बॉक्स ऑफिस पर रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ जलवा काट रही है। 6 दिनों के अंदर धड़ाधड़ इस मूवी ने 300 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। जिस रफ्तार से फिल्म टिकट विंडो पर करारे नोट छाप रही है, उसे देख यह लग रहा है कि 500 करोड़ तक पहुंचने में इसे ज्यादा समय नहीं लगेगा। बहरहाल, ‘एनिमल’ कई वजहों से चर्चा में है। फिल्म के कुछ सीन और डायलॉग हैं, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बातें हो रही हैं।

रफ एंड टफ लुक में हैं रणबीर

संदीप रेड्डी वांगा के डायरेक्शन में बनी ‘एनिमल‘ में पहली बार रणबीर कपूर का रफ एंड टफ लुक देखने को मिला है। आज से पहले उन्हें कभी राउडी अवतार में नहीं देखा गया। रणबीर का कैरेक्टर ऐसा है, जो अपने पिता से बेइंतहां प्यार करता है, लेकिन बदले में उसे अपने पिता से वह प्यार तो दूर की बात है, वो इज्जत भी नहीं मिलती, जिसका वह खुद को हकदार समझता था। जब विजय (रणबीर कपूर) बड़ा होता है, तो उसकी लाइफ में एंट्री होती है गीतांजली (रश्मिका मंदाना) की, जिसके साथ वह प्यार की अलग परिभाषा लिखता है।

फिल्म में इनकी रोमांटिक केमेस्ट्री के बीच एक सीन है, जब रणबीर खुद को ‘अल्फा मेल’ बताते हैं। कई वजहों से चर्चा में आई ‘एनिमल’ इस शब्द को लेकर भी लाइमलाइट में है। आखिर क्या है ये अल्फा मेल? किसे कहते हैं अल्फा मेल? इसका जवाब कई लोग जानना चाहते हैं। तो चलिये जानते हैं कि अल्फा मेल की परिभाषा क्या होती है।

क्या होता है ‘अल्फा मेल’?

‘एनिमल’ एडल्ट मूवी है, जिसमें दिखाए गई कई चीजें लोगों को पसंद नहीं आईं। डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने फिल्म की तारीफ करने के साथ ही उस एक सीन पर आपत्ति जताई, जब रणबीर, तृप्ति डिमरी को जूतना चाटने के लिए कहते हैं। ये सारे गुण उस व्यक्ति के दिखाए गए हैं, जो खुद को अल्फा मेल बताता है। ट्रेलर देख कर ही इस बात का अंदाजा हो गया था कि रिश्तों में रणबीर का कैरेक्टर डॉमिनेटिंग पर्सनालिटी का है। अल्फा मेल यानी वह व्यक्ति, जिसका हर किसी सिचुएशन पर कंट्रोल हो। एक ऐसा इंसान, जिसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी न हिल सके।

इस बात से यह तथ्य निकलकर जरूर आता है कि अल्फा मेल लीडरशिप की क्वॉलिटी को दिखाता है। वो परिस्थितियों का आंकलन करना और मुश्किल घड़ी में मुश्किल फैसले लेना जानता है। उसका तरीका टेढ़ा हो सकता है, लेकिन उसके हिसाब से यही सही है। अगर गौर करें, तो रणबीर की बॉडी लैंग्वेज काफी मजबूत नजर आ रही है, जो कहीं न कहीं उनके कैरेक्टर की ‘अल्फा मेल’ की क्वॉलिटी को परिभाषित करता है।

‘अल्फा’ और ‘बीटा’ मेल के बीच समझिये फर्क

‘अल्फा मेल’ शब्द का इस्तेमाल 1960 से पहले शायद ही किया गया हो। इस वर्ड को एनिमल किंगडम से लिया गया है, जिसे बाद में इंसानों पर अप्लाई किया गया। यह वह व्यक्ति है, जिसके लिए सोशल स्टेट्स, पैसा और पावर सब कुछ है। इसके उल्ट होता है ‘बीटा मेल’, जो ‘अल्फा मेल’ जितना इंटीमिडेटिंग, डॉमिनेटिंग और पावरफुल न हो, लेकिन उसकी सोशल इमेज मेंटेन है।

संदीप रेड्डी की फिल्मों में ‘अल्फा मेल’?

संदीप रेड्डी वांगा, ‘कबीर सिंह’ से चर्चा में आए थे। इस मूवी में शाहिद कपूर का रोल भी ‘अल्फा मेल’ की क्वॉलिटी से थोड़ा बहुत मिलता-जुलता दिखाया गया था। फर्क सिर्फ इतना था कि कबीर सिंह लड़की के प्यार में पागल था और प्यार के लिए उसने आढ़ा टेढ़ा रास्ता अपनाया। एनिमल मूवी में रणबीर कपूर पिता का प्यार न मिलने की वजह से धीरे-धीरे रफ एंड डॉमिनेटिंग पर्सनालिटी वाला बनता चला जाता है। शायद संदीप रेड्डी वांगा की फिल्मों में हीरो वही है, जिसमें ढेरों ऐब हैं, फैमिली में उसकी बनती नहीं और जिंदगी जीने का उसका नजरिया ही इतना एडवेंचरस है कि वह बहुत से लोगों की समझ से परे है।


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