इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को राजधानी के कुछ थानों में में CCTV कैमरों के काम न करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस एन. के. जौहरी की पीठ ने रजत बाजपेयी की रिट याचिका पर अपने आदेश में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर को मामले पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। हाई कोर्ट ने चिनहट थाने में कथित हिरासत में हिंसा के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त (पूर्वी) सैय्यद अली अब्बास की एक रिपोर्ट पर आश्चर्य जताया जिसमें कहा गया है कि CCTV कैमरे कुछ दिनों से काम नहीं कर रहे थे।

‘यह गंभीर चिंता का विषय है’

अदालत ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान उसने पाया कि घटना के समय SGPGI थाने के CCTV कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे। बेंच ने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है।’ याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मटियारी-देवा रोड क्रॉसिंग पर उसकी मोटरसाइकिल की पार्किंग को लेकर उसके और पुलिस के बीच हुए विवाद के बाद पुलिसकर्मियों ने उसे चिनहट थाने ले जाकर उसे प्रताड़ित किया था। बेंच ने जब थाने की हवालात की CCTV फुटेज तलब की तो उसे बताया गया कि घटना वाले दिन से कुछ दिन पहले से कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई के निर्देश

हाई कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्नर से इस मामले पर गौर करने को कहा और चिनहट थाने के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख तक इस बात की रिपोर्ट भी मांगी है कि कि CCTV कैमरे आखिर क्यों काम नहीं कर रहे हैं। इससे पहले, पुलिस ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पिता और भाई हाई कोर्ट में वकील हैं और जब उन्हें सड़क पर अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करने से रोका गया और थाने ले जाया गया तो उन्होंने तमाशा खड़ा कर दिया।

मेडिकल रिपोर्ट में हुई चोट की पुष्टि

हालांकि बेंच ने पाया कि उसके निर्देश पर डॉक्टर द्वारा दी गई मेडिकल रिपोर्ट से पता चला कि याचिकाकर्ता के दोनों पैरों में कठोर और कुंद चीज से खरोंच और चोट आई थी। बेंच को बताया गया कि पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में दारोगा रमेश चंद्र यादव और प्रभारी निरीक्षक आलोक राव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, तो बेंच ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ 2 सिपाहियों राहुल कुमार और विशाल सिंह का ट्रांसफर पर्याप्त नहीं है, क्योंकि याचिका में उनके खिलाफ हिरासत में हिंसा करने का आरोप लगाया गया था।

अदालत ने रिपोर्ट पेश करने को कहा

अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका में दोनों सिपाहियों को विरोधी पक्ष बनाने के लिए कहते हुए पुलिस से 20 सितंबर को उसके समक्ष की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।


Discover more from The Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts to your email.

Adblock Detected!

Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors. Please consider supporting us by whitelisting our website.