गाजा युद्ध में हाल ही में 21 इजरायली सैनिकों की मौत से प्रधानमंत्री नेतन्याहू बौखला गए हैं। उन्होंने द्वि-राष्ट्र समाधान को मानने और हमास आतंकियों के खिलाफ युद्ध रोकने से इनकार कर दिया है। इससे पश्चिमी संघर्ष के तेज होने का खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र ने इससे दुनिया में अशांति के खतरे का अंदेशा जाहिर किया है। इससे खलबली मच गई है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को इजरायल को आगाह किया कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का द्वि-राष्ट्र समाधान से इनकार यकीनन संघर्ष को बढ़ाएगा, जो पहले ही वैश्विक शांति के लिए खतरा है और हर कहीं अतिवादियों का साहस बढ़ा रहा है। गुतारेस ने इजरायल-हमास युद्ध पर अपनी अब तक की सबसे सख्त भाषा में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा ‘‘एक पूर्ण स्वतंत्र देश का निर्माण करना फिलस्तीन के लोगों का अधिकार है और सभी को इसे मान्यता देनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि द्वि-राष्ट्र समाधान को मानने से किसी के भी इनकार को दृढ़ता से अस्वीकार किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इतनी बड़ी संख्या में फलस्तीनियों में सही मायनों में स्वतंत्रता, अधिकार और सम्मान नहीं होने से एक-राष्ट्र समाधान का विकल्प अकल्पनीय है।’’ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने लेबनान, यमन, सीरिया, इराक और पाकिस्तान का जिक्र करते हुए यह भी चेतावनी दी कि संघर्ष का असर क्षेत्रीय स्तर पर पड़ने का जोखिम ‘‘अब वास्तविकता बन रहा है।’’ उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया। युद्ध के बाद फलस्तीनी देश के किसी भी परिदृश्य से नेतन्याहू के इनकार ने इजराइल और उसके सबसे करीबी राष्ट्र अमेरिका के बीच दरार पैदा की है।

अमेरिका ने कही ये बात

अमेरिका का कहना है कि द्वि-राष्ट्र समाधान की दिशा में बातचीत होनी चाहिए जहां इजराइल और फलस्तीन शांति से आस-पास रह सकें। अनेक देशों ने इस बात का समर्थन किया है। गुतारेस ने साथ ही मानवीय युद्ध विराम की अपनी लंबित मांग दोहराई। अनेक देश चाहते हैं कि इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध मानवीय आधार पर रुकना चाहिए ताकि जरूरतमंदों को भोजन, पानी और दवाएं आदि पहुंचाई जा सकें। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के लिए इजराइल के राजदूत गिलार्ड एर्दान ने युद्ध विराम को खारिज कर दिया और कहा कि हमास फिर से हमला करने और इजराइल को नष्ट करने पर तुला हुआ है और लड़ाई को रोकने से आंतकवादियों को ‘‘फिर से संगठित होने और हथियार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।’’ उन्होंने सुरक्षा परिषद से संघर्ष की ‘जड़ को खत्म करने’ का अनुरोध किया। एर्दान का कहना है कि फसाद की जड़ ईरान है।

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