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भागलपुर की बेटी अर्चना ने गँवाया आधा शरीर, आंतरराष्ट्रीय गेम में मेडल जीत बढ़ाया देश का नाम

भागलपूर जब मन बना लिया हो ऊंची उड़ान का तो फिर कद क्या देखना आसमान का इस कथन सही साबित कर दिखाया है बांका पंजवारा की रहने वाली अर्चना कुमारी ने. मूल रूप से बांका पंजवारा के नगरी गांव की रहने वाली अर्चना कुमारी नारी शक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही है.

नौवीं कक्षा में छत से गिरने के कारण अपना आधा शरीर गँवा बैठी इसके बाद से आज तक व्हीलचेयर पर है. घटना के बाद शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस पर विराम लग गया था लेकिन अर्चना ने हिम्मत नही हारी रोजाना प्रैक्टिस जारी रखी और नेशनल पैरा एथलीट चैंपियन में सिलेक्शन हो गया. अर्चना एक के बाद एक मेडल जीतकर आगे बढ़ती गई और नेशनल से लेकर इंटरनेशनल गेम में मेडल जीतती चली गई.

शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो जैसे गेम में हिस्सा लेकर अर्चना ने 7 गोल्ड मेडल 7 सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. चीन की राजधानी बीजिंग और इंडोनेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया और मेडल जीतकर आयी. वर्तमान में अर्चना भागलपुर के दिव्यांगजन सशक्तिकरण कार्यालय में नौकरी कर रही है. अर्चना के इस हौसले से परिवार और समाज के लोग काफ़ी खुश है.

बिहार के हेमंत मिश्रा ने पायी सफलता, पिछली बार बने थे DSP, इस बार बने SDO

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में नौवां रैंक लाकर जिले के राजपुर प्रखंड अंतर्गत कुसरूपा निवासी ओमप्रकाश मिश्रा के बड़े पुत्र हेमंत मिश्रा ने एक बार फिर होनहार बिरवान के होत चिकने पात… वाली कहावत को सही साबित किया है।

पिछली बार यूपीपीसीएस में आठवीं रैंक लाकर डीएसपी का पद हासिल करने वाले हेमंत ने इस बार नौवां रैंक लाकर एसडीओ का पद प्राप्त किया है। हेमंत की इस उपलब्धि पर परिवार के लोगों में खुशी का माहौल कायम है।

शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं हेमंत के पिता

हेमंत के पिता ओम प्रकाश मिश्रा कैमूर में शिक्षा विभाग में एपीओ के पद पर कार्यरत हैं। वह बेटे की इस उपलब्धि पर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। हेमंत की मां नम्रता मिश्रा जिले के एक निजी स्कूल की शिक्षिका हैं। बेटे की सफलता पर वह भी प्रफुल्लित हैं।

हेमंत की सफलता पर उनके चाचा तथा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष बजरंगी मिश्रा ने बधाई देते हुए कहा कि हेमंत का शुरू से ही शिक्षा से काफी लगाव था। उन्होंने सफलता प्राप्त कर इसे सिद्ध भी किया है। उन्होंने बताया कि अभी फिलहाल में बीएससी में जो रिजल्ट आया है, उसमें भी उप निर्वाचन पदाधिकारी में हेमंत का चयन हुआ है।

जिले का नाम रोशन किया

इधर, यूपीपीएसी में नौवां स्थान प्राप्त कर उन्होंने अपने गांव के साथ-साथ प्रखंड और जिले का नाम रोशन किया है। हेमंत की प्रारंभिक शिक्षा जिले में ही हुई। उन्होंने बताया कि मैट्रिक के बाद उन्होंने पटना से बारहवीं तथा जामिया-मिलिया से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

उन्होंने कहा कि जेएनयू से भूगोल में स्नातकोत्तर कर अभी वह जामिया-मिलिया से पीएचडी कर रहे हैं। दो भाइयों में हेमंत बड़े हैं। छोटे भाई आईआईटी कर अमेरिका के ओरेकल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत है। हेमंत की सफलता की सूचना मिलने के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

सिपाही से डायरेक्ट SDM बने दीपक सिंह, ऐसे हासिल की 20वीं रैंक, मेहनत से बदली किस्मत

