कहते हैं एक बेटी के लिए इस दुनिया में उसके सबसे बड़े हीरो उसके पापा होते हैं। बेटी और पिता के प्यार की कोई व्याख्या नहीं की जा सकती। एक पिता ही अपनी बेटी को इतना प्यार कर सकता है जितना कोई नहीं कर सकता। इ इस प्यार को चरितार्थ किया है तमिलनाडु के एक बुजुर्ग व्यक्ति चेल्लादुरई ने, उनके प्यार को देखकर आपकी भी आंखें भर आएंगी और आप भी कह उठेंगे बाप हो तो ऐसा…

चेल्लादुरई अपनी बेटी के लिए पोंगल का ऐसा गिफ्ट लेकर पहुंचे जैसा आपने कभी देखा और सुना नहीं होगा। चेल्लादुरई ने गन्ने की गट्ठर की विधिवत पूजा की फिर अपने सिर पर गन्ने का गट्ठर रखा और अपनी बेटी के लिए 14 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय की। पिता ने कहा, “उनकी बेटी सुंदरपाल की शादी के बाद दस साल से अधिक समय तक कोई बच्चा नहीं हुआ। आठ साल पहले उनकी बेटी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, जिससे उन्हें बहुत खुशी हुई। उसके बाद से ही मैंने ठान लिया और अपने सिर पर गन्ना रखकर साइकिल पर उसके लिए पोंगल उपहार सामग्री लाना शुरू कर दिया। मैं स्वस्थ हूं इसलिए मैं खुशी-खुशी अपनी बेटी और अपने नाती-नातिनों को देखने के लिए साइकिल से जा रहा हूं…”

एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी बेटी को पोंगल उपहार के रूप में देने के लिए अपने सिर पर गन्ने का एक गट्ठर लेकर 14 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर गया। रास्ते में लोगों ने उसे आश्चर्य से देखा और उसकी जय-जयकार की।

पोंगल का महत्व

दक्षिण भारत में मकर संक्रांति के दिन पोंगल का त्योहार मनाया जाता है और यह चार दिनों तक चलता है। हर दिन का अपना अलग-अलग महत्व होता है। दक्षिण भारत मे ंफसल कटने के बाद नए अन्न के आने की खुशी में मनाते हैं और इसमें वर्षा, धूप सूर्य, इंद्रदेव, के साथ ही खेतिहर पशुओं की पूजा करते हैं। इसका अर्थ नया साल होता है।


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