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इस राज्य में भी विपक्ष को झटका देगी BJP, पार्टी का दामन थाम सकते हैं ये 2 कद्दावर नेता

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में विपक्ष को चौंकाने के बाद अब हरियाणा में भी उसे झटका देने की तैयारी कर ली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके नवीन जिंदल और उनकी मां सावित्री जिंदल के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं। बता दें कि नवीन जिंदल देश के बड़े उद्योगपतियों में शामिल हैं और उनकी मां सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला हैं और फिलहाल कांग्रेस की नेता हैं। एक अखबार में दिए गए विज्ञापन के बाद दोनों कद्दावर नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी हैं।

जिंदल ग्रुप के विज्ञापन ने दी चर्चा को हवा

बता दें कि जिंदल परिवार का ट्रस्ट हिसार में महाराज अग्रसेन मेडिकल संस्थान चलाता है। इस संस्थान को हाल ही में नेशनल मेडिकल कमिशन की रिपोर्ट में उत्तर भारत में नंबर वन रैंकिंग मिली है। इसी रैंकिंग को लेकर केंद्र सरकार का आभार करते हुए जिंदल ग्रुप और जिंदल परिवार की ओर से अखबारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की तस्वीर लगाते हुए ‘धन्यवाद’ के बड़े-बड़े विज्ञापन दिये गये हैं। विज्ञापनों की रूपरेखा देखकर ये कयास लगने शुरू हो गए कि नवीन जिंदल और उनकी मां सावित्री जिंदल बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

कांग्रेस में अलग-थलग पड़े हुए हैं जिंदल

बता दें कि पिछले लंबे वक्त से कांग्रेस में अलग-अलग पड़े नवीन जिंदल की कुछ दिन पहले भी बीजेपी के सीनियर नेताओं के साथ बैठकें होने की खबरें सामने आई थीं। कहा जा रहा है कि नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सभी 10 सीटें जीत ली थीं। पार्टी ने हरियाणा में 58.21 फीसदी वोटों पर कब्जा किया था जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 28.51 फीसदी वोट आए थे। ऐसे में देखा जाए तो नवीन जिंदल अगर बीजेपी में शामिल होते हैं तो यह पार्टी के लिए बूस्टर डोज की तरह होगा।

यूपी, बिहार में विपक्ष को बुरी तरह चौंकाया

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और बिहार में अपनी सियासी चालों से विपक्ष को बुरी तरह चौंकाया है। सबसे पहले बिहार में पार्टी ने विपक्ष के INDI अलायंस के निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पाले में किया, और अब खबरें आ रही हैं कि RLD नेता जंयत चौधरी भी एनडीए में शामिल होने वाले हैं। इस तरह देखा जाए तो कुछ ही दिनों के अंदर बीजेपी ने INDI गठबंधन के 2 अहम सदस्यों को अपनी तरफ मिला लिया है। ऐसे में अगल नवीन जिंदल और उनकी मां बीजेपी के साथ आते हैं तो इससे मतदाताओं में सकारात्मक संदेश जा सकता है।

भाजपा ने सभी सांसदों को जारी किया मौजूद रहने का व्हिप, 10 फरवरी को मौजूद रहने के निर्देश

देश में कुछ ही समय में लोकसभा चुनाव की घोणणा होने वाली है। संसद में फिलहाल बजट सत्र जारी है और पीएम मोदी समेत उनके कैबिनेट के सभी मंत्री भी विपक्षी दलों पर निशाना साधने का एक मौका नहीं छोड़ रहे हैं। बता दें कि ये मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी संसद सत्र होने वाला है। यही वजह है कि मोदी सरकार की ओर से विपक्ष को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा जा रहा है। इस बीच खबर आई है कि भाजपा ने अपने सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को तीन-लाइन व्हिप जारी किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार संसद में किसी बड़े मुद्दे को उठा सकती है।