प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) में जहां दस्तावेज लेखक के बेटे सात्विक श्रीवास्तव ने प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया। वहीं पुलिस में तैनात सिपाही ने भी रिकॉर्ड बनाया है। बिना छुट्टी के ड्यूटी के दौरान ही तैयारी करके सिपाही से सीधे एसडीएम बने दीपक सिंह ने प्रदेश में 20वां स्थान हासिल किया है। किसान के बेटे दीपक सिंह की सफलता पर उसके माता पिता ही नहीं पुलिस विभाग को भी नाज है और बुधवार को एसपी ने सभी अधिकारियों के साथ दीपक सिंह को सम्मानित किया।

माता-पिता का सपना किया साकार

मूल रूप से बाराबंकी के सेमराय के किसान अशोक कुमार सिंह के पुत्र दीपक सिंह वर्ष 2018 में पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। उनके माता पिता का सपना था कि वह अधिकारी बनें और वही सपना साकार करने के लिए दीपक सिंह ने अपनी मेज पर सामने एसडीएम लिखकर रख लिया था और उसी को लक्ष्य लेकर आगे बढ़े।

ऐसे हासिल की 20वीं रैंक

दीपक सिंह बताते हैं कि कई तैनाती के बाद वह एसपी आवास पर टेलीफोन ड्यूटी पर तैनात हो गए और ड्यूटी के साथ ही पढ़ाई जारी रखी और एक छोटे से कमरे में किराए पर रहने वाले दीपक सिंह चार से पांच घंटे रोजाना पढ़ाई करते। वह बताते हैं कि अधिकारियों ने भी उनका पूरा साथ दिया। उनके माता पिता हौंसला बढ़ाते रहे और उसी के बदौलत सफलता हासिल की।

लाइब्रेरी बनी वरदान

दीपक सिंह बताते हैं कि उनके गांव व परिवार में वह पहले ऐसे शख्स हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी पाई और अधिकारी बन गए, गांव में बेटे के अधिकारी बनने की खबर से परिवार की खुशी का ठिकाना ही नही रहा लोगों के द्वारा बधाइयों का तांता लग गया। पुलिस लाइन की लाइब्रेरी बन गई वरदान दीपक सिंह के लिए पुलिस लाइन में स्थापित लाइब्रेरी वरदान बन गई।

सीओ विकास जायसवाल की पहल पर बनाई गई इस लाइब्रेरी से वह रोजाना पुस्तकें लाकर पढ़ते थे और इसी के चलते उन्हें पुस्तकों या फिर तैयारी के लिए कई जाना नहीं पड़ा। दीपक सिंह अपनी सफलता में सभी अधिकारियों और साथियों का भी श्रेय देते हैं।

24 एचआरडी 09 आकृति ने बढ़ाया जनपद का मान, बनी डिप्टी एसपी

कासिमपुर के ग्राम तेरवा दहिंगवा गौसगंज गांव की आकृति पटेल ने पीसीएस 2023 की परीक्षा में 30वीं रैंक हासिल की है। वह डिप्टी एसपी बनीं हैं। आकृति पटेल के पिता श्रवण कुमार कनौजिया भाजपा जिला उपाध्यक्ष है। उनका गौसगंज में मेडिकल स्टोर है, जबकि मां पुष्पा देवी ग्रहणी हैं। आकृति की प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर में हुई। पीवीआर इंटर कालेज गौसगंज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। आकृति ने तीसरे प्रयास में पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने इस सफलता का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को दिया है।

सफलता 3 चीजें मांगती है, खुद से वादा मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा, 125वां रैंक लाकर साक्षी प्रिया बनी ऑडिट ऑफिसर

BPSC ने 68 वी कंबाइंड परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं. सफल उम्मीदवारों की सूची में बिहार के भागलपुर जिले नाथनगर की स्व० राजेंद्र पासवान की बेटी साक्षी प्रिया का भी नाम है. साक्षी प्रिया ने बिहार लोक सेवा आयोग की 68 वी कंबाइंड परीक्षा में सफलता का परचम लहराया है. साक्षी प्रिया की माता का नाम राधा देवी है. साक्षी प्रिया ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अंकेक्षण निदेशालय में 125 वा रैंक लाकर एसिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर में चयन हुआ है.

इसके साथ ही BSSC CGL द्वारा इनका चयन उद्योग विस्तार अधिकारी के रूप में भी हो चूका है. वहीं BPSC 67वीं की परीक्षा में श्रम प्रवर्तन अधिकारी के रूप में भी चयन हो चुका है। साक्षी प्रिया की सफलता पर उसके परिवार वालों और रिश्तेदारों के बीच खुशी की लहर है.

