सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से राज्य में चुनावी लोकतंत्र बहाल करने के लिए एक समय सीमा तय करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मौजूदा व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दिया गया केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा कोई स्थायी चीज नहीं है। सरकार 31 अगस्त को कोर्ट में इस जटिल मुद्दे पर अपनी बात रखेगी।

हमें एक समय-सीमा बताएं

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘लोकतंत्र महत्वपूर्ण है, हालांकि हम इस बात से सहमत हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में राज्य का पुनर्गठन किया जा सकता है।’ अदालत ने कहा कि चुनावी लोकतंत्र की कमी को अनिश्चित काल तक जारी नहीं रहने दिया जा सकता। बेंच ने कहा, “इसका अंत होना ही चाहिए। हमें एक स्पष्ट समय सीमा बताइए कि आप वास्तविक लोकतंत्र कब बहाल करेंगे। हम इसे रिकॉर्ड पर लेना चाहते हैं।’

31 अगस्त को सरकार देगी जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणी से सरकार से इस संबंध में निर्देश लेकर आने को कहा। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच से कहा, “मैंने निर्देश ले लिया है और निर्देश यह है कि जम्मू कश्मीर के लिए केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा कोई स्थायी चीज नहीं है। यह लद्दाख के लिए बना रहेगा। हालांकि मैं 31 अगस्त को एक विस्तृत बयान दूंगा।’

राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा

धारा 370 निरस्त करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। तुषार मेहता ने 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश करते समय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान को पढ़ते हुए कहा कि समय के साथ जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई कर रही है।


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