10 फरवरी को मौजूद रहने के निर्देश

संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने पार्टी के सांसदों को सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए 10 फरवरी को राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए तीन-लाइन व्हिप जारी किया है। वहीं, लोकसभा सांसदों को भी ऐसा ही व्हिप जारी किया गया है। बता दें कि पहले संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 9 फरवरी तक प्रस्तावित था। हालांकि, अब इसे एक दिन आगे 10 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

बीते दिन पेश हुआ था श्वेत पत्र

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते गुरुवार को संसद में 2004 से 2014 यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र पेश किया था। इस श्वेत पत्र में  भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं, इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की गई है। इसमें  सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला कोल गेट घोटाला, कॉमन वेल्थ गेम्स (CWG) घोटाला आदि का भी जिक्र किया गया है।

बड़े फैसले कर रही है मोदी सरकार

इससे पहले भी केंद्र की मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र का आह्वान किया था जिसमें महिलाओं को संसदीय व विधानसभा चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास किया गया था। माना जाता है कि सरकार के इस कदम का फायदा भाजपा को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में मिला था।

‘समय आने दीजिए सब पता चल जाएगा’ RJD के खेला वाले दावे पर बोले नीतीश के मंत्री, बहुमत का आंकड़ा हमारे पास.. कुछ हासिल नहीं होगा

आगामी 12 फरवरी को नीतीश सरकार विधानसभा में बहुमत पेश करेगी। नई सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार की सियासत में तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। बिहार की सत्ता से बेदखल हुई आरजेडी फ्लोर टेस्ट के दिन बड़े खेल का दावा कर रही है हालांकि जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी कुछ भी कर लें लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

तेजस्वी यादव द्वारा फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार में बड़े खेल का दावा करने के सवाल पर नीतीश सरकार में जेडीयू कोटे से मंत्री बने श्रवण कुमार ने कहा है कि समय आने दीजिए सब पता चल जाएगा। फ्लोर टेस्ट में तो हमलोग एक सौ एक फीसदी पास करेंगे। संख्या बल के आधार पर सरकारें बनती और बिगड़ती हैं। जब 128 का आंकड़ा हमारे पास है तो क्या खेला करगा लोग। उनके पास मात्र 114 है और हमारे पास 128 विधायकों का समर्थन है। एनडीए के जितने भी विभाग हैं सभी पूरी तरह से एकजुट हैं और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है।

उन्होंने कहा कि राजनीति में अफवाह फैलाने वाले लोगों की कमी नहीं है, लोग तरह तरह के अफवाह फैलाते रहते हैं लेकिन जो लोग अफवाह फैला रहे हैं उनको 12 तारिख को पता चल जाएगा। जेडीयू विधायकों को विपक्ष की तरफ से फोन जाने के सवाल पर श्रवण कुमार ने कहा कि जिन विधायकों को फोन जा रहा है वहीं लोग बता रहे हैं लेकिन फोन करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। जो लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं उनको निराशा ही हाथ लग रही है, पुनः मूषक भव जहां से चले थे वहीं लौटते हैं।

 

संभावित ‘खेला’ से सहमी JDU: फ्लोर टेस्ट से पहले नीतीश ने बुलाई विधानमंडल दल की बैठक, पार्टी के सभी MLA-MLC को पटना बुलाया

आगामी 12 फरवरी को बिहार की नई सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार में बड़े खेल के दावे किए जा रहे हैं। तमाम तरह के कयासों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू विधानमंडल दल की बैठक बुला ली है। इस बैठक में पार्टी के तमाम विधायक और विधान पार्षद को मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है।

दरअसल, बिहार की सत्ता से बेदखल होने के बाद आरजेडी और कांग्रेस लगातार दावा कर रहे हैं कि नीतीश सरकार फ्लोर टेस्ट में सफल नहीं हो सकेगी। कांग्रेस ने पार्टी में टूट के डर से अपने सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है तो बीजेपी फ्लोर टेस्ट से पहले अपने विधायकों को बोधगया शिफ्ट करने जा रही है। जेडीयू ने भी अपने विधायकों को एकजुट रखने की तैयारी की है।