बचपन से ही पढ़ने लिखने में होनहार साक्षी प्रिया ने अपनी 10वीं की पढ़ाई गर्ल्स स्कूल नाथनगर से 2010 में किया था 12वीं की पढ़ाई विज्ञान विषय में 2012 में मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से किया इसके बाद स्नातक की पढ़ाई 2016 में बीएन कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में किया। वर्तमान मे साक्षी प्रिया ऑडिटर पोस्ट पंचायती राज ऑफिस पूर्णिया में कार्यरत है.

साक्षी प्रिया ने बताया की सफलता केवल 3 चीजें मांगती है, खुद से किया वादा मेहनत ज्यादा और मजबूत इरादा आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत असफलता नामक बीमारी को मारने की सबसे अच्छी दवा है। मेहनत किसी की मोहताज नहीं होती इस कहावत को सच कर दिखाया है साक्षी प्रिया ने.

परीक्षा की तैयारी कैसे करें

परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट के लिए साक्षी प्रिया ने बताया कि पढ़ाई को प्रेशर में लेकर न करें। तैयारी के लिए क्वेश्चन बैंक की मदद ले और इसका एक मैप बनाएं। रफ मैप बनाने के बाद क्वेश्चन बैंक से जुड़े सभी टॉपिक की शार्ट नोट्स बनाएं। इसके साथ ही लिखने की प्रैक्टिस भी करें, जिससे आपकी स्पीड बनेगी। अपने लेखन-शैली पर विशेष रूप से काम करें। इसके अलावा आप खुद को तैयार करने के लिए मॉक टेस्ट की प्रैक्टिस करें और नियमित पढ़ाई करें और कल पर कुछ नहीं छोड़ें।

 

खेती करके बेटे को बना दिया चार्टर्ड अकाउंटेंट, गरीब किसान का सपना हुआ साकार

उत्तरप्रदेश के रायबरेली जनपद के लालगंज तहसील क्षेत्र के सराय कुर्मी गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र कुमार पटेल बेहद गरीब परिवार से हैं. उनके पिता गोवर्धन पटेल खेती करके परिवार का भरण पोषण किया. परंतु पुष्पेंद्र अपनी पढ़ाई में कभी अपनी परिस्थितियों को आड़े नहीं आने दिया और वर्ष 2023 की चार्टर्ड अकाउंटेंट की फाइनल परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो तो आसमान का भी कद छोटा पड़ जाता है.

पुष्पेंद्र ने प्रारंभिक शिक्षा लालगंज कस्बे के एक निजी विद्यालय से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कानपुर चले गए जहां से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई पूरी कर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक का सफर तय किया. उनके पिता गोवर्धन पटेल ने कहा, ‘बेटे की बचपन से ही कॉमर्स पढ़ने की इच्छा थी तो मैं भी कभी मना नहीं किया. उसकी इच्छा के अनुरूप ही उसे पढ़ने दिया. 12 वर्ष की कठिन मेहनत के बाद बेटे ने यह मुकाम हासिल किया. मुझे अपने बेटे पर बड़ा गर्व है.

पुष्पेंद्र कुमार पटेल बताते हैं कि अगर आपके अंदर कुछ बड़ा पानी की चाहत है तो आप का हौसला बुलंद होना चाहिए. बुलंद हौसले से आप बड़े से बड़ी मंजिल को आसानी से पा सकते हैं. पुष्पेंद्र ने कहा, ‘ साल 2011 से ही तैयारी कर रहे थे. वर्ष 2013 एमकॉम पूरा करने के बाद साल 2019 में चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल ग्रुप फर्स्ट में और वर्ष 2024 फाइनल ग्रुप सेकेंड में परीक्षा पास कर अपने माता-पिता के सपने को पूरा किया.

मेरी इस कामयाबी के पीछे मेरे माता-पिता का सबसे बड़ा योगदान रहा क्योंकि मेरे पिता एक साधारण किसान थे फिर भी उन्होंने मुझे कभी रोक नहीं. हमेशा मेरा हौसला अफजाई करते रहे’.

