उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक व्यक्ति सत्यदेव के खुद को जिंदा साबित करने में तीन साल लग गए। हालांकि लंबे संघर्ष के बाद सत्यदेव को उसकी हड़पी गई जमीन भी मिल गई। इसी के साथ उसे मृत दिखाकर वसीयत के आधार पर जमीन हड़पने वाले जालसाज के खिलाफ अब एफआईआर भी दर्ज की गई है।

जानकारी के मुताबिक बदायूं जिले की दातागंज तहसील क्षेत्र के ग्राम संतोष नगर निवासी सत्यदेव अलग अलग शहरों में मजदूरी करते थे। कई-कई महीने में वह अपने गांव लौटते थे। जिसके चलते वह अपने खेतों का भी पूरी तरह ध्यान नहीं रख पाते थे। 2018 में सत्यदेव आगरा में काम कर रहे थे। जब 2019 में गांव लौटे तब पता चला कि उनकी जमीन बरेली के जगतपुर निवासी रवेंद्र ने अपने नाम करा ली है।

उसने दातागंज तहसील के अफसरों से शिकायत की और बताया कि वह रवेंद्र नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानता। न ही इस नाम का कोई व्यक्ति उनकी जाति-बिरादरी का गांव में है। रवेंद्र उनका रिश्तेदार भी नहीं है। लेकिन तहसील में लगाए गए अभिलेखों की जांच में खुलासा हुआ है कि रवेंद्र ने सत्यदेव को मृत दर्शाकर फर्जी वसीयत अपने नाम बनवा ली और उसी वसीयत के आधार पर सत्यदेव की जमीन अपने नाम करा ली।

आरोप है कि सत्यदेव बार बार अफसरों को खुद के जिंदा होने का सबूत देता रहा लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिली। अब लंबी भागदौड़ के चलते करीब तीन साल बाद सत्यदेव खुद को अभिलेखों में जीवित साबित करने में कामयाब साबित हुए। तहसील अभिलेखों में जमीन सत्यदेव के नाम दर्ज कर दी गई। आरोपी रवेंद्र के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिख ली और जांच शुरू कर दी। सोमवार को पुलिस ने सत्यदेव के बयान दर्ज किए हैं।


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