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राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल के नेता आपना नामांकन दाखिल कर रहे हैं। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शनिवार को झालावाड़ से अपना नामांकन दाखिल करने वाली है। हर बार की तरह इस बार भी नामांकन दाखिल करने वसुंधरा राजे राड़ी के बालाजी मंदिर में पूजा करने जाएंगी। मंदिर में पूजा करने के बाद भी वसुंधरा राजे पर्चा दाखिल करने के लिए जाएंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राड़ी के बालाजी मंदिर आखिर ऐसा क्या खास है? आखिर इस मंदिर की मान्यता क्या है? आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी खासियत के बारे में बताने वाले हैं।

मंदिर की मान्यता

राजस्थान के झालावाड़ में स्थित राड़ी के बालाजी मन्दिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि किसी शुभ काम को करने से पहले अगर कोई व्यक्ति यहां पूजा-अर्चना करता है, तो उसका को काम बिना की किसी परेशानी के पूरा हो जाता है। इसके अलावा यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर के बालाजी की पूजा-अर्चना करने मात्र से लोगों के दिल में दबी सभी मनोकामना बिना मांगे पूरी हो जाती है।

मंदिर की स्थापना

जानकारी के अनुसार, राड़ी के बालाजी का ये मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर की स्थापना किसने की इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी अभी नहीं हैं। लेकिन साल 1960 से महावीर सेवादल इस मंदिर में सेवा कर रहा हैं। पहले राड़ी के बालाजी मंदिर सिर्फ एक चबूतरा था, जिस पर बालाजी की एक प्रचीन मूर्ति रखी हुई थी। साल 2007 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंदिर का निर्माण के लिए 25 लाख रुपए का बजट दिया था। जिसके बाद इस मंदिर का भव्य निर्माण हुआ। आज यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु में पूजा करने आते है।

मंदिर में वसुंधरा राजे की गहरी आस्था

बता दें कि, इस मंदिर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद दुष्यंत सिंह और बहू निहारिका की काफी गहरी आस्था है। इसलिए वो लोग हमेशा चुनाव के लिए नामांकन भरने से पहले मंदिर के बालाजी के दर्शन और पूजा-अर्चना करते है।


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