किसान का बेटा नितिन बना असिस्टेंट मैनेजर, सरकारी स्कूल से पासऑउट पारस भी हुए कामयाब, बिना कोचिंग पाया मुकाम

शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में राज्य सहकारी बैंक में असिस्टेंट मैनजर की पोस्ट के लिए हुए एग्जाम का रिजल्ट घोषित किया गया. इस कड़ी में सिरमौर जिले के दो युवकों ने भी सफलता हासिल की है. एक युवक जहां किसान परिवार से हैं. वहीं दूसरे युवक ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई के बाद यह सफलता हासिल की।

जानकारी के अनुसार, सिरमौर की सतोंन के पारस शर्मा का चयन हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक में असिस्टेंट मैनजर का पद असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुआ है।

पारस शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्रथमिक शिक्षा डांडीवाला, हाई स्कूल डांडापागर तथा 12 वीं कक्षा की पढ़ाई राजकीय पाठशाला तारूवाला से हुई. इसके बाद पारस ने गुरु गोविंद सिंह कॉलेज पांवटा साहिब से पढ़ाई की. पारस शर्मा ने अपनी सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल से और अच्छे अंक हासिल किए. स्कूल से लेकर कॉलेज तक टॉपर रहे है. पिछले एक साल से बैंक के एग्जाम के लिए पारस शर्मा घर से तैयारी कर रहे थे. पारस ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन, गुरुजनों और बुजुर्गों को दिया. पारस शर्मा ने बताया कि अब उनका अगला लक्ष्य सिविल सर्विसेज है।

पिता स्कूल में पढ़ाते हैं, मां गृहिणी

पारस शर्मा के पिता नरेश शर्मा टीजीटी आर्ट्स पद पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सतोंन में सेवाएं दे रहे हैं. माता संगीता ग्रहिणी हैं. बहन स्नेहा एमए हिंदी की पढ़ाई कर रही है. पारस शर्मा के पिता नरेश शर्मा ने बताया कि यदि कोई बच्चा गलत रास्ते की बजह अच्छे रास्ते पर चले और अपने माता-पिता की भावनाओं को समझे तो मेहनत करने से बड़ी से बड़ी कामयाबी भी हासिल कर सकते हैं।

किसान के बेटे ने भी लहराया परचम

इसी तरह शिलाई के बड़वास गांव के नितिन को भी एग्जाम में सफलता मिली है और उनका चयन भी असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुआ है. नितिन ने बिना कोचिंग के यह परीक्षा पास की. नितिन के पिता किसान हैं. नितिन करीब 1 साल से इस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. नितिन ने नाहन के ब्वॉज स्कूल से पढ़ाई की है. उनके परिवार में माता पिता के अलावा, दो और भाई हैं. बता दें कि राज्य सहकारी बैंक हिमाचल प्रदेश ने 19 अगस्त 2023 में 64 पदों के लिए भर्ती निकली थी. अब 12 जनवरी इस एग्जाम का परीक्षा परिणाम घोषिक किया गया है।

 

खान सर ने किया था भविष्यवाणी, कहा था- तुम्हारा सिलेक्शन तय है, जाकर सो जाओ, पढ़े BPSC टॉपर प्रेरणा का किस्सा

बिहार लोक सेवा आयोग ने 15 जनवरी को संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिए. इस परीक्षा में 322 उम्मीदवारों का चयन हुआ है. पास होने वाले उम्मीदवारों में एक प्रेरणा सिंह भी हैं. प्रेरणा ने लिस्ट में तीसरा स्थान हासिल किया है. खास बात ये है कि खान सर ने प्रेरणा को लेकर पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि उनका सिलेक्शन हो जाएगा. खान सर ने प्रेरणा से कहा था कि वे जाकर सो जाएं, उनका सिलेक्शन तय है.

प्रेरणा सिंह ने बिहार तक से बातचीत में बताया कि खान सर के संस्थान Khan Global Studies से बीपीएससी की तैयारी की है. उन्होंने बताया कि एक मॉक इंटरव्यू के दौरान ही खान सर ने उनके सिलेक्शन की भविष्यवाणी कर दी थी. प्रेरणा सिंह के मुताबिक, खान सर ने उनसे कहा था कि उनका सिलेक्शन तय है, वे घर पर जाकर सो जाएं. खान सर की प्रेरणा को लेकर की गई ये भविष्यवाणी सच साबित हुई और उन्होंने बीपीएससी परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल की.

प्रेरणा सिंह ने की खान सर की तारीफ

प्रेरणा हाजीपुर जिले के बिद्दूपुर की रहने वाली हैं. उन्होंने बिहार में डिप्टी एसपी का पद हासिल किया है. प्रेरणा ने खान सर की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि खान सर बिहार में बच्चों को जागृत कर रहे हैं. खान सर का पढ़ाने का तरीका लोकल है, वह जमीन से जुड़ा है. वे बच्चों को इस तरह से पढ़ाते हैं कि स्टूडेंट उनसे कनेक्ट हो जाते हैं. बच्चों को लगता है कि खान सर हम से ही निकले हुए हैं, हमारे बीच का ही इंसान है. कोई फैंसी टीचर नहीं है. वे बच्चों की भाषा में ही बात करते हैं. वे ऐसी चीजें बताते हैं, जो बच्चों से जुड़ा होता है. ये बहुत अच्छी बात है.

