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बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि प्रदेश में जातीय जनगणना जारी रहेगी। पटना उच्च न्यायालय के इस बड़े फैसले के बाद नीतीश सरकार ने सभी जिलों के डीएम को आदेश-पत्र जारी किया है।

बिहार सरकार द्वारा सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा गया है और जातीय आधारित जनगणना को फिर से शुरू करने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने जातीय सर्वेक्षण के विरुद्ध दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया और सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस तरह से बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट से राहत मिली है।

पटना हाईकोर्ट में 4 मई 2023 को जाति आधारित गणना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान अदालत ने राज्य में जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी थी। बिहार में ये गणना 7 जनवरी 2023 से शुरू हुई थी। जाति आधारित गणना का पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चला था। इसके बाद एक अप्रैल 2023 से जाति आधारित गणना का दूसरा चरण शुरू हुआ था। पहले फेज में बिहार में मकानों की गिनती की गई थी जबकि दूसरे चरण में जाति और आर्थिक जानकारियां जुटायी जा रही थी लेकिन इसी बीच इस पर रोक लग गई।

विदित है कि जाति आधारित गणना के खिलाफ याचिकाकर्ता ने दायर याचिका में इसे असंवैधानिक बताया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस तरह की गणना का नियम केंद्र सरकार के जिम्मे है। राज्य सरकारें ऐसी गिनती नहीं करा सकती। साथ ही याचिकाकर्ता ने इसमें निजता के हनन के बिंदु को भी जोड़ा था। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, अब हाईकोर्ट के फैसले ने इस याचिका को ही ख़ारिज कर दिया है और नीतीश सरकार के पक्ष में फैसला सुना दिया है।


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