बिहार के गोपालगंज में उत्पाद विभाग की टीम ने पांच दिन पहले ही नोडल रेड के तहत विभिन्न जगहों पर छापेमारी कर 44 लोगों को गिरफ्तार किया था. वहीं, इस छापेमारी को जारी रखते हुए टीम ने पीने और बेचने वाले 47 लोगों को गिरफ्तार किया है. फिलहाल गिरफ्तार लोगों पर उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और आगे की कार्रवाई में जुट गई है।

लगातार जारी है उत्पाद विभाग की रेड: दरअसल, शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए उत्पाद विभाग को लगातार शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ रही है. नोडल रेड एक ऐसा तरीका है जिससे उत्पाद विभाग एक साथ कई जगहों पर छापेमारी करती है और शराब तस्करों को गिरफ्तार करती है. इसी कड़ी में में उत्पाद विभाग ने नोडल रेड के तहत विभिन्न प्रखंडों समेत बॉर्डर इलाके में स्थिति थाना क्षेत्रों में छापामारी की है. इस छापेमारी के दौरान उत्पाद विभाग की टीम ने 14 तस्करों और 33 पियक्कड़ों को गिरफ्तार किया है।

उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज: उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि छापेमारी के दौरान उत्पाद विभाग की टीम ने ड्रोन कैमरा, एनेनाइजर मशीन, स्वान दस्ता की भी मदद ली. वाहन जांच स्कैनर मशीन से की गई. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों के खिलाफ उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उत्पाद विभाग की टीम लगातार शराब माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

नोडल रेड के तहत कुल 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वही, उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर करवाई करते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. जिले में इस तरह की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी.” – राकेश कुमार, उत्पाद अधीक्षक

बिहार में शराबबंदी कानून:बिहार सरकार ने पांच अप्रैल 2016 से राज्य में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और खपत पर रोक लगाने और इसका उल्लंघन दंडनीय अपराध बनाने के कानून को लागू किया था. इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी होगी और बिहार एक आदर्श राज्य बनेगा. लेकिन आए दिन शराब कानून तोड़ने न केवल बिहार सरकार को झटका लगा है, बल्कि अन्य राज्यों में भी शराबबंदी कानून को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।


Discover more from The Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts to your email.

Adblock Detected!

Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors. Please consider supporting us by whitelisting our website.