तमाम सियासी कयासों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले जेडीयू विधानमंडल दल की बैठक बुला ली है। पार्टी के सभी विधायक और विधान पार्षद को बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया गया है। आगामी 11 फरवरी को मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर विधानमंडल दल की बैठक आयोजित की जाएगी। जिसमें फ्लोर टेस्ट और और बजट सत्र को लेकिन मुख्यमंत्री विधायकों को गुरु मंत्र देंगे।

बता दें कि बिहार में नई सरकार के गठन के बाद से ही फ्लोर टेस्ट के दिन बड़े खेला की बात कही जा रही है। सत्ताधारी दलों को अच्छी तरह से पता है कि बिहार की सियासत के धुरंधर लालू प्रसाद चुप बैठने वाले नहीं हैं। ऐसे में संभावित खेला से सत्ताधारी दल सहमें हुए हैं। यही वजह है कि बीजेपी ने फ्लोर टेस्ट से पहले अपने विधायकों को प्रशिक्षण देने के बहाने बोधगया शिफ्ट कर रही है तो वहीं जेडीयू भी अपने विधायकों को एकजुट रखने की जुगत में जुट गई है।

किसानों के लिए फूंकी हर एक सांस, देश के सबसे बड़े किसान नेता चौधरी चरण सिंह के बारे में जानें सबकुछ

आज यानी 9 फरवरी को केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा- “हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों और उनके परिवारों के उत्थान के लिए काम किया। हमेशा किसानों के अधिकार और उनके कल्याण की बात की।”

मोदी ने आगे कहा “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।” आइए आज हम आपको इस किसान नेता के बारे में बताते हैं। कैसे वह “भारत के किसानों के चैंपियन” के रूप में जाने गए। उनसे जुड़ी हर जानकारी हम आपको यहां देंगे।

चौधरी चरण सिंह के जीवन पर एक नजर

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में जन्में थे। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे। पिता मीर सिंह, स्वयं खेती करने वाले काश्तकार किसान थे और उनकी मां नेत्रा कौर थीं। चरण सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा जानी खुर्द गांव में की। उन्होंने 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिकुलेशन पूरा किया। 1923 में, उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी और 1925 में इतिहास में एमए पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की। गाजियाबाद में सिविल लॉ की प्रैक्टिस भी की।

चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर

साल 1929 में, वह इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर वह हमेशा राजनीति में रहे। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। चौधरी चरण सिंह ने देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके लिए वह कई बार जेल भी गए। आज चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को किसान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

उनके राजनीतिक सफर में वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। फिर उन्होंने लगातार 1946, 1952, 1962 और 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। चौधरी चरण सिंह 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना समेत कई विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व और कृषि मंत्री रहे। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

चौधरी चरण सिंह सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। वहीं, सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता, भाई- भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे।

