योग बन रहा है। इस योग में खरीदारी करना अति लाभकारी होगा। इस दिन पूजन सामग्री, सत्र और शुभ मुहूर्त भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन करने से सुख, पल, संपति, वश व ऋि हल ही।
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