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पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने संविधान की धारा-370 और 35-ए को निरस्त करने के ऐतिहासिक निर्णय को विधि-सम्मत घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस, राजद और इंडी गठबंधन के जिन दलों ने भी संसद में इस मुद्दे पर सरकार का विरोध किया था, उन सबको भारत, विशेषकर जम्मू-कश्मीर की जनता से माफी मांगनी चाहिए। इस फैसले ने आतंकवाद के प्रवर्तक और पोषक दलों का असली चेहरा सामने ला दिया है।

सुशील मोदी ने कहा कि यदि कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन में हिम्मत है, तो वे अपनी सरकार बनने पर धारा-370 बहाल करने की घोषणा करें। उन्होंने कहा कि जो जदयू अपने नेता को पीएम-पद का दावेदार बता रहा है, उसने 2019 में एनडीए का हिस्सा होने की मजबूरी में कश्मीर मुद्दे पर सरकार का समर्थन किया था, लेकिन उनका मन उन्हीं के साथ था, जो “खून की नदी बहाने” की धमकी दे रहे थे। ये लोग आज भी सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत निर्णय का स्वागत करने से मुँह चुरा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि धारा-370 हटाने और सामान्य वर्ग के गरीबों (ईडब्लूएस) को 10 फीसद आरक्षण देने जैसे ब॒ड़े विधायी फैसलों पर सर्वोच्च न्यायालय के अनकूल निर्णय यह सिद्ध करने हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार सारे फैसले कानून और संविधान का पालन करते हुए करती है। आज “संविधान की हत्या” का झूठा शोर मचाने वालों के लिए शोक दिवस है।

उन्होंने कहा कि धारा-370 हटने के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में 97 फीसद, सीमा पार से घुसपैठ में 90 फीसद और आतंकी हमले की घटनाओं में 42.2 फीसद की कमी दर्ज की गई। मोदी ने कहा कि धारा-370 हटने और प्रायोजित पत्थरबाजी पर शिकंजा कसने से रिकार्ड लगभग 2 करोड़ पर्यटक कश्मीर पहुँचे। वहाँ खून की नदी बही, बल्कि रोजी-रोजगार के फूल खिलने लगे। क्या विपक्ष ऐसा कश्मीर नहीं देखना चाहता था? उन्होंने कहा कि धारा-370 हटने से आरक्षण के प्रावधान वहाँ भी लागू हुए और अब बिहार सहित देश-भर के लोग वहाँ सम्पत्ति खरीद सकते हैं।

 


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