दिल्ली हाई कोर्ट ने शादी के बाद अपने परिवार के लोगों की तरफ से धमकियों का सामना कर रहे दंपत्ति के मामले की सुनवाई करते हुए एक बेहद अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस दंपत्ति को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार अमिट और संविधान के तहत संरक्षित है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दंपत्ति के परिवार के सदस्य भी ऐसी शादियों पर आपत्ति नहीं जता सकते।

‘नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार बाध्य’

हालिया आदेश में जस्टिस तुषार राव गेडेला ने जोर देते हुए कहा कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य होती है और हाई कोर्ट, एक संवैधानिक न्यायालय होने के नाते दंपत्ति के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की उम्मीद करता है। कोर्ट ने कहा, ‘पसंद के व्यक्ति से शादी करने का याचिकाकर्ताओं का अधिकार अमिट और संविधान के तहत संरक्षित है, जिसे किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता।’ अदालत ने पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाली दंपत्ति की याचिका का निपटारा करते हुए कहा, ‘याचिकाकर्ताओं के विवाह से संबंधित तथ्य और उनके बालिग होने को लेकर कोई संदेह नहीं है।’

कोर्ट ने बीट अधिकारी को दिए ये निर्देश

कोर्ट ने कहा, ‘कोई भी, यहां तक कि परिवार के सदस्य भी ऐसे संबंध पर आपत्ति नहीं जता सकते।’ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध अप्रैल में शादी की थी और तब से खुशी-खुशी साथ रह रहे हैं। उनका कहना है कि इस दौरान परिवार के सदस्यों, विशेषकर लड़की के परिवार के लोगों से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। कोर्ट ने ‘सरकार को दोनों याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनमें से किसी को भी, विशेष रूप से महिला के माता-पिता या परिवार के सदस्यों की तरफ से कोई नुकसान न हो।’ कोर्ट ने संबंधित बीट अधिकारी को समय-समय पर उनपर नजर रखने का निर्देश दिया।


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