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सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, पूरे देशभर में सरस्वती देवी की कलियुग में इस अनोखी भक्ति की चर्चा हो रही है।मामले में अबतक मिली जानकारी के मुताबिक, इतने सालों से मौन धारण किए हुए सरस्वती देवी का आश्रय अक्सर तीर्थ स्थल ही रहता है।

22 जनवरी की तारीख को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला विराजमान होने को तैयार हैं. जहां एक ओर भक्तों के बीच उत्साह और उमंग का माहौल है, वहीं दूसरी ओर झारखंड से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल राज्य के धनबाद स्थित करमाटांड़ में एक महीला, कई दशकों बाद अपना मौन प्रण तोड़ने जा रही है. जी हां.. इसी 22 जनवरी को, सरस्वती देवी नाम की ये 85 साल की महिला, अपना 30 साल से चला आ रहा मौन प्रण आखिरकार समाप्त करेगी।

इस खबर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, पूरे देशभर में सरस्वती देवी की कलियुग में इस अनोखी भक्ति की चर्चा हो रही है. मामले में अबतक मिली जानकारी के मुताबिक, इतने सालों से मौन धारण किए हुए सरस्वती देवी का आश्रय अक्सर तीर्थ स्थल ही रहता है. हालांकि उनका परिवार भी है, जिनसे बात करने के लिए उन्हें लिखना पड़ता है।

सरस्वती देवी के छोटे बेटे हरिराम अग्रवाल बताते हैं कि, जब विवादित ढांचा गिरा था, तो उनकी मां यानि सरस्वती देवी ने मौन धारण कर लिया था. साथ ही ये प्रण लिया था कि, जबतक रामलला, राम मंदिर में विराजमान नहीं हो जाते, वह इस मौन प्रण को समाप्त नहीं करेंगे।

हरिराम अग्रवाल ने आगे बताया कि, अब जब अगली 22 जनवरी, रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे, तभी सरस्वती देवी अपना प्रण तोड़ेंगी. उन्होंने परिवार को लिखकर बताया है कि, वह मौन व्रत के बाद अपना पहला शब्द सीताराम-सीताराम बोलेंगी।

बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के नवनिर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, जिसके लिए अयोध्या रामलला विराजमान दिवस के दिन सरस्वती देवी को भी निमंत्रण आया है. इसके लिए अयोध्या का चप्पा-चप्पा सुरक्षा के घेरे में लाया जा रहा है।


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