भारत में रोहिंग्याओं की अवैध घुसपैठ शुरू से ही एक बड़ा मुद्दा है। भारत के विभिन्न राज्यों में हजारों की संख्या में रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं। अब इस अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए एजेंसियों की ओर से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) और असम पुलिस ने एक संयुक्त अभियान में कथित तौर पर रोहिंग्याओं को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करवाने के आरोप में 47 दलालों को गिरफ्तार किया है।

इन राज्यों से हुई गिरफ्तारी

एएनआई के मुताबिक, असम के विशेष डीजीपी हरमीत सिंह ने कहा कि सावधानीपूर्वक योजना बनाने के बाद, 8 नवंबर की सुबह एनआईए और असम पुलिस द्वारा विभिन्न राज्य पुलिस बलों के साथ मिलकर एक देशव्यापी ऑपरेशन शुरू किया गया था। इस ऑपरेशन में अब तक कुल 47 दलालों और बिचौलियों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में जिन्हें गिरफ्तार किया गया है उनमें से 25 त्रिपुरा से, 5 असम से, 3 पश्चिम बंगाल से, 9 कर्नाटक से, 1-1 हरियाणा और तेलंगाना से और 3 तमिलनाडु से हैं।

भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए घुसपैठ

असम पुलिस ने बताया है कि फरवरी 2023 में करीमगंज पुलिस को करीमगंज रेलवे स्टेशन पर त्रिपुरा से आ रही एक ट्रेन में रोहिंग्याओं के एक समूह का पता चला था। जांच के बाद यह बात सामने आई कि अवैध रोहिंग्या और घुसपैठिए भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए भारत में प्रवेश कर रहे हैं। इस घटना के बाद असम पुलिस ने सतर्कता और अभियान बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप 450 अवैध प्रवासियों (रोहिंग्या और बांग्लादेशियों) को सीमा सुरक्षा बलों की सहायता से रोका गया और वापस लौटा दिया गया।

नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान

पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान, यह पता चला कि अवैध प्रवासियों को दलालों-बिचौलियों द्वारा भारत में प्रवेश करने में मदद की गई थी, जो घुसपैठ में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे। जांच के दौरान यह भी पता चला कि बिचौलिये न केवल भारत-बांग्लादेश सीमा के दोनों ओर बल्कि मुख्य भूमि पर भी मौजूद हैं। इसी कारण पुलिस ने बिचौलियों के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए एक अभियान शुरू किया। इसी अभियान में असम स्पेशल टास्क फोर्स ने जुलाई 2023 में ऑपरेशन शुरू कर के 10 ऐसे दलालों या बिचौलियों को गिरफ्तार किया।

गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता

पुलिस ने जब पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की तो पता लगा कि बिचौलियों का नेटवर्क पूरे भारत में मौजूद था, जो कि एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता थी। इस तथ्य को देखते हुए कि असम को इस राष्ट्र-विरोधी गतिविधि के लिए एक गलियारे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, असम सरकार ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार से इस मामले को एनआईए को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था। इसके बाद असम पुलिस और एनआईए ने मिलकर ये बड़ा कदम उठाया।


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