जापान और अमेरिका हाइपरसोनिक मिसाइल इंटरसेप्टर विकसित करने पर साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह दोनों देशों का मिलाजुला प्रोजेक्ट होगा। इस प्रोजेक्ट से उत्तर कोरिया और चीन दोनों की शामत आ सकती है। चूंकि उत्तर कोरिया इस इलाके में हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट करके इलाके में लगातार तनाव पैदा कर रहा है। ऐसे में उत्तर कोरिया की हाइपरसोनिक मिसाइल के खतरे से निपटने में जापान और अमेरिका का संयुक्त प्रोजेक्ट बेहद कारगर रहेगा।

जापान के योमीउरी अखबार के अनुसार इस समझौते पर हस्ताक्षर अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन की जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात के दौरान हो सकते हैं। जापान के पास वर्तमान में बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम मौजूद है, लेकिन यह हाइपरसोनिक हथियारों के हमले को रोकने मे सक्षम नहीं है।

जानिए बैलेस्टिक मिसाइल और हाइपरसोनिक में क्या है अंतर?

हाइपरसोनिक मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में अपने रास्ते को कभी भी बदल सकते हैं। इससे हाइपरसोनिक मिसाइलों को निशाना बनाना काफी मुश्किल हो सकता है। वहीं, बैलिस्टिक मिसाइलें अपने लक्ष्य पर गिरते समय एक पूर्वानुमानित प्रक्षेप पथ पर उड़ती हैं। वर्तमान में अमेरिका और जापान के तीन दुश्मन देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें मौजूद हैं। इनमें रूस, चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं। इन तीनों देशों से जापान और अमेरिका के अलग-अलग मुद्दों पर विवाद हैं।

बाइडेन और किशिदा की मुलाकात शिखर सम्मेलन में होगी

योमीउरी ने कहा कि बाइडेन और किशिदा की मुलाकात मैरीलैंड के कैंप डेविड में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ एक त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान होगी। अमेरिका और जापान जनवरी में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके जापानी समकक्षों विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमादा के बीच एक बैठक में इंटरसेप्टर विकसित करने पर विचार करने पर सहमत हुए थे। यह समझौता मिसाइल रक्षा प्रौद्योगिकी में दूसरा ऐसा सहयोग होगा।


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