कौन हैं खान सर?

खान सर बिहार के फेमस टीचर हैं. उनका कोचिंग सेंटर पटना में है. लेकिन सोशल मीडिया पर भी खान सर खूब चर्चित हैं. उनके यू-ट्यूब चैनल को 22.4 मिलियन लोगों ने सब्सक्राइब किया है. खान सर बच्चों को काफी आसान भाषा में टॉपिक समझाते हैं और उनकी फीस भी अन्य कोचिंग की तुलना में काफी कम है.

मालदीव जैसे 36 देश खरीद सकता है ये आदमी, रोजाना की कमाई करोड़ों में, पढ़े इस शख्स की अमीरी की कहानी

कहते हैं दुनिया मायावी है, और जिसकी जेब में माया है उसकी मुट्ठी में दुनिया है. सोचिए अगर किसी आदमी के पास इस दुनिया में सबसे अधिक पैसा हो तो वह क्या-क्या कर सकता है? पैसे वाला आदमी वह सब कर सकता है, जो वह सोचता है. दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के पास इस वक्त इतना पैसा है कि वह मालदीव जैसे 36 देश खरीद सकता है. इसके बाद भी उसके पास पैसा बच जाएगा. आप कह सकते हैं कि मालदीव तो बहुत छोटा-सा देश है, मगर आपको यह जान लेना चाहिए कि उसकी जीडीपी 6.17 बिलियन डॉलर की है. ऐसे ही 36 देश खरीदने के लिए 222 बिलियन डॉलर से अधिक धन चाहिए होगा. आज की तारीख में 222 बिलियन डॉलर मतलब कम से कम 1 लाख 84 हजार करोड़ रुपये. तो कौन है वो आदमी, जिसे कई बार लोग सनकी तक कह देते हैं.

दुनिया के सबसे अमीर आदमी का नाम है एलन मस्क (Elon Musk). 17 जनवरी को फोर्ब्स (Forbes) की रियल टाइम बिलियनेयर लिस्ट में 52 वर्षीय एलन मस्क नंबर एक पर हैं और उनकी नेट वर्थ 230.9 बिलियन डॉलर है. दूसरे नंबर पर बर्नार्ड अर्नॉल्ट एंड फैमिली (Bernard Arnault & family) है, जिसके पास मात्र 181.4 बिलियन डॉलर की नेट वर्थ है.

यदि एलन मस्क चाहें तो मालदीव की 6.17 बिलियन जीडीपी वाले 36 देश खरीद सकते हैं. यदि वे खरीद लें तो भी उनके पास लगभग 8 बिलियन डॉलर बच जाएंगे. 8 बिलियन डॉलर मतलब 66 हजार करोड़ रुपये से अधिक. इस अमेरिकी धनकुबेर का खजाना भरने में अहम योगदान है उनकी दो कंपनियों का- टेस्ला (Tesla) और स्पेसएक्स (SpaceX). हालांकि उनके पास कुल 6 कंपनियां हैं, जिनमें स्पेस से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर और ब्रेन-मशीन बनाने जैसे काम होते हैं.

कंपनी का नाम  इंडस्ट्री  काम
स्पेसएक्स (SpaceX) स्पेस स्पेस ट्रांसपोर्टेशन एंड कम्युनिकेशन्स
टेस्ला (Tesla) ऑटोमोबाइल कार और ट्रक (खास तौर पर इलेक्ट्रिक)
सोलर सिटी एंड टेस्ला एनर्जी (SolarCity and Tesla Energy) एनर्जी सोलर एनर्जी जेनरेशन सिस्टम
न्यूरालिंक (Neuralink) टेक एंड AI ब्रेन-मशीन इंटरफेस
द बोरिंग कंपनी (The Boring Company) कंस्ट्रक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर और सुरंगें बनाना
ट्विटर या एक्स (X) सोशल मीडिया माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म

क्यों कहा जाता है सनकी?