कैसे बने देश के सबसे बड़े किसान नेता

देश की आजादी के बाद किसानों के हित मं जो सबसे बड़ा काम हुआ वह ये था कि गरीब किसानों को जमींदारों के शोषण से मुक्ति दिलाकर उन्हें भूमीधर बनाया गया। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ चौधर चरण सिंह का योगदान था। उन्होंने भूमी सुधार एंव जमींदारी उन्मूलन कानून बनाकर ऐसा सराहनीय काम किया जिसकी सराहना देश में ही नहीं विदेशों में भी होती है। चौधरी चरण सिंह के इस काम के बदौलत जमींदारों के शोषण से मुक्त होकर किसान भूमीधर बन गए। जब चौधरी चरण सिंह जी के पास कृषि विभाग था, तब आयोग ने निर्देश दिया था कि जिन जमींदारों के पास खुद के काश्त के लिए जमीन नहीं है वे अपने आसामियों से 30-60 फिसदी भूमी लेने का अधिकार मान लें। चौधरी चरण सिंह के हस्तक्षेप से यह निर्णय UP में नहीं माना गया। लेकिन दूसरे राज्यों में इसकी आड़ में गरीब किसानों से उनकी भूमी छीन ली गई। इसके बाद 1956 में चौधरी चरण सिंह की प्रेरणा से जमींदारी उन्मूलन एक्ट में संशोधन किया गया और कहा गया कि कोई भी किसान भूमी से वंचित नहीं किया जाएगा। जिसका किसी भी रूप में जमीन पर कब्जा हो वह जमीन उसकी होगी। उनके इस निर्णय से देश के गरीब किसानों के पास खेती करने के लिए उनकी खुद की जमीन हुई।

हल्द्वानी हिंसा: स्थानीय विधायक ने प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार, कहा- मामले में की गई जल्दबाजी

गुरुवार को हल्द्वानी में हुई हिंसा ने भीषण रूप धारण कर लिया था। इस बवाल में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके साथ ही उपद्रवियों के देखते ही गोली मारने के आदेश भी दिए जा चुके हैं। शहर में गुरुवार रात से ही इंटरनेट बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही इलाके में पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बल और पीएससी की टुकडियां भी तैनात की गई हैं।

‘प्रशासन ने जल्दबाजी करके इस कृत्य को अंजाम दिया’

वहीं अब इस मामले में हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, आजादी से लेकर आज तक हल्द्वानी में कभी भी इस तरह की घटना नहीं हुई थी। यहां हमेशा अमन-चैन और एकता का माहौल रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 14 फरवरी तय की थी, फिर भी शासन-प्रशासन ने जल्दबाजी करके इस कृत्य को अंजाम दिया।

इस मामले में सीएम धामी से हुई बातचीत- विधायक

विधायक ने कहा, “मुख्यमंत्री धामी से फोन पर मेरी बात हुई है और मैंने पूरे मामले के बारे में उन्‍हें बता दिया है। जितने भी प्रशासनिक अधिकारी, पुलिसकर्मी और स्थानीय नागरिक इस कृत्य में घायल और हताहत हुए हैं, मेरी संवेदना उनके परिवारजनों के साथ है। मेरी सभी शहरवासियों से अपील है कि किसी भी तरह की अफवाह पर गौर ना करें और शांति-व्यवस्था बनाने में पूरा सहयोग दें।”

‘कार्रवाई से पहले स्थानीय लोगों को विश्वास में लेना था’

उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जल्दबाजी और उतावलेपान में यह पूरी कार्रवाई की है। यह एक बड़ी चूक है। विधायक ने कहा कि इस कार्रवाई को करने से पहले स्थानीय लोगों और मौलानाओं को विश्वास में लेना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसी उतावलेपन की वजह से यह भीषण हिंसा हुई और हल्द्वानी के नाम पर एक काला धब्बा लग गया।

लालू परिवार को बड़ी राहत, राबडी देवी, मीसा और हेमा को कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत

लैंड फॉर जॉब मामले में लालू यादव के परिवार को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राबडी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी को अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही आरोपियों की नियमित जमानत पर ED ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। ED की मांग को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी और आरोपियों की रेगुलर बेल पर भी इसी तारीख को सुनवाई होगी।

ED की चार्जशीट पर कोर्ट ने किया था तलब

बता दें कि लैंड फॉर जॉब मामले की चार्जशीट में ED ने लालू यादव के साथ राबड़ी पर भी इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है। बताया गया है कि ज़मीन को बेचकर जो पैसा आया था वो बेटे तेजस्वी को दिया गया, जिसका इस्तेमाल दिल्ली के न्यू फ़्रेंड्स कॉलोनी में बंगला खरीदने के लिए किया गया। गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में 27 जनवरी को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती और हेमा यादव सहित अन्य को तलब किया था।

क्या है लैंड फॉर जॉब्स घोटाला?

