गंगा में डॉल्फिनों की संख्या बढ़ रही है और प्रदूषण का स्तर तेजी से कम हो रहा है। यह दावा केंद्र सरकार ने नमामि गंगे अभियान की समीक्षा के बाद किया है। जलशक्ति मंत्रालय ने हाल में राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक में यह जानकारी दी कि गंगा को साफ-स्वच्छ बनाने के लिए चल रहे अभियान के सार्थक नतीजे सामने आने लगे हैं।

गंगा डॉल्फिन की संख्या बढ़कर चार हजार से अधिक हो गई है। केंद्र सरकार ने इसके साथ ही प्रदूषण की निगरानी के लिए बनाए गए प्लेटफार्म प्रयाग की सफलता का का दावा करते हुए कहा है कि उसने रियल टाइम मॉनिटरिंग का प्रभावी सिस्टम बना लिया है। गंगा में अब चार हजार डाल्फिन है।

इन राज्यों में गंगा का प्रदूषण पांचवीं श्रेणी पर

सूत्रों के अनुसार केंद्र ने अपने प्रजेंटेशन में बताया है कि गंगा के प्रदूषण को आंकने के लिए जो पांच स्तर तय किए गए हैं, उनके अनुसार अब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल का कोई भी हिस्सा सबसे गंभीर प्रदूषण की पहली चार श्रेणियों में नहीं है। इसका मतलब है कि इन राज्यों में गंगा का प्रदूषण पांचवीं श्रेणी का है, जो सबसे कम गंभीर और स्वीकार्य सीमाओं के भीतर है।

हरिद्वार से सुल्तानपुर का स्ट्रेच अब साफ की श्रेणी में

इसमें भी उत्तराखंड में हरिद्वार से सुल्तानपुर का स्ट्रेच अब साफ की श्रेणी में है। दूसरे अर्थों में केंद्र सरकार ने कहा है कि गंगा के लगभग पूरे स्ट्रेच में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) का औसत स्वीकार करने लायक सीमाओं में है यानी इस नदी का जल बुनियादी रूप से स्नान करने योग्य है और यह नदी के पूरे इकोसिस्टम के अनुकूल है। कुछ स्थान अभी भी स्वीकार्य सीमाओं से थोड़ा ऊपर हैं, जैसे फर्रुखाबाद से रायबरेली और मीरजापुर से गाजीपुर। केंद्र सरकार ने नमामि गंगे अभियान के तहत 97 स्थानों पर गंगा में डीओ, बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) की निगरानी की है।

43 स्थानों पर बीओडी बेहतर हुई

इसके मुताबिक 43 स्थानों पर बीओडी बेहतर हुई है और 32 स्थानों पर घुलित आक्सीन का स्तर सुधरा है। सरकार ने गंगा की जैवविविधता में भी उल्लेखनीय सुधार नोट किया है। उसके प्रजेंटेशन में बताया गया है कि राज्यों में बनाए गए बचाव और पुनर्वास केंद्रों ने फल देना शुरू कर दिया है।

गंगा डॉल्फिन, घडि़याल और कछुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सर्वे में चार हजार गंगा डाल्फिन की मौजूदगी नोट की गई है। उत्तर प्रदेश में छह गंगा जैवविविधता पार्क मीरजापुर, बुलंदशहर, हापुड़, बदायूं, बिजनौर और अयोध्या में मंजूर किए गए हैं। इनसे गंगा की जैवविविधत में और सुधार होने के आसार हैं।