फोर्ब्स के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कार बनाने वाले कंपनी टेस्ला में एलन मस्क की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत है. यह बात अलग है कि उन्होंने अपने आधे से अधिक शेयर गिरवी (Pledge) रखे हुए हैं. दरअसल, उन्होंने 3.5 बिलियन डॉलर का पर्सनल लोन लेने के लिए शेयरों को गिरवी रखा है. टेस्ला के शेयरों को गिरवी रखकर लोन लेने को उनकी सनक का हिस्सा बताया जाता है.

यही नहीं, उन्होंने 2022 में 44 बिलियन डॉलर लगाकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर का अधिग्रहण किया. वह ऐसा समय था, जब ट्विटर एक प्रोफिटेबल बिजनेस नहीं था. एलन मस्क की सनक ही थी कि उन्होंने ऐसी जगह पर पैसा डाला, जिसमें कमाई के अवसर बहुत कम दिखते थे. द गार्जियन ने 2 जनवरी 2024 को एक रिपोर्ट छापी, जिसमें ट्विटर (अब एक्स) में निवेश रखने वाले म्यूचुअल फंड फिडेलिटी (Fidelity) के हवाले से कहा गया कि खरीदे जाने के बाद से लेकर अब तक एक्स की वैल्यूएशन 71 प्रतिशत तक गिर चुकी है. 44 बिलियन डॉलर में खरीदी गई कंपनी की वैल्यूएशन अब 12.5 बिलियन डॉलर रह गई है.

एलन मस्क कहते हैं कि अगले 20 वर्षों में दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या में कमी होगी. उनकी इस बात से कुछ लोग सहमत तो कुछ असहमत हैं. एलन मस्क कहते हैं ज्यादा से ज्यादा बच्चे होना कोई गलत बात नहीं है, बर्शते हमें एक नया ठिकाना खोजना होगा. मस्क कहते हैं इंसान को मंगल पर जाकर बसना होगा, क्योंकि अभी तक वहां कोई नहीं रहता. बता दें कि एलन मस्क के खुद तीन महिलाओं से 10 बच्चे हैं.

पहले भारतीय सेना फिर बिहार पुलिस और अब BPSC शिक्षक, बिहार के इस युवक ने किया कमाल

कैरियर के कई उतार-चढ़ाव से गुजरने वाले सुपौल के राघोपुर के शंकर चौधरी अब बीपीएससी शिक्षक बन गये हैं.उन्हौने उच्च माध्यमिक स्कूल में समाजशास्त्र विषय में सफलता पायी है.उन्हें 13 जनवरी को नियुक्तिपत्र मिल गया है और जल्द ही आवंटित स्कूल में योगदान करेंगे.

यूयं तो बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में लाखों युवा-युवति सपल हुए हैं और हर अभ्यर्थी के संघर्ष और सफलता की अलग अलग कहानी है पर सुपौल के राघोपुर के शंकर चौधरी की कहानी थोड़ी अलग है.आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले शंकर चौधरी ने इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद जनवरी 2005 में आर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली. आर्मी का नौकरी लगने के बाद भी पढाई के प्रति उनकी दिलचस्पी कम नहीं हुई और उन्हौने आर्मी द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाब उठाते हुए आगे भी पढ़ाई जारी रखी.

आर्मी में नौकरी करते हुए ही उन्होंने बीएड तक की पढ़ाई पूरी की.आर्मीमैन के रूप में 16 साल 4 महीने तक देश की सेवा करने के बाद वे घर लौटे.. 2021 में एसटीईटी परीक्षा पास की. उनका मन शिक्षक बनकर बच्चों के भविष्य को संवारने का था.इसलिए शिक्षक भर्ती के लिए तैयारी करने लगे.

इस बीच शिक्षक भर्ती की परीक्षा मे विलंब हुआ तो उन्हौने बिहार पुलिस में डायल 112 ज्वाइन कर लिया.इस बीच उसने बीपीएससी शिक्षक भर्ती की तैयारी जारी रखी और दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा मे वे सफल हो गये हैं और उन्हें नियुक्ति पत्र भी मिल गया है.

मीडिया से बात करते हुए शंकर चौधरी ने कहा कि आर्मी मैन के जरिए देश की सेवा करने का मौका मिलता है वहीं व्यक्ति और समाज के विकास के लिए शिक्षा का महत्व सबसे ज्यादा है.बेहतर शिक्षा हासिल कर ही अपना और समाज का विकास किया जा सकता है. इसी सपने को साकार करने के लिए वे एक शिक्षक बने हैं और अपने स्कूल के बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ ही आर्मी के अनुशासन समेत देश प्रेम की भावना जागृत करने पर भी वे ध्यान देंगे.