दरअसल, 2004-2009 के बीच लैंड फॉर जॉब्स स्कैम हुआ था। इस दौरान लालू यादव रेल मंत्री थे। लालू के मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप D में भर्तियां हुईं थी। कई लोगों को आवेदन देने के 3 दिन में ही नौकरी दी गई। आरोप लगे कि अभ्यर्थियों से नौकरी के बदले घूस में जमीन ली गई है। इस मामले में जांच हुई तो पता चला कि लालू परिवार पर भी जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा। ED ने चार्जशीट में बताया कि लालू परिवार को 7 जगहों पर जमीनें मिलीं हैं। जांच में सामने आया कि बिना विज्ञापन जारी किए आनन-फानन में नौकरियां दी गईं। मुंबई, जबलपुर, कोलकाता और जयपुर जोन में नियुक्तियां की गईं। 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख में खरीदी गई, जबकि उस समय जमीन की कीमत करीब 4.39 करोड़ थी। लालू परिवार पर 600 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

TMC नेता ने भाजपा पर साधा निशाना, बोले- धर्म के अलावा BJP के पास कोई मुद्दा नहीं

देश में BJP की राजनीति को लेकर TMC नेता माजिद मेनन ने हमला बोला है। साथ ही, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पीएम मोदी और भाजपा पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास धर्म की राजनीति के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। इसके बाद उन्होंने मथुरा और काशी में मंदिर बनाए जाने वाले सीएम योगी के बयान को लेकर कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते योगी इस तरह की बात बोल सकते हैं लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट के बाबरी मस्जिद पर दिए 5 जज के फैसले को ठीक से पढ़ना चाहिए। जिसमें कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में हिंदुओं के भगवान रामलला ने वहां जन्म लिए थे। इसलिए आस्था के आधार पर मंदिर बनाने का आदेश दिया गया। लेकिन अयोध्या के अलावा दूसरे किसी भी जगह पर यह आदेश लागू नही होगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ही चलना होगा

अब यह मथुरा और काशी की बात कर रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो उस पर लागू नहीं होता। इसके अलावा 1991 के पूजा स्थल अधिनियम भी है। जो 15 अगस्त 1947 के पहले के धार्मिक स्थल में किसी भी तरह के बदलाव को नाजायज और गलत करार दिया है। हालांकि भाजपा के एक सांसद इस कानून को भी रद्द करने की मांग कर चुके हैं। इस मामले में केंद्र को भी खुलकर सामने आना चाहिए, लेकिन यह सब एक कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा। मोदी या योगी के सदन में बयान दे देने से इसका कोई मतलब नहीं बनता।

धर्म के अलावा BJP के पास कोई और मुद्दा नहीं

मथुरा और काशी में मंदिर बनाने की बातें भाजपा और योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक बयान है क्योंकि उन पर भाजपा और पीएम मोदी का भारी दवाब है। योगी जी जिस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, वहां पर 80 सीट में से 75 सीट का स्ट्राइक रेट रखने का दबाव है। इस काम को पूरा करने के लिए उनके पास और मुद्दे क्या ही हैं? मंदिर के अलावा अयोध्या, काशी और मथुरा पर भी इसलिए बयान दे रहे हैं कि जनता बस इसी धर्म के भ्रम में फंसकर भाजपा को वोट दे देगी लेकिन यह गलत सोच है। UP की जनता समझदार है।

