बिहार में जातीय गणना मामले में पटना हाई कोर्ट से राहत के बाद अब बिहार सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है. इस कैविएट अर्जी में कहा गया है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई और आदेश जारी न करें. दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय गणना के मामले में बिहार सरकार को राहत देते हुए जातीय गणना जारी रखने का आदेश दिया था. जिसमें पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की तरफ से कराए जा रहे जातिगत सर्वे और आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण पर लगाई रोक हटा दी और इसके साथ ही इस संबंध में दायर सभी याचिका को निरस्त कर दिया।

वहीं, जातीय गणना अब बिहार सरकार की प्राथमिकता बन गई है. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातीय गणना पूरे बिहार में फिर से शुरू हो गयी है. पटना के फुलवारीशरीफ में वार्ड नंबर-10 में खुद पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने इसकी शुरुआत की और जातीय गणना का जायजा भी लिया. मामले में डीएम ने बताया कि पटना में पटना में 13 लाख 69 हजार परिवार है. जिसमें से 9 लाख 35 हजार लोगों का सर्वेक्षण किया जा चुका है और अब जो परिवार बच गये हैं उनके यहां टीम जाएगी और जातीय गणना करेगी. डीएम ने आगे बताया कि एक हफ्ते में बचे हुए लोगों का सर्वेक्षण कर लिया जाएगा।

वहीं इस मामले पर सियासी घमासान मचा हुआ है. बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने बीजेपी पर निशाना साधा तो सुशील मोदी और चिराग पासवान ने राज्य सरकार पर पलटवार किया. जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने जातीय गणना के बहाने बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जातीय गणना रुकवाने को लेकर बीजेपी ने राजनीतिक महापाप किया है. याचिकाकर्ता बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोग हैं।


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