बिहार के बेगूसराय के बलिया अनुमंडल के शिवनगर और इसके आसपास के इलाकों में बाढ़ से हो रहे कटाव को लेकर न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि अब सांसद राकेश सिन्हा ने भी जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कटाव क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचे राकेश सिन्हा ने कड़े शब्दों में कहा है कि जिला प्रशासन लापरवाह ही नहीं निकम्मी भी है. जिला प्रशासन पिछले एक साल से सो रही और जब लोगों के घर कटने शुरू हो गए हैं तो जिला प्रशासन लीपापोती करने का काम कर रही है।

बेगूसराय में बाढ़ से हो रहे कटाव को लेकर ग्रामीण परेशान : उन्होंने कहा कि अपने ही देश में अपने ही गांव में अपने ही घरों से जब लोग विस्थापित होने लगे तो यह स्वीकार नहीं है. कटाव क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे सांसद ने कहा कि वह पिछले 4 सालों से यहां पर आ रहे हैं. उनके आने का फायदा अब यह देखने को मिल रहा है कि यहां के लोगों का आक्रोश अब चेतना में परिवर्तित हुआ है. पिछले 3 सालों से जब मैं यहां आ रहा था तो ग्रामीण सिर्फ याचना कर रहे थे लेकिन अब वो संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।

जिला प्रशासन खानापूर्ति का आरोप: राकेश सिन्हा ने आरोप लगाया है कि पिछली बार जब बाढ़ आई थी तो इसको लेकर जिला प्रशासन को याद दिलाया गया था लेकिन पिछले एक साल से जिला प्रशासन सोई रही. दिशा की बैठक में उन्होंने दो बार इस मुद्दे को उठाया. लेकिन दिशा की बैठक में उठाने के बाद भी प्रशासन चुप हो गई लेकिन जब लोगों के घर कटने के कगार पर हैं. लोगों के अस्तित्व और अस्मिता जब दोनों खतरे में है तो जिला प्रशासन खानापूर्ति कर रही है. मुझे लगता है कि जिला प्रशासन लापरवाह और निकम्मा है।

जिला प्रशासन से मांग: राकेश सिन्हा ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जिन लोगों पर कटाव का खतरा है, प्रशासन उनके पुनर्वास की व्यवस्था करें. जिनका घर का गिर गया उन्हें मुआवजा दें. इसके अलावा जिला प्रशासन पानी आगे कटाव ना करें इसके लिए 2022 जैसी व्यवस्था ना करे. 2022 में इस काम के लिए 3 करोड़ का ठेका था पर यहां तीन लाख का काम नहीं हुआ।

काफी संख्या में लोगों ने खाली किया घर: सांसद ने प्रशासन को चेतावनी दी, कि अब दियारा के लोग जागृत हो गए हैं इसलिए अब यहां खानापूर्ति से काम चलने वाला नहीं है. 15 दिनों पहले उनके द्वारा कटाव का एक वीडियो जारी किया गया था पर जिला प्रशासन के द्वारा इस वीडियो के बाद लीपापोती का काम किया है. उन्होंने बताया की शिव नगर में कटाव से जहां एक घर गिर चुका है वहीं पर काफी संख्या में लोग घर खाली कर यहां से जा चुके हैं।

“अपने ही देश में अपने ही गांव और अपने ही घरों से लोग विस्थापित हो जाए यह स्वीकार नहीं है. पिछली बार जब बाढ़ आई थी तो इसको लेकर जिला प्रशासन को याद दिलाया गया था लेकिन पिछले एक साल से जिला प्रशासन सोई रही. दिशा की बैठक में उन्होंने दो बार इस मुद्दे को उठाया. पर दिशा की बैठक में उठाने के बाद भी प्रशासन चुप हो गई लेकिन जब लोगों के घर कटने के कगार पर हैं.”-राकेश सिन्हा, सांसद

काम नहीं होने पर होगा धरना प्रदर्शन: वहीं इस मामले में ग्रामीण सुजय कुमार झा ने बताया कि अब लोग इस गांव मे डर के साये मे जी रहे हैं. 20 से भी अधिक परिवार जान माल के साथ गांव से पलायन कर चुके है. ग्रामीण महिला ने कहा की जिला प्रशासन जल्द से जल्द बॉर्डर गिरा के कटाव को रोकने की कोशिश करें नहीं तो आने वाले दिनों में वह लोग धरना प्रदर्शन का काम करेंगे. दूसरी ओर किसानों के कई एकड़ जमीन गंगा में विलीन हो चुके हैं और अब कटाव की दिशा आबादी वाले क्षेत्र की ओर बढ़ रही है. जिससे कि लोग भय के साए में जीने को भी बेबस है।