उत्तराखंड में UCC बिल को लेकर बोले माजिद मेनन

उत्तराखंड में UCC बिल को लेकर माजिद मेनन से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री होने के नाते धामी को यह अधिकार है कि संख्या बल के आधार पर वो कोई बिल पास करवाकर राज्य के लिए कानून बना लें। लेकिन UCC को लेकर अगर किसी का विरोध होगा तो वो उत्तराखंड छोड़कर आसपास के राज्यों में चल जाएगा। जहां UCC कानून नहीं लागू होगा। ऐसे में तो उत्तराखंड और आसपास के राज्यों में पूरी तरह से अफरा-तफरी मच जाएगी। एक राज्य में UCC कानून बनाने से कोई फायदा नहीं होगा। इस कानून को उत्तराखंड राज्य के लोग ही पूरी तरह से नहीं मानेंगे।

NDA से जयंत चौधरी के हाथ मिलाने को लेकर बोले माजिद मेनन

NDA से जयंत चौधरी के हाथ मिलाने को लेकर मेनन ने कहा कि मैं जयंत चौधरी को अच्छे से जनता हूं। मुम्बई में INDIA की बैठक में उनसे मुलाकात हुई थी। वे और उनके पिता भाजपा के कट्टर विरोधी हैं। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आएगा, भाजपा के लोग देश में इस तरह के बयान देकर भ्रम फैलाएंगे। INDIA alliance की पार्टियां गठबन्धन छोड़कर NDA में जा रही हैं। बीजेपी कहती है कि जयंत चौधरी के साथ डील फाइनल है तो कभी चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण से डील पक्की होने की बात करती है। इन नेताओं का अमित शाह और नड्डा से मिलने से कोई फर्क नही पड़ता। पहले औपचारिक तौर पर NDA में शामिल होने के कुछ सबूत सामने आए तब बात किया जाए। यह भाजपा की सब हवा-हवाई हैं।

MSP के मुद्दे पर फिर दिल्ली जाएंगे किसान, चंडीगढ़ में 3 केंद्रीय मंत्रियों संग हुई मीटिंग

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP ) की गारंटी को लेकर पंजाब के किसान फिर से दिल्ली में कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी सरकार से चाहते हैं. पंजाब के हर गांव में किसान एकजुट होकर दिल्ली निकलने के लिए तैयार हैं. 2020 में किसान आंदोलन की तपिश दिल्ली और देश ने महसूस की थी. तब 378 दिन तक किसान आंदोलन चला था.

दिल्ली हरियाणा से सटे बॉर्डर पर किसानों कैसे बैठे थे. तब टोल भी फ्री हो गया था क्योंकि किसानों ने टोल प्लाजा पर भी कब्जा कर लिया था. अब किसान फिर आ रहे हैं. इसलिए हरियाणा में ही उन्हें रोकने की तैयारी है. हरियाणा सरकार ने उनकी एंट्री रोकने का इंतजाम शुरू कर दिया है. सड़कों पर बैरिकेडिंग और निगरानी के लिए मोर्चे तय किए जा रहे हैं.

केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए भेजे तीन मंत्री

हालांकि केंद्र सरकार ने अन्नादाता के आक्रोश को शांत करने का जिम्मा अपने तीन बड़े मंत्रियों को सौंपा है. कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल, गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने किसान नेताओं से चंडीगढ़ में मुलाकात की है. इसके साथ ही इन नेताओं की मुख्यमंत्री भगवंत मान से भी बात हुई.

किसान नेताओं ने क्या कहा?

इन लोगों का कहना है कि केंद्रीय मंत्रियों ने MSP के समर्थन हमारी दलीलों को सुना है और कहा है कि दिल्ली में इस बारे में उन्हें बात करनी पड़ेगी. अगर 13 तक कोई दोबारा बात होती है तो अलग बात है मगर फिलहाल 13 फरवरी का हमारा दिल्ली कूच का कार्यक्रम रहेगा.

सीएम भगवंत मान ने क्या कहा?

राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि कुछ मुद्दों पर सहमति बनी है पर बातचीत आज भी जारी रहेगी. एमएसपी के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि ये पॉलिसी डिसीजन है और यहां कुछ कमिट नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए दिल्ली में बात करनी पड़ेगी.